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कोरोना वैक्सीन रेमडेसिवीर: FDA ने सराहा, WHO-ICMR ने नकारा, डॉक्टर कंफ्यूज

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Published : Oct 26, 2020, 6:18 PM IST

Updated : Oct 27, 2020, 9:32 AM IST

कोरोना के लिए जिसे काल समझा जा रहा था आज वह बेकार हो गया है. प्लाज्मा थेरेपी के बाद सबसे ज्यादा रेमडेसिवीर एंटी वायरल का इस्तेमाल कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए किया गया, लेकिन अब रेमडेसिवीर को आईसीएमआर और डब्लूएचओ ने बेअसर घोषित कर दिया है. साथ ही इसे कोरोना के ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल की पहली पंक्ति से हटाने की सलाह दी है.

Corona vaccine remadecivir
कोरोना वैक्सीन रेमडेसिवीर

नई दिल्ली: सर्दी की आहट के साथ ही एक बार फिर दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं. इस दौरान कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार लगातार त्योहार के मौसम में लोगों से सुरक्षा के तमाम उपाय अपनाने की अपील कर रही है. कोरोना के इलाज के लिए पहली पंक्ति की दवाइयों में एंटी वायरल रेमडेसिवीर कुछ समय पहले तक प्रभावी मानी जाती थी, लेकिन आईसीएमआर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रेमडेसिवीर कोरोना मरीजों के इलाज में कारगर नहीं है. दिलचस्प यह है कि आईसीएमआर की इस टिप्पणी के बाद अमेरिकी एजेंसी एफडीए ने कोरोना मरीजों के इलाज में रेमेडेसेवीर को काफी प्रभावी बताते हुए कोरोना मरीजों के इलाज के लिए निर्धारित ट्रीटमेंट प्रोटोकोल के तहत इस दवाई को भी प्रमुखता से शामिल किया है.

रेमडेसिवीर कोरोना के लिए नहीं है रामबाण
कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टर्स के सामने बड़ी दुविधा

इस एंटी वायरल दवाई को भारत की सर्वोच्च वैज्ञानिक एवं शोध संस्थान आईसीएमआर ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अप्रभावी बताया है. उसी को अमेरिकी एजेंसी ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अप्रूवल दे दी है. ऐसे में भारतीय डॉक्टरों के सामने बड़ी दुविधा यह है कि ट्रीटमेंट प्रोटोकोल के तहत रेमडेसिवीर शामिल करें या ना करें. मरीजों को इस बात की जानकारी नहीं होती है और ना ही उन्हें इस बात की जानकारी दी जाती है कि उनके कोरोना के इलाज के लिए कौन-कौन सी दवाइयां दी जा रही है, और उन दवाइयों के क्या दुष्प्रभाव हैं.

Remdesivir
कोरोना वैक्सीन रेमडेसिवीर

असरहीन है रेमडेसिवीर: डब्लूएचओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अमेरिकी एजेंसी एफडीए के विपरीत रेमडेसिवीर को कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए उचित नहीं बताया है, क्योंकि इस दवाई का या तो कम असर पड़ता है या बिल्कुल ही असर नहीं पड़ता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए एंटी वायरल दवाई रेमडेसिवीर के प्रयोग करने के लिए चेतावनी दी है. डब्ल्यूएचओ के सॉलिडेरिटी ट्रायल्स में एंटीवायरल दवाई रेमडेसिवीर को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्रभावी नहीं बताया गया है. जिन मरीजों को यह दवाई दी गई थी इससे मरीजों के स्वास्थ्य पर कोई खास असर नहीं पड़ा और ना ही इसकी वजह से हॉस्पिटल स्टे में कमी आई.

Remdesivir
कोरोना वैक्सीन रेमडेसिवीर का इस्तेमाल

डब्लूएचओ ने सॉलिडेरिटी ट्रायल में रेमडेसिवीर को बताया अप्रभावी

आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की देखरेख में 22 मार्च से लेकर 4 अक्टूबर तक 30 देशों के 405 हॉस्पिटल में 11,266 कोरोना मरीजों के ऊपर रेमडेसिवीर एंटीवायरल दवाई का प्रयोग किया गया. इस प्रयोग में पाया गया कि इसमें ना तो मरीजों की हॉस्पिटल में रुकने की अवधि को कम कर पाया और ना ही मरीजों की मृत्यु दर को कम कर पाया. इससे यह निष्कर्ष निकाला गया के यह दवाई कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए कारगर नहीं है.


