नई दिल्ली : दिल्ली में जलापूर्ति को बेहतर बनाने और उसमें सुधार करने के उद्देश्य से दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने उत्तर - पूर्वी दिल्ली स्थित सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के विभिन्न हिस्सों का निरीक्षण किया और अधिकारियों को पानी की गुणवत्ता में सुधार करने के साथ ही पानी की उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए. इस दौरान डीजेबी के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज के साथ संजय शर्मा (दिल्ली जल बोर्ड के ट्रीटमेंट और क्वालिटी कंट्रोल डायरेक्टर), अंकित श्रीवास्तव (हाइड्रोलिक्स सलाहकार), अरुण शर्मा (चीफ वाटर एनालिस्ट), दिनेश यादव (एग्जीक्यूटिव इंजीनियर), हरीश कटारिया (प्रबंधक सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) और दिव्यांशु (सीईओ नालंदा) मौजूद रहे.
दिल्ली जल बोर्ड के ट्रीटमेंट एंड क्वालिटी कंट्रोल निर्देशक संजय शर्मा ने सौरभ भारद्वाज को बताया कि सभी ट्यूबवेल के पानी की गुणवत्ता में सुधार का काम चल रहा है. जैसे ही पानी की गुणवत्ता ठीक हो जाएगी, इन सभी ट्यूबवेल को दोबारा शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग ब्रांच ने आयरन की मात्रा 5 से कम होने और हानिकारक तत्वों की मात्रा से 15 कम होने पर ट्यूबवेल चलाने की अनुमति दी थी, लेकिन बाद में सभी ट्यूबवेल्स की उचित सफाई के बाद चलाने की इजाजत दी गई थी. ट्रीटमेंट और क्वालिटी कंट्रोल निर्देशक ने यह सुझाव भी दिया कि ट्यूबल्स की उचित सफाई से पानी में प्रदूषक तत्वों की मात्रा में कमी आ सकती है.
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हाइड्रोलिक्स सलाहकार अंकित श्रीवास्तव ने भी इस सुझाव पर अपनी सहमति जताई. सभी ट्यूबवेल्स के पूरी क्षमता से चलने से सोनिया विहार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी के उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सकती है. सौरभ भारद्वाज ने अधिकारियों को पानी का उत्पादन बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठाने के निर्देश दिए.
सौरभ भारद्वाज ने निरीक्षण के दौरान पानी में प्रदूषक तत्वों का ताजा लेवल (स्तर) जानने की इच्छा जताई. उनके निर्देश पर पानी के सैंपल लिए गए और अधिकारियों को 7 दिनों में गुणवत्ता रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए. निरीक्षण के दौरान सौरभ भारद्वाज ने यह भी जानना चाहा कि ट्यूबवेल की कितनी क्षमता कम हुई है और उनकी वास्तविक क्षमता क्या है? सौरभ भारद्वाज ने अधिकारियों से पानी में हानिकारक तत्वों की मात्रा में कमी लाने के लिए सुझाव मांगे और अधिकारियों से कहा कि ट्यूबवेल के पानी में हानिकारक तत्वों को कैसे कम किया जा सकता है.
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उन्होंने कहा कि पानी की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए पानी की निरंतर मॉनिटरिंग करना आवश्यक है. अधिकारियों के सामने पानी की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए एक मैकेनिज्म यानी सिस्टम तैयार करने की इच्छा जाहिर की. उन्होंने कहा कि एक ऐसा सिस्टम तैयार किया जाए, जिससे यह पता चल सके कि कितनी ट्यूबवेल काम कर रही हैं और कितनी ट्यूबवेल बंद हैं. ट्यूबवेल से निकल रहे पानी की गुणवत्ता कैसी है? इस तरह की रियल टाइम जानकारी एक सिस्टम के जरिए ऑनलाइन साझा की जा सके.
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