नई दिल्ली: एक तरफ जहां कंझावला मामले में दिल्ली पुलिस पर काफी सारे सवाल उठ रहे हैं. वहीं ख्याला इलाके में एक दिन पहले नाबालिग की हत्या के मामले को लेकर स्थानीय लोग ख्याला थाने की पुलिस पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं. लोगों का कहना है कि आखिर इलाके में पुलिस चौकी खोलने का फायदा क्या जब इलाके में कानून व्यवस्था बदहाल है.
दरअसल इस इलाके में पिछले एक साल में हत्या की तीन वारदातें हुई और तीनों ही वारदात पुलिस चौकी से महज कुछ दूरी पर ही हुई, जिसको लेकर दिल्ली पुलिस सवालों के घेरे में है. आसपास की कॉलोनी में रहने वाले लोग पुलिस पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं.
लोगों का कहना है कि पुलिस का काम इलाके की सुरक्षा व्यवस्था को बनाना है लेकिन उसकी बजाए पुलिस दूसरे ही कामों में लगी रहती है. वहीं कुछ ऐसे लोग भी मिले जिन्होंने अपराधिक घटना होने के बाद जब पुलिस से शिकायत की तो उल्टा पुलिस उन्हें ही नसीहत देने लगी.
लोगों का कहना है कि कॉलोनी के आसपास एक-दो नहीं बल्कि तीन-तीन पुलिस चौकी है. बावजूद इसके अपराधियों के मन में पुलिस का कोई खौफ नहीं. हत्या की वारदात के अलावा छीना-झपटी, लूटपाट, मारपीट की घटना तो आम है, लेकिन पुलिस को कोई फर्क नहीं पड़ता.
ये भी पढ़ें: कंझावला केस की गवाह निधि को आगरा जीआरपी ने गांजा तस्करी मामले में भेजा था जेल
हैरानी की बात यह है कि एक दिन पहले ही इलाके में हत्या की वारदात के बाद भी पुलिस चौकी पर ताला लटका हुआ था. जिस पुलिस चौकी पर ताला लटका था इसके ठीक सामने स्थित पार्क में पिछले साल 8 जनवरी को भी एक नाबालिक की हत्या हुई थी. दूसरी वारदात जिस जगह पर हुई वहां से पुलिस चौकी की दूरी लगभग 300 मीटर होगी, जबकि दूसरे पुलिस चौकी की दूरी वहां से महज 200 मीटर होगी. पुलिस चौकी के करीब बार-बार हत्या जैसी संगीन वारदात होने से पुलिस के काम करने के तरीके भी सवालों के घेरे में है.
हालांकि इस संबंध में वेस्ट जिले के डीसीपी घनश्याम बंसल का कहना है कि जल्द ही सख्त कार्रवाई की जाएगी और इलाके में कानून व्यवस्था बनी रहे इसके बेहतर प्रयास भी किए जाएंगे.
ये भी पढ़ें: एयर इंडिया की फ्लाइट में महिला से बदसलूकी का मामलाः आरोपी शंकर मिश्रा 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में