एंटीवीरल का हुआ जमकर दुरूप्रयोग

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद की पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिल बंसल बताते हैं कि कोरोना एक नया वायरस है. जिसके इलाज को लेकर नए- नए शोध और नई-नई दवाइयों का प्रयोग किया जा रहा है. कोरोना वायरस के शुरुआती चरण में जब चिकित्सकों को इसके इलाज का पैटर्न मालूम नहीं था तो पहले से मौजूद एंटी वायरल रेमडेसिवीर की टेबलेट का इस्तेमाल किया गया. बिना किसी रिसर्च के ही इसे कोरोना के इलाज के लिए लाईफलाईन माना जाने लगा. दावा किया गया कि यही एंटीवायरल खाने से कोरोना के मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं. इसे देखते हुए जिन लोगों को यह संदेह हुआ कि उन्हें कोरोना हो सकता है या हुआ है, उन्होंने अपने मन से एहतियात के तौर पर और सुरक्षा के लिहाज से इस दवाई का इस्तेमाल शुरू कर दिया.


रेमडेसिवीर की जमकर हुई ब्लैक मार्केटिंग

डॉ अनिल ने बताया कि मांग बढ़ने से इस दवाई की ब्लैक मार्केटिंग होने लगी. इतना ही नहीं इस दवाई का प्रयोग अस्पतालों में भी होने लगा. इसकी वजह से दवाई की ब्लैक मार्केटिंग होने लगी. कई गुना दामों में दवाई को बेचा जाने लगा. आईसीएमआर के शोध में यह सामने आया है कि इस दवाई का कोरोना के मरीजों के ऊपर कोई खास असर नहीं पड़ता, लेकिन दूसरी तरफ अमेरिकी एजेंसी एफडीए ने कोरोना के इलाज में रेमडेसिवीर को काफी प्रभावी बताते हुए फर्स्ट लाइन आफ ट्रीटमेंट में जोड़ दिया है. आईसीएमआर और एफडीए इन दोनों एजेंसी की रिपोर्ट्स एक- दूसरे से विरोधाभासी है. जिसके कारण लोगों को कंफ्यूजन हो रहा है कि यह दवाई लेनी है या नहीं लेनी है. जिसके वक्त रहते आईसीएमआर को क्लियर कर देना चाहिए ताकि इसके ब्लैक मार्केटिंग को रोका जा सके.

नई दिल्ली: सर्दी की आहट के साथ ही एक बार फिर दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं. इस दौरान कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार लगातार त्योहार के मौसम में लोगों से सुरक्षा के तमाम उपाय अपनाने की अपील कर रही है. कोरोना के इलाज के लिए पहली पंक्ति की दवाइयों में एंटी वायरल रेमडेसिवीर कुछ समय पहले तक प्रभावी मानी जाती थी, लेकिन आईसीएमआर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रेमडेसिवीर कोरोना मरीजों के इलाज में कारगर नहीं है. दिलचस्प यह है कि आईसीएमआर की इस टिप्पणी के बाद अमेरिकी एजेंसी एफडीए ने कोरोना मरीजों के इलाज में रेमेडेसेवीर को काफी प्रभावी बताते हुए कोरोना मरीजों के इलाज के लिए निर्धारित ट्रीटमेंट प्रोटोकोल के तहत इस दवाई को भी प्रमुखता से शामिल किया है.

रेमडेसिवीर कोरोना के लिए नहीं है रामबाण
कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टर्स के सामने बड़ी दुविधा

इस एंटी वायरल दवाई को भारत की सर्वोच्च वैज्ञानिक एवं शोध संस्थान आईसीएमआर ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अप्रभावी बताया है. उसी को अमेरिकी एजेंसी ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अप्रूवल दे दी है. ऐसे में भारतीय डॉक्टरों के सामने बड़ी दुविधा यह है कि ट्रीटमेंट प्रोटोकोल के तहत रेमडेसिवीर शामिल करें या ना करें. मरीजों को इस बात की जानकारी नहीं होती है और ना ही उन्हें इस बात की जानकारी दी जाती है कि उनके कोरोना के इलाज के लिए कौन-कौन सी दवाइयां दी जा रही है, और उन दवाइयों के क्या दुष्प्रभाव हैं.

