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बाल मजदूरी कर रहे बच्चों को मिशन मुक्ति फाउंडेशन ने कराया आजाद

मिशन मुक्ति फाउंडेशन और चाइल्ड लेबर कमीशन ने बाल मजदूरी कर रहे 6 बच्चों को आजाद कराया है.

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Published : Sep 27, 2019, 12:15 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के ओखला इलाके में मिशन मुक्ति फाउंडेशन और चाइल्ड लेबर कमीशन ने बाल मजदूरी कर रहे 10 से 15 साल तक के बच्चों को आजाद कराया है.

बाल मजदूरी कर रहे बच्चों को कराया आजाद

आधा दर्जन बच्चों को कराया आजाद
मिशन मुक्ति फाउंडेशन और चाइल्ड लेबर कमीशन के सदस्यों ने पुलिस टीम और एसडीएम की टीम के साथ मिलकर छापेमारी की और आधा दर्जन बाल मजदूरी कर रहें बच्चो को आजाद कराया. चाइल्ड लेबर एक्ट के कानून के बावजूद भी इन बच्चों से ढाबों और दुकानों पर 10-12 घंटे से ज्यादा काम कराया जाता हैं और मजदूरी के नाम पर इन्हें कुछ पैसे दिए जाते हैं.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के ओखला इलाके में मिशन मुक्ति फाउंडेशन और चाइल्ड लेबर कमीशन ने बाल मजदूरी कर रहे 10 से 15 साल तक के बच्चों को आजाद कराया है.

बाल मजदूरी कर रहे बच्चों को कराया आजाद

आधा दर्जन बच्चों को कराया आजाद
मिशन मुक्ति फाउंडेशन और चाइल्ड लेबर कमीशन के सदस्यों ने पुलिस टीम और एसडीएम की टीम के साथ मिलकर छापेमारी की और आधा दर्जन बाल मजदूरी कर रहें बच्चो को आजाद कराया. चाइल्ड लेबर एक्ट के कानून के बावजूद भी इन बच्चों से ढाबों और दुकानों पर 10-12 घंटे से ज्यादा काम कराया जाता हैं और मजदूरी के नाम पर इन्हें कुछ पैसे दिए जाते हैं.

Intro: ओखला इलाके में मिशन मुक्ति फाउंडेशन और चाइल्ड लेबर कमीशन के सदस्यों ने पुलिस टीम और एसडीएम की टीम के साथ मिलकर छापेमारी की और आधा दर्जन बाल मजदूरी कर रहें बच्चो को आजाद कराया गया है। सभी बच्चे 10 से 15 साल की उम्र के है ।
Body: कहते है बचपन हर गम से बेगाना होता है, लेकिन इन बच्चो का बचपन ही बेगाना हो चला था। इस उम्र में जहाँ बच्चो के हाथों में कलम और किताब होनी चाहिये थी उन हाथों में घर की ज़िम्मेदारी ने इन बच्चो का बचपन ही छीन लिया। कुछ बच्चों को जबरदस्ती बाल मजदूर बनाकर उनसे काम कराया जाता हैं तो कुछ बच्चों को घर की गरीबी की हालात ने इस उम्र में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता हैं। ऐसे ही 6 मासूम बच्चों को ओखला इलाके से मिशन मुक्ति फाउंडेशन और चाइल्ड लेबर कमीशन के सदस्यों ने पुलिस के साथ मिलकर बाल मजदूरी से मुक्त कराया।

इन बच्चों से ढाबो और दुकानों पर 10-12 घंटे से ज्यादा काम कराया जाता हैं और मजदूरी ने नाम पर सिर्फ इन्हें नाम मात्र की सेलरी दी जाती हैं।

बाइट - बच्चों को मुक्त कराने वालों कीConclusion: इन बच्चों की खुशकिस्मती ही कहेगे कि अब वो आजाद है लेकिन देशभर में न जाने ऐसे कितने और बच्चे बाल मजदूरी के चंगुल में फसे हुए है। हालांकि चाइल्ड लेबर एक्ट के कानून में बदलाब कर उसे काफी शख्त बनाया जा चूका है लेकिन जरूरत है इसे सख्ती से लागू करने की जिससे देश से बाल मजदूरी पूरी तरह से बंद कराई जा सके।ताकि किसी बच्चे का बचपन बरबाद न हों
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