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नजफगढ़ के चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वैदिक चरक संस्थान में ACB ने दर्ज की FIR, भर्ती मामले में जल्द होगी गिरफ्तारी

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 19, 2023, 2:03 PM IST

ACB registers FIR :नजफगढ़ के खेरा डाबर के चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वैदिक चरक संस्थान में एसीबी बड़ी कार्रवाई करने जा रही हैं.संस्थान में ऑफिस सुप्रीटेंडेंट और अन्य के खिलाफ जांच के बाद चीटिंग सहित कई धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है .मामला दर्ज हो जाने के बाद एसीबी इनके जल्द गिरफ्तार होने की बात कह रही है .

चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वैदिक चरक संस्थान में एसीबी बड़ी कार्रवाई
चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वैदिक चरक संस्थान में एसीबी बड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली: दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा दिल्ली देहात के नजफगढ़ स्थित खेरा डाबर के चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वैदिक चरक संस्थान में ऑफिस सुप्रीटेंडेंट और अन्य के खिलाफ जांच के बाद चीटिंग सहित कई धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है .मामला दर्कज होने के बाद अब इस मामले में कई आरोपीयों के खिलाफ गिरफ्तारी की तलवार भी लटक गई है. जिसमें नियुक्ति के समय मौजूद तत्कालीन ऑफिस सुप्रीटेंडेंट से लेकर नियुक्त किए गए एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर भी संदेह के घेरे में हैं. क्योंकि इन दोनो पदों की भर्ती में अनियमितता बरती गई थी.

एसीबी के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर मधुर वर्मा के अनुसार भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के अलावा पीजी पाठ्यक्रमों के लिए फर्जी और जाली रिपोर्ट तैयार की गई. पाठकर्मों के लिए की गई भर्ती प्रक्रिया को फाइलों को लिंक भी नहीं किया गया था. यह मामला संज्ञान में आने के बाद इसकी पड़ताल की गई. अस्पताल की कमेटी ने आरोप सही पाने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से मामले की शिकायत की थी. डायरेक्टर प्रिंसिपल की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई थी.

ये भी पढ़े : IRCTC घोटाले से जुड़े मनी लॉड्रिंग मामले की सुनवाई टली, तेजस्वी यादव ने विदेश जाने की मांगी अनुमति

ईसीबी के चीफ मधुर वर्मा ने बताया कि 18 मार्च 2020 को डायरेक्टर प्रिंसिपल प्रोफेसर विधुला गुर्जर ने एक शिकायत दी थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि ऑफिस सुप्रीटेंडेंट ने एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं बरती है. उसने न सिर्फ पीजी पाठ्यक्रमों के लिए फर्जी और जाली रिपोर्ट बनाई बल्कि पीजी पाठ्यक्रमों के लिए भर्ती की फाइलों को लिंक भी नहीं किया. मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया था .उसकी जांच रिपोर्ट में पाया गया कि दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया था.

पूरी प्रक्रिया के दौरान जांच में कई नई विसंगतियां पाई गई थी. सुप्रीटेंडेंट ने नियमों का पालन किए बिना अतिरिक्त रिक्तियां बनाई और एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए डॉक्टर आलोक कुमार अस्थाना और डॉक्टर मुकेश कुमार शर्मा को गलत तरीके से भर्ती कर दिया. दोनों के पास इन पदों के लिए आवश्यक योग्यता नहीं थी .भर्ती प्रक्रिया की जांच समिति ने पहले उन्हें अयोग्य करार दिया था. उसके बाद दूसरी जांच समिति ने दोनों को पदों के लिए सही करार देकर इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट किया.इसके बाद दोनों का नाम शॉर्ट लिस्ट कर उनकी तैनाती कर दी गई. जांच कमेटी ने तत्कालीन सुप्रीटेंडेंट राजेश तंवर और अन्य को इस पूरे मामले में आरोपी पाया। अब इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद इस मामले में जल्द कई गिरफ्तारी हो सकती है.

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नई दिल्ली: दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा दिल्ली देहात के नजफगढ़ स्थित खेरा डाबर के चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वैदिक चरक संस्थान में ऑफिस सुप्रीटेंडेंट और अन्य के खिलाफ जांच के बाद चीटिंग सहित कई धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है .मामला दर्कज होने के बाद अब इस मामले में कई आरोपीयों के खिलाफ गिरफ्तारी की तलवार भी लटक गई है. जिसमें नियुक्ति के समय मौजूद तत्कालीन ऑफिस सुप्रीटेंडेंट से लेकर नियुक्त किए गए एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर भी संदेह के घेरे में हैं. क्योंकि इन दोनो पदों की भर्ती में अनियमितता बरती गई थी.

एसीबी के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर मधुर वर्मा के अनुसार भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के अलावा पीजी पाठ्यक्रमों के लिए फर्जी और जाली रिपोर्ट तैयार की गई. पाठकर्मों के लिए की गई भर्ती प्रक्रिया को फाइलों को लिंक भी नहीं किया गया था. यह मामला संज्ञान में आने के बाद इसकी पड़ताल की गई. अस्पताल की कमेटी ने आरोप सही पाने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से मामले की शिकायत की थी. डायरेक्टर प्रिंसिपल की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई थी.

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ईसीबी के चीफ मधुर वर्मा ने बताया कि 18 मार्च 2020 को डायरेक्टर प्रिंसिपल प्रोफेसर विधुला गुर्जर ने एक शिकायत दी थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि ऑफिस सुप्रीटेंडेंट ने एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं बरती है. उसने न सिर्फ पीजी पाठ्यक्रमों के लिए फर्जी और जाली रिपोर्ट बनाई बल्कि पीजी पाठ्यक्रमों के लिए भर्ती की फाइलों को लिंक भी नहीं किया. मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया था .उसकी जांच रिपोर्ट में पाया गया कि दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया था.

पूरी प्रक्रिया के दौरान जांच में कई नई विसंगतियां पाई गई थी. सुप्रीटेंडेंट ने नियमों का पालन किए बिना अतिरिक्त रिक्तियां बनाई और एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए डॉक्टर आलोक कुमार अस्थाना और डॉक्टर मुकेश कुमार शर्मा को गलत तरीके से भर्ती कर दिया. दोनों के पास इन पदों के लिए आवश्यक योग्यता नहीं थी .भर्ती प्रक्रिया की जांच समिति ने पहले उन्हें अयोग्य करार दिया था. उसके बाद दूसरी जांच समिति ने दोनों को पदों के लिए सही करार देकर इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट किया.इसके बाद दोनों का नाम शॉर्ट लिस्ट कर उनकी तैनाती कर दी गई. जांच कमेटी ने तत्कालीन सुप्रीटेंडेंट राजेश तंवर और अन्य को इस पूरे मामले में आरोपी पाया। अब इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद इस मामले में जल्द कई गिरफ्तारी हो सकती है.

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