नई दिल्ली : राजधानी में युवाओं को अपराध से दूर रखने के लिए दिल्ली पुलिस न केवल उन्हें प्रशिक्षण दिलवाती है, बल्कि उन्हें रोजगार के मौके भी दिलवाती है. बता दें कि उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा शुरू किये गए 'युवा' कार्यक्रम के तहत दिल्ली पुलिस बीते दो वर्षों में 9 हजार से ज्यादा युवाओं को विभिन्न कोर्स करवा चुकी है.
इतना ही नहीं रोजगार मेला के माध्यम से 6 हजार युवाओं को रोजगार भी मिला है. बुधवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 22वें कौशल केंद्र का उद्घाटन किया, जो लोधी कालोनी थाने में बनाया गया है.
संयुक्त आयुक्त देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि युवा प्रोजेक्ट के तहत लोधी कॉलोनी 22वां ऐसा थाना है, जहां पर युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए कौशल विकास केंद्र खोला गया है. यहां पर 'युवा' प्रोजेक्ट के लिए एमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन कोर्स शुरू किया गया है. इसमें 130 बच्चों को पहले बैच में कोर्स करवाया जाएगा. इन सभी को प्रशिक्षित होने पर अच्छे अस्पतालों में रोजगार उपलब्ध भी करवाने के लिए भी प्रयास करेगी.
'आसान नहीं था प्रोजेक्ट को चलाना'
पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने बताया कि युवा कार्यक्रम की शुरुआत आज से 2 साल पहले हुई थी. उपराज्यपाल अनिल बैजल के निर्देश पर पुलिस ने इसकी शुरुआत की थी. उस समय यह एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि पुलिस पर पहले से ही काम का काफी बोझ रहता है. लेकिन इसके बावजूद दिल्ली पुलिस ने इस प्रोजेक्ट को बहुत अच्छे ढंग से चलाया है.
उन्होंने बताया कि अभी दिल्ली के 22 थानों में युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है. थानों में प्रशिक्षण पाने वाले लगभग 70 से 75 फीसदी युवाओं को दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए जाने वाले रोजगार मेले में नौकरी भी मिली है.
अपराध कम करने में मिलेगी मदद
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कहा कि अपना पद संभालने के बाद उन्होंने पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक से यह चर्चा की कि आखिरकार अपराध कहां से शुरू होता है. उन्हें बताया गया कि अधिकांश अपराधी पहली बार अपराध कर रहे हैं. इस पर उन्होंने यह विचार किया कि अपराध से दूर रखने के लिए युवाओं को दिल्ली पुलिस से जोड़ना चाहिए और उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने चाहिए. उन्होंने बताया कि कौशल विकास योजना के तहत इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य युवाओं को रोजगार योग्य बनाना है जिससे वह अपराध की राह पर न जाएं.
कम पढ़े-लिखे कर सकते हैं यह कोर्स
दिल्ली पुलिस के अनुसार उनके द्वारा करवाये जा रहे इन कोर्सों के लिए अधिक पढ़े लिखे होने की जरूरत नहीं है. वह बच्चों को कोर्स के दौरान बातचीत करने से लेकर उस नौकरी की बारीकियां सिखाते हैं, जिसका वह कोर्स कर रहे हैं. कोर्स करने के बाद नौकरी पाकर यह बच्चे अपना घर चलाने की जिम्मेदारी संभालते हैं.