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90% बच्चे स्ट्रेस और 87% को है मांसपेशियों का दर्द- सर्वे

हाल ही में की गई एक रिसर्च में 16 से 22 साल तक के 488 बच्चों को शामिल किया गया, जिसमें से 87 प्रतिशत छात्रों को मांसपेशियों के दर्द से जूझते पाया गया. वहीं, 90 फीसदी से ज्यादा बच्चों को कहीं ना कहीं ज्यादा नंबर लाने के मानसिक तनाव से भी गुजरता हुआ पाया गया. जबकि पहले उन्हें कोई ऐसी परेशानी नहीं थी.

90% बच्चे स्ट्रेस और 87% को है मांसपेशियों का दर्द- सर्वे
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Published : May 17, 2019, 9:54 PM IST

Updated : May 17, 2019, 10:19 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के छात्र इन दिनों मानसिक तनाव और मस्कुलर पेन से गुजर रहे हैं. करियर संवारने के सपने दिखाने वाले कोचिंग सेंटर छात्रों को बीमार बना रहे हैं. एक स्टडी से साफ हुआ है कि कोचिंग सेंटरों में घंटों एक ही जगह बैठना पड़ता है, पीठ को आराम ना मिलने से छात्रों की मांसपेशियों में दर्द की शिकायतें भी लगातार बढ़ रही हैं.

'पहले नहीं थी बच्चों को ऐसी परेशानी'
हाल ही में की गई एक रिसर्च में 16 से 22 साल तक के 488 बच्चों को शामिल किया गया, जिसमें से 87 प्रतिशत छात्रों को मांसपेशियों के दर्द से जूझते पाया गया. वहीं, 90 फीसदी से ज्यादा बच्चों को कहीं ना कहीं ज्यादा नंबर लाने के मानसिक तनाव से भी गुजरता हुआ पाया गया. जबकि पहले उन्हें कोई ऐसी परेशानी नहीं थी.

'488 बच्चों पर किया सर्वे'
यह स्टडी जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्रायमरी केयर ने पब्लिश की है. इस स्टडी में सफदरजंग अस्पताल के डॉ हर्षानंद पोपलवार शामिल हैं, जिनकी मदद से यह स्टडी की गई. स्टडी के दौरान पांच कोचिंग सेंटरों के 488 बच्चों के ऊपर यह सर्वे किया गया, जो रोजाना 12 से 13 घंटे तक पढ़ाई कर रहे थे. स्टडी के दौरान काफी चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं.

'90 फीसद बच्चे स्ट्रेस में'
सर्वे से पता चला कि 90 फीसद से ज्यादा बच्चों को इस बात का स्ट्रेस था कि उन्हें टॉप कैसे करना है, जबकि 87 फीसद बच्चों को मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर का शिकार पाया गया. आसान शब्दों में इसे मांसपेशियों की बीमारी भी कहा जाता है, जिसमें गर्दन, पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द और लोअर बैक पेन की समस्या हो सकती है.

मनोचिकित्सक ने दी अहम जानकारी
इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉक्टर इमरान नूरानी से बात की जो छात्रों की सोच को अच्छे से समझते हैं. डॉक्टर इमरान ने बताया कि कैसे इसमें अभिभावकों का रोल बहुत महत्व रखता है. उनकी ओर से दिए गए प्रेशर की वजह से भी छात्रों की परेशानियां बढ़ जाती हैं.

'अभिभावकों का सपोर्टिव होना जरूरी '
डॉक्टर ने बताया कि हर एक स्टूडेंट की अपनी एक अलग क्षमता होती है, उसे उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए. अभिभावकों को भी बच्चों के लिए थोड़ा सपोर्टिव होना चाहिए. उन पर इतना प्रेशर नहीं डालना चाहिए. हर स्टूडेंट अलग होता है, उसे अलग तरीके से तैयार करना चाहिए.

मनोचिकित्सक डॉ इमरान नूरानी ने बच्चों के स्ट्रेस को कम करने के दिए टिप्स

'SMART फॉर्मूला है काम का'
डॉक्टर इमरान नूरानी ने ईटीवी भारत की टीम से बातचीत करते हुए एक 5 प्वाइंट्स का फार्मूला दिया, जिसे स्मार्ट के नाम से जाना जाता है. अगर इस फार्मूले को फॉलो किया जाए तो बच्चे ना सिर्फ स्ट्रेस से बच सकेंगे बल्कि अच्छे मार्क्स भी स्कोर कर सकेंगे, लेकिन इसके लिए अभिभावकों का बच्चों के प्रति सपोर्टिव होना भी बहुत ज्यादा जरूरी है.

