नई दिल्ली: दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी ने मायापुरी के व्यापारियों को एक-एक लाख रूपये के चालान भेजे थे. व्यापारियों ने इसे 13 अप्रैल को हाईकोर्ट में चैलेंज किया था. फेडरेशन का कहना है की DPCC ने बिना किसी सर्वे के निंदनीय कार्रवाई की है.
फिलहाल कोर्ट ने डीपीसीसी के ऑर्डर पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने डीपीसीसी के ऑर्डर को रिव्यू में डालकर दोबारा जांच करने को कहा है.
जानें क्या था मामला
आरोप है कि पिछले महीने SDM और DPCC ने 122 लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किया था. जिसमें 61 लोगों के खिलाफ 2 लाख, 20 लोगों के खिलाफ 6 लाख, और 41 लोगों के खिलाफ 4 लाख रूपये का जुर्माना लगाया गया था.
जिन कारखानों में पॉल्यूशन के कंटेंट पाए गए, उन्हें सीलिंग के लिए आइडेंटिफाई कर दिया. जिसके बाद कुछ व्यापारियों ने मामले को हाईकोर्ट में चैलेंज किया.
उन्होंने बताया की DPCC की पहले की कार्रवाई असंवैधानिक तरीके से की गई थी. व्यापारियों ने इसे हाईकोर्ट में चैलेंज भी किया था. जिसके बाद DPCC को मानना पड़ा कि ये ट्रेडर्स सीलिंग में नहीं आते. ट्रेडर्स पर लगाया गया फाइन गैर-कानूनी था. जिस पर उच्च न्यायलय ने रोक लगा दी थी. फेडरेशन का कहना है कि मायापुरी एक ऐसी इंडस्ट्रियल मार्किट है, जहां सभी नियमों को सही तरीके से व्यापारी फॉलो कर रहें हैं.