नई दिल्ली: स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से उनके ऐतिहासिक महत्व और संबंधों को उजागर करने के लिए दिल्ली के संसद मार्ग और तुगलक रोड पुलिस स्टेशनों को जल्द ही नया रूप दिया जाएगा. अधिकारियों ने जानकारी दी की हर रात बहुरंगी रोशनी में सराबोर दो पुलिस थानों में जल्द ही सिंह और गांधी के उद्धरण वाले पोस्टर होंगे, जो लोगों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान की याद दिलाएंगे. उन्होंने कहा कि यह विचार दो दिग्गजों के इन दो पुलिस थानों से जुड़े उनके इतिहास के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने का है.
डीसीपी दीपक यादव ने जानकारी देते हुए कहा कि जिले में हमारे दो पुलिस स्टेशन - संसद मार्ग और तुगलक रोड विरासत भवन हैं. हमने पहले ही इन स्टेशनों पर प्रकाश व्यवस्था शुरू कर दी है. हालांकि, इसे आगे बढ़ाते हुए, हम अब इसे लगाने की प्रक्रिया में हैं. हमारे स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह और गांधी जी की स्मृतियों को याद करने के लिए स्टेशनों की दीवारों पर उद्धरणों वाले पोस्टर लगाएं जाएंगे जो लोगों को उनके योगदान की याद दिलाएंगे.
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डीसीपी ने कहा कि इस पहल के तहत, हमने दो पुलिस स्टेशनों के उपलब्ध खुले परिसर में भजन और देशभक्ति के गीत बजाने की व्यवस्था करने की भी योजना बनाई है. जिसका काम शुरू हो चुका है. संसद मार्ग पुलिस स्टेशन में, हमने पहले ही गैलरी क्षेत्र में सिंह के चित्रों और उद्धरणों और अन्य संबंधित सूचनाओं के साथ पृष्ठभूमि में प्रकाश के साथ एक विशाल बोर्ड लगा दिया है. तुगलक रोड पुलिस स्टेशन में, सामने की ओर रोशनी की गई है, लेकिन हमने अभी तक गांधी जी के पोस्टर नहीं लगाए हैं. हम ऐसा करने की प्रक्रिया में हैं.
पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन के प्रवेश द्वार पर, दाईं ओर सिंह की तस्वीर वाला एक विशाल बोर्ड पड़ता है जिसपर लिखा है कि 'व्यक्तियों को मारना आसान है लेकिन आप विचारों को नहीं मार सकते. महान साम्राज्य टूट गए, जबकि विचार बच गए - भगत सिंह.' दरअसल भगत सिंह को अप्रैल 1929 में विधानसभा बम विस्फोट मामले के सिलसिले में इस पुलिस स्टेशन में बंद कर दिया गया था.
भगत सिंह को क्यों चुना गया यह बताते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि 8 अप्रैल 1929 को दोपहर 12:30 बजे सिंह ने स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त के साथ भगत सिंह ने संसद मार्ग पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में केंद्रीय विधान सभा के अंदर दो बम फेंके. वहां इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए और हॉल में पर्चे फेंके. वह भागे नहीं और गिरफ्तारी दी. संसद मार्ग पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और दोनों को इस पुलिस स्टेशन के लॉक-अप में रखा गया था. भगत सिंह के इस कृत्य को स्वतंत्रता संग्राम के सबसे शानदार अध्यायों में से एक माना जाता है.
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डीसीपी दीपक यादव ने आगे बताते हुए कहा कि विधानसभा बमबारी मामले की सुनवाई जून 1929 के पहले सप्ताह में शुरू हुई. 12 जून को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. इस बीच, वे लाहौर में 1928 के जॉन सॉन्डर्स हत्या मामले से जुड़े थे और उसमें भी गिरफ्तार किया गया था. सिंह को लाहौर ले जाया गया. मुकदमे के बाद, उन्हें 23 मार्च, 1931 को राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी दे दी गई. अधिकारी ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सिंह की नजरबंदी के अलावा, स्टेशन बैंडिट क्वीन मामले के लिए भी जाना जाता है.
2014 में कांग्रेस नेताओं मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी भाजपा सरकार के विरोध में पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया था. अधिकारी ने कहा कि संसद मार्ग पुलिस स्टेशन 1913 में रायसीना हिल्स की सुरक्षा के लिए बनाया गया था, जिसमें राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक के साथ-साथ संसद भी शामिल है. पुलिस के अनुसार, तुगलक रोड पुलिस स्टेशन, जिसे 1930 में बनाया गया था और 1941 में स्थापित किया गया था, जहां गांधीजी की हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
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