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दिल्ली में कांटे की टक्कर! पिछले लोकसभा चुनाव से 5 प्रतिशत कम हुआ मतदान

दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर मतदान प्रतिशत पिछले लोकसभा चुनाव 2014 के अपेक्षा पांच प्रतिशत कम हुआ. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इसका असर मुकाबले में देखने को मिल सकता है. जिसका फैसला 23 मई को होगा.

दिल्ली में कांटे की टक्कर
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Published : May 13, 2019, 6:56 PM IST

नई दिल्लीः राजधानी में लोकसभा की सातों सीटों पर मतदान हो चुके हैं. यहां पर वोटिंग प्रतिशत 60.50 फ़ीसदी रहा, जबकि पिछली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत 65 फ़ीसदी तक था, यानी इस बार लगभग 5% कम मतदान हुए हैं. अब राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मुकाबला टक्कर का होगा.

बता दें कि उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में सबसे ज्यादा वोटर हैं, पर यहां सिर्फ 59% मतदान ही हुआ है. जबकि नई दिल्ली सीट पर सबसे ज्यादा पढ़े लिखे मतदाताओं की संख्या है, वहां पर 56% केवल मतदान हुआ. ये आंकड़ा हैरान कर देने वाला है.

वहीं वोटिंग प्रतिशत कम होने के पीछे एक तर्क दिया जा रहा है कि सुबह से ही बहुत जगहों पर वीवीपैट की मशीन काम नहीं कर रही थी. जिसके कारण लंबी-लंबी कतारें लग गई और बिना वोट दिये बहुत से मतदाता वापस लौट गए. वहीं मशीनों को आने में काफी ज्यादा समय लग गया, जिसकी वजह से काफी बड़ी तादात में लोगों ने वोट नहीं किया.

दिल्ली में कांटे की टक्कर

7 करोड़ चुनाव आयोग ने किया खर्च
हालांकि इस बार मतदान केंद्रों पर लोगों के बैठने, पानी पीने और बच्चों की देखभाल के लिए तमाम तरह की सुविधाएं दी गई थी लेकिन उसके बावजूद भी वोटिंग के लिए लोगों में वह उत्साह नहीं दिखा. यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस बार दिल्ली के मतदाताओं को जागरूक करने के लिए चुनाव आयोग ने भी सात करोड़ जैसी मोटी रकम खर्च की थी. इसके बावजूद वोटिंग प्रतिशत कम हो गई.

कोई हिंसक घटना नहीं हुई
इस बीच अच्छी बात ये रही कि दिल्ली में कोई हिंसक घटना नहीं हुई. वैसे चुनाव आयोग ने दिल्ली में मॉडल पोलिंग बूथ भी बनाया था, जिसका उदाहरण पिंक पोलिंग बूथ था. जो तारीफ के काबिल है लेकिन ये सुविधाएं भी मतदान प्रतिशत को बढ़ाने में मददगार साबित नहीं हुई. हालांकि अब दिल्ली के सभी राजनीतित दलों को 23 मई को आने वाले नतीजों इंतजार है.

नई दिल्लीः राजधानी में लोकसभा की सातों सीटों पर मतदान हो चुके हैं. यहां पर वोटिंग प्रतिशत 60.50 फ़ीसदी रहा, जबकि पिछली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत 65 फ़ीसदी तक था, यानी इस बार लगभग 5% कम मतदान हुए हैं. अब राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मुकाबला टक्कर का होगा.

बता दें कि उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में सबसे ज्यादा वोटर हैं, पर यहां सिर्फ 59% मतदान ही हुआ है. जबकि नई दिल्ली सीट पर सबसे ज्यादा पढ़े लिखे मतदाताओं की संख्या है, वहां पर 56% केवल मतदान हुआ. ये आंकड़ा हैरान कर देने वाला है.

वहीं वोटिंग प्रतिशत कम होने के पीछे एक तर्क दिया जा रहा है कि सुबह से ही बहुत जगहों पर वीवीपैट की मशीन काम नहीं कर रही थी. जिसके कारण लंबी-लंबी कतारें लग गई और बिना वोट दिये बहुत से मतदाता वापस लौट गए. वहीं मशीनों को आने में काफी ज्यादा समय लग गया, जिसकी वजह से काफी बड़ी तादात में लोगों ने वोट नहीं किया.

दिल्ली में कांटे की टक्कर

7 करोड़ चुनाव आयोग ने किया खर्च
हालांकि इस बार मतदान केंद्रों पर लोगों के बैठने, पानी पीने और बच्चों की देखभाल के लिए तमाम तरह की सुविधाएं दी गई थी लेकिन उसके बावजूद भी वोटिंग के लिए लोगों में वह उत्साह नहीं दिखा. यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस बार दिल्ली के मतदाताओं को जागरूक करने के लिए चुनाव आयोग ने भी सात करोड़ जैसी मोटी रकम खर्च की थी. इसके बावजूद वोटिंग प्रतिशत कम हो गई.

कोई हिंसक घटना नहीं हुई
इस बीच अच्छी बात ये रही कि दिल्ली में कोई हिंसक घटना नहीं हुई. वैसे चुनाव आयोग ने दिल्ली में मॉडल पोलिंग बूथ भी बनाया था, जिसका उदाहरण पिंक पोलिंग बूथ था. जो तारीफ के काबिल है लेकिन ये सुविधाएं भी मतदान प्रतिशत को बढ़ाने में मददगार साबित नहीं हुई. हालांकि अब दिल्ली के सभी राजनीतित दलों को 23 मई को आने वाले नतीजों इंतजार है.