Remdesivir
कोरोना वैक्सीन रेमडेसिवीर

असरहीन है रेमडेसिवीर: डब्लूएचओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अमेरिकी एजेंसी एफडीए के विपरीत रेमडेसिवीर को कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए उचित नहीं बताया है, क्योंकि इस दवाई का या तो कम असर पड़ता है या बिल्कुल ही असर नहीं पड़ता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए एंटी वायरल दवाई रेमडेसिवीर के प्रयोग करने के लिए चेतावनी दी है. डब्ल्यूएचओ के सॉलिडेरिटी ट्रायल्स में एंटीवायरल दवाई रेमडेसिवीर को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्रभावी नहीं बताया गया है. जिन मरीजों को यह दवाई दी गई थी इससे मरीजों के स्वास्थ्य पर कोई खास असर नहीं पड़ा और ना ही इसकी वजह से हॉस्पिटल स्टे में कमी आई.

Remdesivir
कोरोना वैक्सीन रेमडेसिवीर का इस्तेमाल

डब्लूएचओ ने सॉलिडेरिटी ट्रायल में रेमडेसिवीर को बताया अप्रभावी

आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की देखरेख में 22 मार्च से लेकर 4 अक्टूबर तक 30 देशों के 405 हॉस्पिटल में 11,266 कोरोना मरीजों के ऊपर रेमडेसिवीर एंटीवायरल दवाई का प्रयोग किया गया. इस प्रयोग में पाया गया कि इसमें ना तो मरीजों की हॉस्पिटल में रुकने की अवधि को कम कर पाया और ना ही मरीजों की मृत्यु दर को कम कर पाया. इससे यह निष्कर्ष निकाला गया के यह दवाई कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए कारगर नहीं है.


एंटीवीरल का हुआ जमकर दुरूप्रयोग

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद की पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिल बंसल बताते हैं कि कोरोना एक नया वायरस है. जिसके इलाज को लेकर नए- नए शोध और नई-नई दवाइयों का प्रयोग किया जा रहा है. कोरोना वायरस के शुरुआती चरण में जब चिकित्सकों को इसके इलाज का पैटर्न मालूम नहीं था तो पहले से मौजूद एंटी वायरल रेमडेसिवीर की टेबलेट का इस्तेमाल किया गया. बिना किसी रिसर्च के ही इसे कोरोना के इलाज के लिए लाईफलाईन माना जाने लगा. दावा किया गया कि यही एंटीवायरल खाने से कोरोना के मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं. इसे देखते हुए जिन लोगों को यह संदेह हुआ कि उन्हें कोरोना हो सकता है या हुआ है, उन्होंने अपने मन से एहतियात के तौर पर और सुरक्षा के लिहाज से इस दवाई का इस्तेमाल शुरू कर दिया.


रेमडेसिवीर की जमकर हुई ब्लैक मार्केटिंग

डॉ अनिल ने बताया कि मांग बढ़ने से इस दवाई की ब्लैक मार्केटिंग होने लगी. इतना ही नहीं इस दवाई का प्रयोग अस्पतालों में भी होने लगा. इसकी वजह से दवाई की ब्लैक मार्केटिंग होने लगी. कई गुना दामों में दवाई को बेचा जाने लगा. आईसीएमआर के शोध में यह सामने आया है कि इस दवाई का कोरोना के मरीजों के ऊपर कोई खास असर नहीं पड़ता, लेकिन दूसरी तरफ अमेरिकी एजेंसी एफडीए ने कोरोना के इलाज में रेमडेसिवीर को काफी प्रभावी बताते हुए फर्स्ट लाइन आफ ट्रीटमेंट में जोड़ दिया है. आईसीएमआर और एफडीए इन दोनों एजेंसी की रिपोर्ट्स एक- दूसरे से विरोधाभासी है. जिसके कारण लोगों को कंफ्यूजन हो रहा है कि यह दवाई लेनी है या नहीं लेनी है. जिसके वक्त रहते आईसीएमआर को क्लियर कर देना चाहिए ताकि इसके ब्लैक मार्केटिंग को रोका जा सके.

Last Updated : Oct 27, 2020, 9:32 AM IST
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