नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के छात्र इन दिनों मानसिक तनाव और मस्कुलर पेन से गुजर रहे हैं. करियर संवारने के सपने दिखाने वाले कोचिंग सेंटर छात्रों को बीमार बना रहे हैं. एक स्टडी से साफ हुआ है कि कोचिंग सेंटरों में घंटों एक ही जगह बैठना पड़ता है, पीठ को आराम ना मिलने से छात्रों की मांसपेशियों में दर्द की शिकायतें भी लगातार बढ़ रही हैं.
'पहले नहीं थी बच्चों को ऐसी परेशानी'
हाल ही में की गई एक रिसर्च में 16 से 22 साल तक के 488 बच्चों को शामिल किया गया, जिसमें से 87 प्रतिशत छात्रों को मांसपेशियों के दर्द से जूझते पाया गया. वहीं, 90 फीसदी से ज्यादा बच्चों को कहीं ना कहीं ज्यादा नंबर लाने के मानसिक तनाव से भी गुजरता हुआ पाया गया. जबकि पहले उन्हें कोई ऐसी परेशानी नहीं थी.
'488 बच्चों पर किया सर्वे'
यह स्टडी जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्रायमरी केयर ने पब्लिश की है. इस स्टडी में सफदरजंग अस्पताल के डॉ हर्षानंद पोपलवार शामिल हैं, जिनकी मदद से यह स्टडी की गई. स्टडी के दौरान पांच कोचिंग सेंटरों के 488 बच्चों के ऊपर यह सर्वे किया गया, जो रोजाना 12 से 13 घंटे तक पढ़ाई कर रहे थे. स्टडी के दौरान काफी चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं.
'90 फीसद बच्चे स्ट्रेस में'
सर्वे से पता चला कि 90 फीसद से ज्यादा बच्चों को इस बात का स्ट्रेस था कि उन्हें टॉप कैसे करना है, जबकि 87 फीसद बच्चों को मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर का शिकार पाया गया. आसान शब्दों में इसे मांसपेशियों की बीमारी भी कहा जाता है, जिसमें गर्दन, पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द और लोअर बैक पेन की समस्या हो सकती है.
मनोचिकित्सक ने दी अहम जानकारी
इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉक्टर इमरान नूरानी से बात की जो छात्रों की सोच को अच्छे से समझते हैं. डॉक्टर इमरान ने बताया कि कैसे इसमें अभिभावकों का रोल बहुत महत्व रखता है. उनकी ओर से दिए गए प्रेशर की वजह से भी छात्रों की परेशानियां बढ़ जाती हैं.
'अभिभावकों का सपोर्टिव होना जरूरी '
डॉक्टर ने बताया कि हर एक स्टूडेंट की अपनी एक अलग क्षमता होती है, उसे उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए. अभिभावकों को भी बच्चों के लिए थोड़ा सपोर्टिव होना चाहिए. उन पर इतना प्रेशर नहीं डालना चाहिए. हर स्टूडेंट अलग होता है, उसे अलग तरीके से तैयार करना चाहिए.
'SMART फॉर्मूला है काम का'
डॉक्टर इमरान नूरानी ने ईटीवी भारत की टीम से बातचीत करते हुए एक 5 प्वाइंट्स का फार्मूला दिया, जिसे स्मार्ट के नाम से जाना जाता है. अगर इस फार्मूले को फॉलो किया जाए तो बच्चे ना सिर्फ स्ट्रेस से बच सकेंगे बल्कि अच्छे मार्क्स भी स्कोर कर सकेंगे, लेकिन इसके लिए अभिभावकों का बच्चों के प्रति सपोर्टिव होना भी बहुत ज्यादा जरूरी है.
डॉ इमरान नूरानी के मुताबिक अभिभावकों को ऐसा एन्वायरमेंट क्रिएट करना चाहिए ताकि बच्चे उनसे अपनी छोटी सी छोटी बात शेयर कर सकें. वहीं, मस्कुलर पेन को लेकर डॉक्टर ने बताया कि बच्चों के सीटिंग आरेंजमेंट को ठीक करना होगा, जिसकी मदद से मस्कुलर पेन से बचा जा सकता है.