नई दिल्लीः दिल्ली के छतरपुर में ग्रीनवेज नर्सरी है. ‘अनलिमिटेड ग्रीन’ की फाउंडर ओजस्वी सिंह ने बताया कि घर पर वायु को शुद्ध रखने के लिए स्नेक प्लांट को लगाया जा सकता है. इनको ज्यादा मेंटेनेंस की भी जरुरत नहीं होती है. गर्मियों के दिनों में इन पौधों में रोज पानी डालना होता है. इसको घर में रखने से हवा शुद्ध होती है. साथ ही आसपास पॉजिटिवनेस आती है
स्नेक प्लांट
घर में रखे जाने वाले स्नेक प्लांट को मदर इन लॉन्ग टंग भी बोलते हैं, क्योंकि यह जीभ की तरह लंबा होता है. इंडोर प्लांट्स में यह एक इकलौता पौधा है, जो 24 घंटे ऑक्सीजन देता है. ये प्लांट सूरज ढलने के बाद भी ऑक्सीजन रिलीज करता है. ऐसे में रात के समय मानव शरीर से निकलने वाली कार्बन डाईऑक्साइड को भी ये ऑब्जर्ब कर लेता है और हमेशा स्वच्छ वातावरण प्रदान करता है. यह कम पानी और सूर्य की कम रोशनी में हरा-भरा रह सकता है.
मनी प्लांट
पौधों के शौकीन अपने घरों में मनी प्लांट रखना पसंद करते हैं. ओजस्वी ने बताया कि यह पौधा आपके घर को सकारात्मक ऊर्जा से भर देगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इस पौधे को लगाने से आप ताजी हवा में सांस ले सकते हैं. इससे आप स्वस्थ रहेंगे. यह पौधा प्रदूषण के स्तर को कम करने में मददगार है. आप इसे गमले के अलावा बोतल में पानी भर कर भी लगा सकते हैं.
कलेथिया फ्रेडी प्लांट
कैलेथिया फ्रेडी लगातार नमी पसंद करते हैं, लेकिन अत्यधिक गीली मिट्टी नहीं. ओजस्वी ने बताया कि पर्यावरण दिवस के मौके पर इस प्लांट को लगाना बेहद खास हो सकता है. उन्होंने बताया कि यह भी वातावरण को शुद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है. यह लंबाई में नहीं बढ़ता, बल्कि घना होता है. इससे डेस्क टॉप भी आसानी से सजाया जा सकता है.
फिलोडेंड्रोन बिर्किन
फिलोडेंड्रोन बिर्किन की बाजार में सैकड़ों प्रजातियां मौजूद हैं जिनको आप आसानी से घर में लगा सकते हैं. ओजस्वी ने बताया कि यह भी एक छोटा प्लांट है. इसके गमले को बार-बार बदलना नहीं पड़ता है. जब यह 6 या 7 साल का हो जाता है, तो इसके पत्तों में बदलाव आने लगता है. इसको भी घर पर रखने से हवा साफ होती है. यह पौधा 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है. इसकी पत्तियां हरे रंग की होती है. इसमें सफ़ेद रंग की धारियां होती हैं. ओजस्वी ने बताया कि इन सभी पौधों को घर में लगाने से घर का माहौल हमेशा खुशनुमा रहता है. आज कल बाजार में ऐसे कई पौधे हैं, जो 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं। इनसे घर का वातावरण भी शुद्ध होता है.
बता दें कि कोविड-19 के दौर में लंबे समय तक लॉकडाउन रहा. इस बीच लोगों को बागवानी का मौका मिला. प्लांट्स के बारे में जानकारी मिली. फल, फ्रूट, मेडिसिन और ऑक्सिजन प्लांट्स की डिमांड खूब निकली. कोरोना में भले तमाम व्यवसाय या रोजगार को नुकसान पहुंचा हो, लेकिन नर्सरी का काम अच्छा चला. लोगों ने इनडोर, हैंगिंग, बालकनी और रूफ गार्डन तैयार किये.
विश्व पर्यावरण दिवस क्यों और कब मनाया जाता है?
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल जून में मनाया जाता है. भारत समेत विश्वभर में 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाते हैं. इस मौके पर देशभर में अलग अलग तरीके से पर्यावरण के प्रति जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन होते हैं. स्कूली छात्रा, सामाजिक संगठन से जुड़े लोग, सरकारें, राजनीतिक दल, पर्यावरणविद समेत अन्य क्षेत्रों के लोग विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रोग्राम करते हैं. विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत 1972 में हुई थी. संयुक्त राष्ट्र संघ ने 5 जून 1972 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया, तब से हर वर्ष इस दिन को मनाया जाने लगा.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का फैसला लिया था, लेकिन पर्यावरण दिवस सबसे पहले स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में मनाया गया. 1972 में स्टॉकहोम में पहली बार पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें 119 देशों में हिस्सा लिया था. दुनिया में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है. इसी बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रकृति पर खतरा बढ़ रहा है, जिसे रोकने के उद्देश्य से पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत हुई, ताकि लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाए और प्रकृति को प्रदूषित होने से बचाने के लिए प्रेरित किया जा सके.