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सप्लाई वाले पानी को नहीं होती है RO की जरूरत- रिपोर्ट - NGT report

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आरओ से ट्रीटेड पानी की क्वालिटी, फिर से मिनरल युक्त करने के विकल्प और पानी की बर्बादी को लेकर एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी है.

सप्लाई वाले पानी को RO की जरूरत नहीं- रिपोर्ट
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Published : May 30, 2019, 5:43 PM IST

नई दिल्ली: जल बोर्ड और नगर निगम द्वारा घरों में सप्लाई हो रहे पानी को शुद्ध करने के लिए लोग आरओ तकनीक का प्रयोग करते हैं, लेकिन इस पानी को आरओ से ट्रीट करना नुकसानदायक हो सकता है. क्योंकि सप्लाई की जाने वाले पानी को आरओ से ट्रीट करने की आवश्यकता नहीं है.

सप्लाई वाले पानी को RO की जरूरत नहीं- रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आरओ से ट्रीटेड पानी की क्वालिटी, फिर से मिनरल युक्त करने के विकल्प और पानी की बर्बादी को लेकर एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी है.

रिपोर्ट में किया गया ये दावा
एक्सपर्ट कमिटी ने ट्रिब्यूनल को सौंपी रिपोर्ट में दावा किया है कि मुख्यरूप से नगर पालिकाओं द्वारा सरफेस वाटर सोर्सेज जैसे नदी, तालाब और झील से पाइपलाइन द्वारा सप्लाई किया जाता है. इस पानी को आरओ तकनीक की जरूरत नहीं है. रिपोर्ट में बताया गया है कि सतह के पानी में पाए जाने वाले टीडीएस का स्तर भूजल स्रोतों की तुलना में कम पाया गया है.

एक्सपर्ट कमिटी के मुताबिक आरओ लगाने की जरूरत वहां है, जहां टीडीएस का स्तर 500 मिलीग्राम/लीटर से अधिक है. पानी में अगर टीडीएस का स्तर 500 मिलीग्राम/लीटर से कम है तो उस पानी को आरओ प्रोसेस के ज़रिए ट्रीट करने की जरूरत नहीं है.

नई दिल्ली: जल बोर्ड और नगर निगम द्वारा घरों में सप्लाई हो रहे पानी को शुद्ध करने के लिए लोग आरओ तकनीक का प्रयोग करते हैं, लेकिन इस पानी को आरओ से ट्रीट करना नुकसानदायक हो सकता है. क्योंकि सप्लाई की जाने वाले पानी को आरओ से ट्रीट करने की आवश्यकता नहीं है.

सप्लाई वाले पानी को RO की जरूरत नहीं- रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आरओ से ट्रीटेड पानी की क्वालिटी, फिर से मिनरल युक्त करने के विकल्प और पानी की बर्बादी को लेकर एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी है.

रिपोर्ट में किया गया ये दावा
एक्सपर्ट कमिटी ने ट्रिब्यूनल को सौंपी रिपोर्ट में दावा किया है कि मुख्यरूप से नगर पालिकाओं द्वारा सरफेस वाटर सोर्सेज जैसे नदी, तालाब और झील से पाइपलाइन द्वारा सप्लाई किया जाता है. इस पानी को आरओ तकनीक की जरूरत नहीं है. रिपोर्ट में बताया गया है कि सतह के पानी में पाए जाने वाले टीडीएस का स्तर भूजल स्रोतों की तुलना में कम पाया गया है.

एक्सपर्ट कमिटी के मुताबिक आरओ लगाने की जरूरत वहां है, जहां टीडीएस का स्तर 500 मिलीग्राम/लीटर से अधिक है. पानी में अगर टीडीएस का स्तर 500 मिलीग्राम/लीटर से कम है तो उस पानी को आरओ प्रोसेस के ज़रिए ट्रीट करने की जरूरत नहीं है.

Intro:जल बोर्ड और नगर निगम द्वारा घरों में सप्लाई हो रहे पानी को शुद्ध करने के लिए लोग RO तकनीक का प्रयोग करते हैं लेकिन इस पानी को RO से ट्रीट करना नुकसानदायक हो सकता है, जल बोर्ड और नगर निगम द्वारा घरों में सप्लाई की जा जाने वाले पानी को आरो से ट्रीट करने की आवश्यकता नहीं है.


Body:नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने RO से ट्रीटेड पानी की क्वालिटी, फिर से मिनरल युक्त करने के विकल्प और पानी की बर्बादी को लेकर एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी है.

एक्सपर्ट कमिटी ने ट्रिब्यूनल को सौंपी रिपोर्ट में दावा किया है कि मुख्यरूप से नगर पालिकाओं द्वारा "सरफेस वाटर सोर्सेज" जैसे नदी , तालाब और झील से पाइपलाइन द्वारा सप्लाई किया गए पानी को RO तकनीक की ज़रूरत नही है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि सतह के पानी में पाए जाने वाले TDS का स्तर भूजल स्रोतों की तुलना में कम पाया गया है.

एक्सपर्ट कमिटी के मुताबिक RO लगाने की जरूरत वहां है जहां टीडीएस का स्तर 500 मिलीग्राम पर लीटर से अधिक है.


पानी में अगर टीडीएस का स्तर 500 मिलीग्राम पर लीटर से कम है तो उस पानी को RO प्रोसेस के ज़रिए ट्रीट करने की जरूरत नहीं है.





Conclusion:यदि पानी में टीडीएस की मात्रा 500 मिलीग्राम पर लीटर से कम है और उसको RO से ट्रीट किया जा रहा है तो इसका तो इसका मतलब साफ है कि यह आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकता है.
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