नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा के दौरे के दौरान गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में प्राधिकरण, पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों और प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठक की. इस दौरान बिल्डर बायर्स की समस्या को जल्द हल करने का सीएम योगी ने आश्वासन दिया. साथ ही जिले में बढ़ रहे लिफ्ट हादसों को देखते हुए जल्द लिफ्ट एक्ट लाने की बात कही. इसके बाद भी ग्रेटर नोएडा के निवासियों में बिल्डर बायर्स की समस्या का समाधान होने का असर दिखाई नहीं दे रहा है. उनका कहना है कि आश्वासन तो पहले भी कई बार मिल चुका है, लेकिन समस्या का समाधान अभी तक नहीं हुआ है. इसको लेकर बिल्डर, प्राधिकरण और सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर पिछले कई महीनों से बायर्स प्रदर्शन कर रहे हैं.
नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक ने बताया कि इससे पहले भी लिफ्ट एक्ट और बिल्डर बायर्स की समस्या को लेकर समाधान की बातें हुई है. लिफ्ट एक्ट का मुद्दा विधानसभा में उठने के बाद उसके समाधान की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन बिल्डर और बायर्स के समाधान की बात काफी समय से चल रही है. जबकि धरातल पर कोई समाधान अब तक नहीं दिख रहा है.
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में ज्यादातर मामले बिल्डर और बायर्स के बीच है जहां पर बिल्डर को अपनी जमा पूंजी देने के बाद भी बायर्स को आशियाने नहीं मिल पा रहे हैं. वही जिन बायर्स को आशियाने मिल गए हैं उनको मालिकाना हक नहीं मिल पा रहा है. पिछले कई महीने से यहां पर बायर्स अपनी मांगों को लेकर प्रत्येक रविवार को प्रदर्शन करते हैं लेकिन उनके समाधान अभी तक नहीं हुए हैं.
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वहीं, नेफोमा के अध्यक्ष अन्नू खान ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा बिल्डर बायर्स की समस्या को हल करने का आश्वासन दिया गया है. लेकिन इससे पहले भी जब 2014 में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी उस समय एक समिति बनाई गई थी और उस समिति में बिल्डर व बायर्स की समस्याओं का निस्तारण करने का आश्वासन दिया गया था. उसके बाद फिर 2017 में विधानसभा चुनाव हुए और दोबारा से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने, लेकिन उसके बाद भी ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिल्डर और बायर्स की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया है. अब 2024 में लोकसभा चुनाव है अब फिर मुख्यमंत्री के द्वारा बिल्डर बायर्स की समस्या को हल करने का आश्वासन दिया गया है.
अन्नू खान ने कहा कि यहां पर बिल्डर की मनमानी चल रही है. बायर्स के द्वारा मोटी रकम देने के बाद भी उन्हें अपने फ्लैट नहीं मिल रहे हैं. बाकी जिनको फ्लैट मिल गए हैं उनको मालिकाना हक नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते बायर्स यहां लगातार प्रदर्शन करने को मजबूर है.
यहां पर बिल्डर के द्वारा अपने ठेकेदार से कोर्ट में केस (मामला) डलवा कर खुद को ही दिवालिया घोषित किया जा रहा है. जिसके बाद मामला एनसीएलटी में चला जाता है और वहां पर एनसीएलटी के द्वारा उसी बिल्डर के सहयोगियों में से एक को चुनकर दोबारा प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. जिसके बाद दूसरा बिल्डर बायर्स से अतिरिक्त रुपए की मांग कर रहे हैं लगातार बायर्स की समस्याएं बढ़ती जा रही है लेकिन उनका समाधान होता कहीं भी नजर नहीं आ रहा.
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