Intro:देश की राजधानी दिल्ली में लोकसभा की सातों सीटों पर हुए कम मतदान की वजह से जबरदस्त होगा मुकाबला सभी पार्टियों के वोट शेयर पर पड़ेगा असर 23 मई को खुलेंगे मतदान की पेटी तब सामने आएगी जबरदस्त जंग


Body:दिल्लीः देश की राजधानी देश की लोकसभा की सातों सीटों पर मतदान प्रतिशत सिर्फ 60 दशमलव 50 फ़ीसदी रहा है जबकि पिछली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत ल 65 फ़ीसदी तक रहा था यानी इस बार लगभग 5% कम मतदान हुए हैं जिसका सीधा सीधा असर जो है सभी राजनीतिक पार्टियों के वोट शेयर पर कहीं ना कहीं पड़ता नजर आ रहा है जिसकी वजह से जो मुकाबले हैं वह काफी जबरदस्त और दिलचस्प होने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है नॉर्थ वेस्ट दिल्ली जहां पर सबसे ज्यादा वोटर है वहां पर सिर्फ 59% मतदान होना बेहद चौका देने वाला है जबकि नई दिल्ली जहां पर सबसे ज्यादा पढ़े लिखे लोग हैं वहां पर 56% केवल मतदान होना जो कि पिछले काफी सालों में सबसे कम है एक और हैरान कर देने वाला आंकड़ा है जो सामने आ रहा है आपको बता दें कि राजधानी दिल्ली में पिछले काफी सालों में जो वोटिंग का प्रतिशत तक कभी भी 65% के आंकड़े से ऊपर नहीं गया है ऐसे में एक बार फिर राजधानी दिल्ली में जो मतदान का प्रतिशत है वह 60.50 फ़ीसदी तक रुक कर रह गया है जिसके पीछे जो बड़ा कारण बताया जा रहा है कि सुबह जल्दी ही वीवीपैट की मशीन सही तरीके से काम नहीं करती साथी साथ दिनभर कहीं ना कहीं दिल्ली में छोटी मोटी जगह पर कभी मशीने हैंग हो जाती थी या कभी मशीनों के खराब होने की खबरें सामने आती रही लोगों को काफी लंबी लंबी कतारों में वेट करना पड़ा कुछ लोग बिना अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग करें वापस घर चले गए क्योंकि मशीनें खराब हो गई थी और उनका विकल्प मौजूद नहीं था मशीनों को आने में काफी ज्यादा समय लगा जिसकी वजह से काफी बड़ी तादात में लोग घर वापस भी चले गए हालांकि इस बार मतदान केंद्रों पर लोगों के बैठने के लिए पानी पीने के लिए साथ ही साथ उनके बच्चों की देखभाल के लिए तमाम तरह की सुविधाएं दी गई थी लेकिन उसके बावजूद भी वोटिंग के लिए लोगों में वह उत्साह नहीं दिखा दो दिखना चाहिए था आपको बता दें कि इस बार दिल्ली के चुनाव आयोग ने भी सात करोड़ जैसी मोटी रकम खर्च की थी दिल्ली के मतदाताओं को जागरूक करने के लिए क्या कर कर के अपने मत के अधिकार का प्रयोग जो है उसका इस्तेमाल करना बहुत ज्यादा जरूरी है क्यों मतदान के अधिकार का प्रयोग कर आ जा लेकिन उसके बावजूद भी दिल्ली का जो मतों का प्रतिशत है वह काफी कम रहा लेकिन तमाम अड़चनों के बाद भी जिस तरह से चुनाव आयोग ने काम करा लोगों को जागरूक करें यहां तक कि बिना किसी हिंसक घटना की राजधानी दिल्ली में चुनावों को सफल करवाया यह बहुत बड़ी बात है हालांकि लोग इतनी तादाद में नहीं आया लेकिन जितनी भी तादात में है उसके लिए चुनाव आयोग की तारीफ करना जरूर बनता है क्योंकि उन्होंने लोगों को जिस तरह से जागरूक करा उन्होंने लोगों को बताया कि मतदान की क्या अहमियत है उनकी जिंदगी में इसलिए मतदान करना चाहिए आयोग ने अपनी पूरी तरीके से कोशिश की लेकिन कुछ तकनीकी खराबी की वजह से कहीं ना कहीं जो है मतदान का प्रतिशत कम रहा


Conclusion:बहरहाल कुल मिलाकर देखा जाए तो राजधानी दिल्ली की सातों सीटों पर मतदान केवल 60.50 चुनाव आयोग का इस बार दिल्ली में मॉडल पोलिंग बूथ पिंक पोलिंग बूथ जैसी तमाम नई चीजें शुरू की गई जो तारीफ के काबिल है लेकिन इस वोटिंग से एक बात तो साफ हो गया कि 23 मई को जब नतीजे की पेटियां खुलेगी मतों की काउंटिंग होगी , मुकाबला जो है काफी क्लोज रहने वाले हैं ज्यादा सीटों पर जान दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलने वाले हैं वहां पर काफी ज्यादा दिलचस्प होगा क्योंकि इस बार वोटिंग परसेंटेज जो है कमरा है सभी पार्टियों का वोट शेयर भी कम रहेगा जिसकी वजह से जो जीत का प्रतिशत है अजीत का जो मार्जन हम कहते हैं जिसे वह काफी कम रहने वाला जिसकी वजह से राजधानी दिल्ली की सातों सीटों पर टक्कर काफी जबरदस्त होगी अब इंतजार है तो सिर्फ 23 तारीख का जब नतीजे सामने आएंगे
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