नई दिल्ली: क्या आपको मांसपेशियों में अकड़न का अनुभव होता है? क्या आप जोड़ों की सूजन के कारण अपने दैनिक कार्य आराम से करने में संघर्ष कर रहे हैं? यदि हां, तो आप गठिया से पीड़ित हो सकते हैं. इस लेख में, हम गठिया के संकेतों और लक्षणों पर चर्चा करेंगे और डॉक्टरों द्वारा बताए गए निवारक उपायों पर भी बात करेंगे
क्या है आर्थराइटिस की समस्या?
आर्थराइटिस या गठिया, दुनियाभर में तेजी से बढ़ती बीमारियों में से एक है, ये आपके चलने-उठने से लेकर जीवन के कई सामान्य कार्यों के लिए मुश्किल बढ़ा सकती है. आर्थराइटिस को कुछ दशकों पहले तक उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्या के तौर पर जाना जाता था पर अब कम उम्र के युवा भी इसके शिकार हो रहे हैं. आर्थराइटिस, आपके जोड़ों में सूजन और दर्द की समस्या है जो आमतौर पर उम्र के साथ बदतर होती जाती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड आर्थराइटिस, गठिया के सबसे आम प्रकार हैं।
क्या हैं आर्थराइटिस के कारण?
एम्स की सीनियर डॉक्टर उमा कुमार का कहना है कि आर्थराइटिस के कई कारण हो सकते हैं, यह बीमारी या इससे ग्रसित होने वाले लोग भारत में बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं. जिसका सबसे बड़ा कारण है, खान-पान और लोगों की लाइफ स्टाइल, मौजूदा दौर में लोगों के खान-पान के कारण होने वाला मोटापा अर्थराइटिस का कारण बन सकता है. साथ ही साथ हमारे दिनचर्या में मोबाइल पर काम करना, लैपटॉप पर काम करना, ऑफिस में कुर्सी पर देर तक बैठना, या चोट लगने से कार्टिलेज का स्तर घटने लगता है. इससे शरीर कमज़ोर होने लगता है और ये समस्या बढ़ जाती है.
क्या है अर्थराइटिस के लक्षण
डॉक्टर उमा का कहना है कि लंबे वक्त तक फोन देखना या बैठने पर इस बीमारी से ग्रस्त लोगों के जोड़ों में ऐंठन का एहसास होने लगता है. उठने-बैठने के वक्त, सीढ़ियां चढ़ते समय और घुटने मोड़कर योग करते वक्त यह दर्द अगर बढ़ने लगे, तो ये अर्थराइटिस की समस्या का एक संकेत हो सकता है. अगर आप इस समस्या का अनुभव कर रहे हैं, तो इसे हल्के में न लें डॉक्टर की सलाह लें.
अगर आप देर तक एक ही कुर्सी पर बैठी रहती हैं, तो इससे पैरों में, घुटनों में और हाथों में झनझनाहट लगने लगती है. या आपको बार बार सूजन की समस्या झेलनी पड़ रही है तो डॉक्टरी जांच आवश्यक है.
आर्थराइटिस का इलाज और बचाव
डॉक्टर उमा के मुताबिक दवाओं-थेरेपी और व्यायाम के माध्यम से इसके लक्षणों को कम किया जाता है. एंटी-इंफ्लामेरी दवाएं, फिजिकल थेरेपी की मदद से लक्षणों में सुधार करके क्वालिटी ऑफ लाइफ को सही किया जा सकता है.
- दिन भर में कुछ वक्त एक्सरसाइज़ करना बेहद जरूरी है. इससे शारीरिक अंगों में मौजूद स्टिफनेस दूर होने लगती है.
- पानी बार-बार पिएं और बॉडी में वॉटर लेवल को मेंटेन रखें. इससे शरीर के बाकी अंगों में थकान की समस्या नहीं रहती है.
- दिनभर में कुछ देर वॉक के लिए निकालें. इससे शरीर को वजन नियंत्रित रहता है. कई प्रकार की बीमारियों से भी बचाता है.