नई दिल्ली/नोएडा: एनटीपीसी प्लांट के बाहर 24 गांव के किसान अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. 1 नवंबर को किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई, जिसके बाद पुलिस ने 500 किसानों पर मुकदमा दर्ज किया और 12 किसानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. जेल भेजे गए सभी किसानों को जिला न्यायालय सूरजपुर से जमानत मिल गई है. जल्द किसानों की रिहाई हो जाएगी.
500 किसानों पर पुलिस ने किया था मामला दर्ज
एनटीपीसी प्लांट पर किसान अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. किसान एनटीपीसी के प्लांट पर पहुंच गए और अधिकारियों से बात करने की मांग कर रहे थे, जिसको लेकर थाना पुलिस और किसानों के बीच झड़प हुई पुलिस ने पहले पानी की बौछारें की किसानों पर उसके बाद लाठीचार्ज की. लाठीचार्ज में महिलाओं सहित एक दर्जन से अधिक किसान घायल हो गए. उसके बाद थाना जारचा पुलिस ने 500 किसानों पर मुकदमा दर्ज किया और और किसान नेता सुखबीर खलीफा सहित 12 किसानों को जेल भेज दिया.
इन किसानों को कोर्ट से मिली जमानत
अधिवक्ता महेंद्र सिंह यादव ने बताया कि पुलिस ने 12 किसानों को जेल भेज दिया था, जिनमें किसान नेता सुखबीर खलीफा, उदल, मानवेंद्र भाटी, पंकज खारी, संकेत नागर, मोहित शर्मा, मनोज कुमार, विपिन राणा, विक्रम तोमर, सुमित तोमर, विनय और जितेंद्र राणा है. इन सभी किसानों को गुरुवार को जिला न्यायालय के सीजेएम कोर्ट से जमानत मिल गई है. किसान अभी जेल में है ओर शुक्रवार को किसानों की रिहाई हो जाएगी.
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किसानों पर दर्ज मामले से प्रशासन ने गंभीर धाराएं हटाए
किसानों की गिरफ्तारी के बाद रसूलपुर गांव में किसान जेल भेजे गए किसानों की रिहाई व अपनी मांगों को लेकर अभी बजी किसान आंदोलन कर रहे है. बीते दिनों आंदोलन कर रहे किसानों ने एलजी गोल चक्कर से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक पैदल मार्च किया, जिसके बाद जिलाधिकारी सुहास एलवाई सहित पुलिस अधिकारियों की किसानों से वार्ता हुई. इसमें किसानों पर लगी गंभीर धाराएं हटाकर किसानों की रिहाई की मांग की गई थी.
अधिकारियों ने किसानों को आश्वासन दिया कि जल्द किसानों से गंभीर धाराएं हटा ली जाएंगी. अधिवक्ता महेंद्र सिंह यादव ने बताया कि पुलिस प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए किसानों पर लगी गंभीर धाराएं 307-308 को हटा दिया है. इसके बाद अन्य जो धाराएं किसानों पर लगी हुई थी, उन सभी धाराओं में किसानों को जमानत मिल गई है.
इन मांगों को लेकर चल रहा है किसानों का आंदोलन
एनटीपीसी के लिए 24 गांवों की जमीन अधिग्रहण की गई थी. जिस समय किसानों को एक समान मुआवजा नहीं दिया गया था उसी को लेकर किसान अभी भी आंदोलन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि भू अधिनियम 1994 के तहत उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप 1986 से 1995 तक अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को एक समान मुआवजा दिया जाए. इसके साथ ही एनटीपीसी के लिए 22 सौ परिवारों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था और करार के मुताबिक प्रत्येक परिवार से एनटीपीसी में स्थाई नौकरी देने का आश्वासन दिया गया था.
अभी तक केवल 180 परिवारों के सदस्य को ही नौकरी दी गई है. साथ ही 24 गांवों में शिक्षा के लिए कॉलिज बनाने के साथ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अस्पताल बनाने की मांग किसान कर रहे हैं. एनटीपीसी से प्रभावित इन गांवों में मुफ्त बिजली देने का आश्वासन भी दिया गया था. यह सुविधाएं अभी तक नहीं दी गई हैं, इन्हीं मांग को लेकर किसान कई दशकों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और अभी एनटीपीसी के पास रसूलपुर गांव में इन्हीं मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन चल रहा है.
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