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साप्ताहिक बाजार न खुलने से छोटे दुकानदारों पर मुसीबत, दी आंदोलन की चेतावनी

दिल्ली में अनलॉक होने के बाद सभी छोटे-बड़े बाजार भी खोल दिए गए हैं लेकिन साप्ताहिक बाजार पर अभी भी रोक लगी हुई है. जिसके चलते दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. साप्ताहिक बाजार चिराग दिल्ली के कई प्रधानों ने आदेश गुप्ता से भी मुलाकात की है. जिसमें उन्हें बाजार लगाने की छूट देने का आश्वासन मिला है. उन्होंने कहा कि यदि सोमवार को बाजार खोलने की अनुमति नहीं दी गई तो वे धरने पर बैठ जाएंगे.

weekly market shopkeepers demanded the administration to open market delhi
साप्ताहिक बाजार न खुलने से छोटे दुकानदारों पर मुसीबत
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Published : Jul 24, 2021, 2:39 AM IST

Updated : Aug 17, 2021, 8:51 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी में अनलॉक होने के बाद सभी छोटे-बड़े बाजार भी खोल दिए गए हैं. लेकिन साप्ताहिक बाजार पर अभी भी रोक लगी हुई है. जिससे साप्ताहिक बाजार लगाकर अपना गुजारा करने वाले लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. जिसके चलते आज कई प्रधानों ने आदेश गुप्ता से भी मुलाकात की है. जिसमें उन्होंने एमसीडी की तरफ से कोई रोक-टोक न करने का आश्वासन दिया है. दुकानदारों को उम्मीद है कि उन्हें छूट मिलेगी और साप्ताहिक बाजार खोल दिया जाएगा.


चिराग दिल्ली के सड़क किनारे फुटपाथ पर सप्ताह में 1 दिन का बाजार लगाया जाता था. लेकिन अब सन्नाटा पसरा हुआ है. सरकार ने इन बाजारों पर रोक लगा रखी है. छोटे दुकानदारों का आशा है कि इस सोमवार से उनकी रोजी फिर शुरू हो जाएगी और सरकार उन्हें बाजार खोलने की छूट देगी.

साप्ताहिक बाजार न खुलने से छोटे दुकानदारों पर मुसीबत

चिराग दिल्ली साप्ताहिक बाजार के प्रधान हरीश चंद्र नारंग ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर आज वीकली बाजार के कई प्रधानों ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता से मुलाकात की. जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि एमसीडी की तरफ से कोई रोक-टोक नहीं होगी और सोमवार से बाजार खोल दिया जाएगा लेकिन एसडीएमसी और डीएम की तरफ से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला. हमें डर है कि अगर हम बाजार लगाएंगे तो कहीं हम पर कार्रवाई ना हो.

उन्होंने कहा कि दिल्ली के लगभग सभी बड़े बाजार सरोजनी नगर सेंट्रल मार्केट और सदर बाजार जैसी बड़ी-बड़ी बजारें खुल रही हैं, जहां रोज भीड़ आती है लेकिन हमारा सप्ताह में 1 दिन का बाजार होता है, उसे बंद किया गया है. इस बाजार से हमारी रोजी-रोटी चलती है. अगर बाजार बंद रहेगा तो हम अपने बच्चों को कैसे पालेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें किराया पूरा देना पड़ रहा है लेकिन दुकान नहीं खोल पा रहे हैं जिसकी वजह से काफी नुकसान भी झेलना पड़ रहा है.

हरीश चंद्र नागर का कहना है कि देश में किसान आंदोलन कर रहे हैं, वहां कोई कोरोना नहीं है. देश में नेता आंदोलन करते हैं, वहां कुछ नहीं होता. लेकिन जब हम साप्ताहिक बाजार खोलने की बात करते हैं तो हमें यह कह दिया जाता है कि कोरोना फैल जाएगा. आखिर हमारे साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है.

