नई दिल्ली: सूरत के एक कोचिंग सेंटर में लगी आग ने 20 से ज्यादा बच्चों की जान ले ली. अधिकांश बच्चे अपनी जान बचाने के लिए कोचिंग सेंटर से नीचे कूदे, लेकिन मारे गए.
कोचिंग को एनओसी की जरूरत नहीं
दिल्ली में भी ऐसे सैकड़ों ट्यूशन सेंटर चल रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन्हें फायर से किसी प्रकार की एनओसी की आवश्यकता ही नहीं होती. इनके लिए किसी प्रकार की गाइडलाइन्स ही नहीं बनी है. इस पूरे मुद्दे को लेकर ईटीवी भारत ने दमकल विभाग के निदेशक विपिन केंटल से बातचीत की.
हजारों की संख्या में पढ़ते हैं छात्र
जानकारी के अनुसार दिल्ली में सैकड़ों की संख्या में कोचिंग सेंटर खुले हुए हैं. मुखर्जी नगर, लक्ष्मी नगर, उत्तम नगर, राजेन्द्र नगर, कटवरिया सराय, साउथ एक्स आदि कुछ ऐसी जगह हैं जो कोचिंग के लिए ही जानी जाती हैं. यहां पर सैकड़ों छोटे-बड़े कोचिंग सेंटर में हजारों छात्र पढ़ते हैं.
बिल्डिंग की तीसरी-चौथी मंजिल तक में कोचिंग सेंटर बने हुए हैं, लेकिन यहां भी अगर आग लग जाए तो छात्रों की जान पर आफत आना तय है क्योंकि यहां भी आग पर काबू पाने के किसी तरह के कोई इंतजाम नहीं रहते हैं.
कोचिंग के लिए नहीं कोई गाइडलाइन
फायर विभाग के निदेशक विपिन केंटल ने बताया कि राजधानी में ट्यूशन सेंटर खोलने के लिए दमकल विभाग से किसी प्रकार की अनुमति नहीं चाहिए. बिल्डिंग बायलॉज के कानून में ये आते ही नहीं हैं, क्योंकि ट्यूशन सेंटर ऊंची इमारतों में नहीं चलते हैं. कोई भी केवल ट्रेड लाइसेंस रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद कोचिंग सेंटर चला सकता है. कहीं एक कमरे में तो कहीं दो से तीन कमरों के फ्लोर पर कोचिंग सेंटर खुले हुए हैं.
तीन से चार मंजिला इमारतों में ही कोचिंग सेंटर चलते हैं, इसलिए उन्हें फायर से एनओसी की कोई आवश्यकता नहीं होती. अभी तक इससे संबंधित कोई गाइडलाइन्स ही नहीं बनी हुई हैं.
छत कवर करना सबसे खतरनाक
विपिन कैंटल ने बताया कि सूरत की घटना में ये देखने में आया है कि बिल्डिंग मिक्स्ड यूज लैंड के तहत थी. यहां नीचे दुकानें खुली हुई थीं, जबकि छत को कवर कर कोचिंग सेंटर चलाया जा रहा था. इस तरह के कोचिंग सेंटर सबसे खतरनाक होते हैं. यहां पर आग लगते ही बहुत ज्यादा गर्मी उत्पन्न होती है और धुआं भर जाता है. इसकी वजह से यहां पर छात्र खड़े नहीं हो सके और उन्हें कूदना पड़ा.
उन्होंने बताया कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमेशा छत को खाली रखना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की आगजनी में वहां जाकर खड़े हो सके. ऐसे में वहां फायरकर्मियों के पहुंचने पर उन्हें सुरक्षित निकाला जा सकता है.
दिल्ली फायर विभाग निपटने में सक्षम
दमकल विभाग के निदेशक विपिन केंटल ने बताया कि राजधानी में इस प्रकार की आगजनी से निपटने के लिए फायर विभाग पूरी तरह से सक्षम है. उन्होंने बताया कि बीते फरवरी माह में कुछ इसी प्रकार की आग करोल बाग के अर्पित होटल में लगी थी. वहां पहुंचकर फायर की टीम ने छत पर मौजूद 40 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित नीचे उतारा था.
घबराहट में तीन लोगों ने वहां से भी छलांग लगा दी थी जिनमें से दो लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना में कुल 17 लोगों की मौत हुई थी जो धुएं के चलते बाहर नहीं निकल सके थे.
कोचिंग संस्थानों के खिलाफ अभियान
विपिन केंटल ने बताया कि वह दिल्ली के विभिन्न इलाकों में चल रहे कोचिंग सेंटर के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं. वह ऐसी बिल्डिंगों में चल रहे कोचिंग सेंटर को नोटिस भेजेंगे जो उनके दायरे में आते हैं. उन्हें पता लगा है कि ऊंची इमारतों एवं ऑडिटोरियम में भी कोचिंग क्लास चल रही हैं. वहां आग से निपटने के इंतजामों की भी जांच की जाएगी और कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.
आग में फंसने पर करें यह काम
उन्होंने बताया कि आग लगने पर सबसे पहले उस कमरे को बंद कर देना चाहिए जहां आग लगी है. हमेशा बाहर निकलने के रास्ते को खाली रखना चाहिए ताकि फंसे हुए लोग इस रास्ते से बाहर निकल सकें. अगर कोई अंदर फंस जाता है तो उसे बालकनी, खिड़की या छत के पास चले जाना चाहिए.
नीचे मदद के लिए चिल्लाना चाहिए और तुरंत इसकी जानकारी दमकल को देनी चाहिए. इससे उन्हें बचने के लिए समय मिल जाता है.
हाल में हुई आगजनी की बड़ी घटनाएं
- 12 फरवरी 2019- करोल बाग के होटल अर्पित में शार्ट सर्किट से लगी आग में 17 लोगों की मौत.
- 19 नवंबर 2018- करोल बाग की एक फैक्ट्री में आग लगने से 4 लोगों की मौत, एक घायल.
- 23 अप्रैल 2018- मानसरोवर पार्क इलाके में आग लगने से 300 झुग्गियां जलकर खाक, एक लड़की की मौत.
- 13 अप्रैल 2018- कोहाट एन्क्लेव के एक घर में आग लगने से दो बच्चों सहित परिवार के चार लोगों की जलकर मौत.
- 20 जनवरी 2018- बाहरी दिल्ली के बवाना इलाके की एक फैक्ट्री में आग लगने से 10 महिलाओं सहित 17 लोगों की मौत.