डॉ इमरान नूरानी के मुताबिक अभिभावकों को ऐसा एन्वायरमेंट क्रिएट करना चाहिए ताकि बच्चे उनसे अपनी छोटी सी छोटी बात शेयर कर सकें. वहीं, मस्कुलर पेन को लेकर डॉक्टर ने बताया कि बच्चों के सीटिंग आरेंजमेंट को ठीक करना होगा, जिसकी मदद से मस्कुलर पेन से बचा जा सकता है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के छात्र इन दिनों मानसिक तनाव और मस्कुलर पेन से गुजर रहे हैं. करियर संवारने के सपने दिखाने वाले कोचिंग सेंटर छात्रों को बीमार बना रहे हैं. एक स्टडी से साफ हुआ है कि कोचिंग सेंटरों में घंटों एक ही जगह बैठना पड़ता है, पीठ को आराम ना मिलने से छात्रों की मांसपेशियों में दर्द की शिकायतें भी लगातार बढ़ रही हैं.

'पहले नहीं थी बच्चों को ऐसी परेशानी'
हाल ही में की गई एक रिसर्च में 16 से 22 साल तक के 488 बच्चों को शामिल किया गया, जिसमें से 87 प्रतिशत छात्रों को मांसपेशियों के दर्द से जूझते पाया गया. वहीं, 90 फीसदी से ज्यादा बच्चों को कहीं ना कहीं ज्यादा नंबर लाने के मानसिक तनाव से भी गुजरता हुआ पाया गया. जबकि पहले उन्हें कोई ऐसी परेशानी नहीं थी.

'488 बच्चों पर किया सर्वे'
यह स्टडी जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्रायमरी केयर ने पब्लिश की है. इस स्टडी में सफदरजंग अस्पताल के डॉ हर्षानंद पोपलवार शामिल हैं, जिनकी मदद से यह स्टडी की गई. स्टडी के दौरान पांच कोचिंग सेंटरों के 488 बच्चों के ऊपर यह सर्वे किया गया, जो रोजाना 12 से 13 घंटे तक पढ़ाई कर रहे थे. स्टडी के दौरान काफी चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं.

'90 फीसद बच्चे स्ट्रेस में'
सर्वे से पता चला कि 90 फीसद से ज्यादा बच्चों को इस बात का स्ट्रेस था कि उन्हें टॉप कैसे करना है, जबकि 87 फीसद बच्चों को मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर का शिकार पाया गया. आसान शब्दों में इसे मांसपेशियों की बीमारी भी कहा जाता है, जिसमें गर्दन, पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द और लोअर बैक पेन की समस्या हो सकती है.

मनोचिकित्सक ने दी अहम जानकारी
इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉक्टर इमरान नूरानी से बात की जो छात्रों की सोच को अच्छे से समझते हैं. डॉक्टर इमरान ने बताया कि कैसे इसमें अभिभावकों का रोल बहुत महत्व रखता है. उनकी ओर से दिए गए प्रेशर की वजह से भी छात्रों की परेशानियां बढ़ जाती हैं.

'अभिभावकों का सपोर्टिव होना जरूरी '
डॉक्टर ने बताया कि हर एक स्टूडेंट की अपनी एक अलग क्षमता होती है, उसे उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए. अभिभावकों को भी बच्चों के लिए थोड़ा सपोर्टिव होना चाहिए. उन पर इतना प्रेशर नहीं डालना चाहिए. हर स्टूडेंट अलग होता है, उसे अलग तरीके से तैयार करना चाहिए.

मनोचिकित्सक डॉ इमरान नूरानी ने बच्चों के स्ट्रेस को कम करने के दिए टिप्स

'SMART फॉर्मूला है काम का'
डॉक्टर इमरान नूरानी ने ईटीवी भारत की टीम से बातचीत करते हुए एक 5 प्वाइंट्स का फार्मूला दिया, जिसे स्मार्ट के नाम से जाना जाता है. अगर इस फार्मूले को फॉलो किया जाए तो बच्चे ना सिर्फ स्ट्रेस से बच सकेंगे बल्कि अच्छे मार्क्स भी स्कोर कर सकेंगे, लेकिन इसके लिए अभिभावकों का बच्चों के प्रति सपोर्टिव होना भी बहुत ज्यादा जरूरी है.

डॉ इमरान नूरानी के मुताबिक अभिभावकों को ऐसा एन्वायरमेंट क्रिएट करना चाहिए ताकि बच्चे उनसे अपनी छोटी सी छोटी बात शेयर कर सकें. वहीं, मस्कुलर पेन को लेकर डॉक्टर ने बताया कि बच्चों के सीटिंग आरेंजमेंट को ठीक करना होगा, जिसकी मदद से मस्कुलर पेन से बचा जा सकता है.