उन्होंने मांग की है कि सभी बाजारों की तरह साप्ताहिक बाजार को भी खोला जाय. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर सोमवार के बाद हम धरना प्रदर्शन करेंगे क्योंकि यह हमारी रोजी-रोटी का सवाल है और ऐसे में जो हमारे गरीब छोटे छोटे-छोटे बाजार हैं, जिनका घर बार सब कुछ साप्ताहिक बाजार से चल रहा है. ऐसे में उनके परिवार पर भी मुसीबत आ पड़ी है. अगर इस तरह से हमारा बाजार नहीं खोला गया तो हम रोड पर आ जाएंगे.

नई दिल्ली: राजधानी में अनलॉक होने के बाद सभी छोटे-बड़े बाजार भी खोल दिए गए हैं. लेकिन साप्ताहिक बाजार पर अभी भी रोक लगी हुई है. जिससे साप्ताहिक बाजार लगाकर अपना गुजारा करने वाले लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. जिसके चलते आज कई प्रधानों ने आदेश गुप्ता से भी मुलाकात की है. जिसमें उन्होंने एमसीडी की तरफ से कोई रोक-टोक न करने का आश्वासन दिया है. दुकानदारों को उम्मीद है कि उन्हें छूट मिलेगी और साप्ताहिक बाजार खोल दिया जाएगा.


चिराग दिल्ली के सड़क किनारे फुटपाथ पर सप्ताह में 1 दिन का बाजार लगाया जाता था. लेकिन अब सन्नाटा पसरा हुआ है. सरकार ने इन बाजारों पर रोक लगा रखी है. छोटे दुकानदारों का आशा है कि इस सोमवार से उनकी रोजी फिर शुरू हो जाएगी और सरकार उन्हें बाजार खोलने की छूट देगी.

साप्ताहिक बाजार न खुलने से छोटे दुकानदारों पर मुसीबत

चिराग दिल्ली साप्ताहिक बाजार के प्रधान हरीश चंद्र नारंग ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर आज वीकली बाजार के कई प्रधानों ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता से मुलाकात की. जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि एमसीडी की तरफ से कोई रोक-टोक नहीं होगी और सोमवार से बाजार खोल दिया जाएगा लेकिन एसडीएमसी और डीएम की तरफ से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला. हमें डर है कि अगर हम बाजार लगाएंगे तो कहीं हम पर कार्रवाई ना हो.

उन्होंने कहा कि दिल्ली के लगभग सभी बड़े बाजार सरोजनी नगर सेंट्रल मार्केट और सदर बाजार जैसी बड़ी-बड़ी बजारें खुल रही हैं, जहां रोज भीड़ आती है लेकिन हमारा सप्ताह में 1 दिन का बाजार होता है, उसे बंद किया गया है. इस बाजार से हमारी रोजी-रोटी चलती है. अगर बाजार बंद रहेगा तो हम अपने बच्चों को कैसे पालेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें किराया पूरा देना पड़ रहा है लेकिन दुकान नहीं खोल पा रहे हैं जिसकी वजह से काफी नुकसान भी झेलना पड़ रहा है.

हरीश चंद्र नागर का कहना है कि देश में किसान आंदोलन कर रहे हैं, वहां कोई कोरोना नहीं है. देश में नेता आंदोलन करते हैं, वहां कुछ नहीं होता. लेकिन जब हम साप्ताहिक बाजार खोलने की बात करते हैं तो हमें यह कह दिया जाता है कि कोरोना फैल जाएगा. आखिर हमारे साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है.

उन्होंने मांग की है कि सभी बाजारों की तरह साप्ताहिक बाजार को भी खोला जाय. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर सोमवार के बाद हम धरना प्रदर्शन करेंगे क्योंकि यह हमारी रोजी-रोटी का सवाल है और ऐसे में जो हमारे गरीब छोटे छोटे-छोटे बाजार हैं, जिनका घर बार सब कुछ साप्ताहिक बाजार से चल रहा है. ऐसे में उनके परिवार पर भी मुसीबत आ पड़ी है. अगर इस तरह से हमारा बाजार नहीं खोला गया तो हम रोड पर आ जाएंगे.

Last Updated : Aug 17, 2021, 8:51 AM IST
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