Intro:दिल्ली के छात्र जूझ रहे हैं मानसिक तनाव से, कमरतोड़ पढ़ाई से ज्यादातर बच्चों को मांसपेशियों मे दर्द 87.1 फ़ीसदी का मांसपेशियों में दर्द की परेशानी 43 फीसदी बच्चों को लोअर बैक पेन, 488 बच्चों पर निजी संस्थान ने किया सर्वे सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर हर्षानंद पोपलवार सर्वे की टीम में शामिल


Body:दिल्ली: राजधानी दिल्ली के छात्रों की दिनों मानसिक तनाव और मस्कुलर पेन से गुजर रहे हैं करियर संवारने के सपने दिखाने वाले कोचिंग सेंटर छात्रों को बीमार बना रही है एक स्टडी से पता चला है कि कोचिंग सेंटरों की भीड़ घंटों एक ही जगह बैठे पीठ को आराम ना मिलने से छात्रों की मांसपेशियों में दर्द की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं हाल ही में हुई इस रिसर्च में 16 से 22 साल तक के 488 बच्चों को शामिल किया गया जिसमें से 87 परसेंट छात्रों को मांसपेशियों के दर्द से जूझते पाया गया वहीं 90% से ज्यादा बच्चों को कहीं ना कहीं ज्यादा नंबर लाने के मानसिक तनाव से भी गुजरता हुआ पाया जबकि पहले उन्हें कोई ऐसी परेशानी नहीं थी यह स्टडी जर्नल ऑफ़ फैमिली मेडिसिन एंड प्रायमरी केयर ने छापी है इस स्टडी में सफदरजंग अस्पताल के डॉ हर्षानंद पोपलवार शामिल है जिनकी मदद से यह स्टडी की गई स्टडी के दौरान पांच कोचिंग सेंटरों के 488 बच्चे के ऊपर यह सर्वे किया गया जो रोजाना 12 से 13 घंटे तक पढ़ाई कर रहे थे स्टडी के दौरान काफी चौकाने वाले रिजल्ट्स जिसमें पता चला 90% से ज्यादा बच्चों को इस बात का स्ट्रेस था कि उन्हें टॉप कैसे करना है जबकि 87% बच्चों को मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर का शिकार पाया गया आसान शब्दों में से मांसपेशियों की बीमारी भी कहा जाता है जिसमें गर्दन पीठ का ऊपरी हिस्सा लोअर बैक पेन की समस्या हो सकती है डॉक्टर हर्षानंद आनंद के अनुसार आजकल बच्चे जिस तरह से बेंच पर बैठते हैं उसकी वजह से उन्हें इस तरह के मस्कुलर पेन से होकर गुजरना पड़ता है
इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में डॉक्टर इमरान नूरानी जोकि साइकॉलजिस्ट है और छात्रों की सोच समझते हैं उनसे बातचीत की डॉक्टर इमरान ने ईटीवी भारत की टीम बताया इस तरह की कैसी इसमें पैरंट्स का रोल बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट हो जाता है क्योंकि आप देख सकते हैं आजकल की जो लाइफ है उसमें कितना कंपटीशन बढ़ गया है पेरेंट्स का भी प्रेशर बच्चों के ऊपर रहता है ऐसे में जो छात्र हैं उनका स्ट्रेस लेवल काफी ज्यादा बढ़ जाता है क्यों नहीं हर हालत में टॉप स्कोर करना ही है छात्र भी आजकल एक दूसरे के साथ कंपटीशन करने लगे हैं जो कि बहुत गलत है हर एक स्टूडेंट की अपनी एक अलग क्षमता होती है उसे उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए पेरेंट्स को भी बच्चों के लिए थोड़ा सपोर्टिव होना चाहिए उस पर इतना प्रेशर नहीं डालना चाहिए हर स्टूडेंट अलग होता है उसे अलग तरीके से ट्रेड करना चाहिए बच्चों को एक तरह का पॉजिटिव इन्वायरमेंट मिलना चाहिए जिसकी वजह से वह इस तरह के स्ट्रेस से ना सिर्फ दूर रहे बल्कि अच्छे से स्टडीज पर ध्यान लगाकर मार्क्स स्कोर कर सके


Conclusion:डॉक्टर इमरान नूरानी ने ईटीवी भारत की टीम से बातचीत करते हुए एक 5 प्वाइंट्स का फार्मूला दिया जिसे स्मार्ट के नाम से जाना चाहता है अगर इस फार्मूले को फॉलो किया जाए तो बच्चे ना सिर्फ स्ट्रेस से बच सकेंगे बल्कि अच्छे मार्क्स भी स्कोर कर सकेंगे लेकिन इसके लिए पेरेंट्स का बच्चों के प्रति सपोर्टिव होना भी बहुत ज्यादा जरूरी है उन्हें ऐसा इन्वायरमेंट क्रिएट करना पड़ेगा कि बच्चे अपने पैरंट्स के साथ छोटी से छोटी बात शेयर कर सके और जो उनके माइंड में स्ट्रेस है उसे दूर कर सके , मस्कुलर पेन की बात है तो उसके लिए बच्चों को अपने सीटिंग अरेंजमेंट को ठीक तरीके से करना होगा जिसकी सहायता से ही वह इस तरह की मस्कुलर पेन से बच सकते हैं
Last Updated : May 17, 2019, 10:19 PM IST
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