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एम्स में ट्रांसप्लांट टीम और ट्रांसप्लांट कराने वालों के बीच स्पोर्ट्स इवेंट का आयोजन, लोगों में दिखा उत्साह

अंग प्रत्यारोपण से नया जीवन पाने वालों के बारे में अक्सर कहा जाता है कि वे सामान्य जीवन नहीं जी पाते हैं, लेकिन सच नहीं है. इसी तथ्य को प्रदर्शित करने के लिए एम्स के डायरेक्टर प्रो. एम श्रीनिवास ने कार्डियोथोरेसिक डिपार्टमेंट की पहल पर ट्रांसप्लांट टीम और ट्रांसप्लांट कराने वालों के बीच एक स्पोर्ट्स इवेंट का आयोजन किया. इसमें लोगों का जोश देखते ही बना.

Sports event organized in AIIMS delhi
Sports event organized in AIIMS delhi
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Published : Jul 30, 2023, 7:30 PM IST

एम्स में स्पोर्ट्स इवेंट का आयोजन

नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में रविवार को एक अनोखी खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसमें अंग प्रत्यारोपण के बाद दूसरा जीवन प्राप्त करने वाले लोग और उनका ट्रांसप्लांट करने वाली एम्स को टीम आमने सामने थी. इस कार्यक्रम ने हृदय विफलता के इलाज में अंग दान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाई. इन खेलों का आयोजन तीन अगस्त को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस के मद्देनजर किया गया. इस दौरान पैरा एथलीट नीरज यादव अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. बैडमिंटन, टेबल टेनिस और शतरंज और रस्साकशी सहित प्रतिस्पर्धी खेलों की एक श्रृंखला वाले इस आयोजन में प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं, अंग दाताओं के परिवारों और चिकित्सा कर्मचारियों की उत्साही भागीदारी देखी गई.

कार्यक्रम में पैरा एथलीट नीरज यादव ने कहा, हृदय विफलता के रोगियों के लिए प्रत्यारोपण जीवन में दूसरा मौका प्रदान कर सकता है. ये गेम्स हमें अंगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को बताते हैं. खेलों में भाग लेने वाला प्रत्येक प्रतिभागी, प्रत्यारोपण सर्जरी की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रमाण है, जो हम सभी को एक स्वस्थ समाज की दिशा में मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करता है.

वहीं, प्रोफेसर एन श्रीनिवास ने कहा कि अंगदान के बाद प्रत्यारोपण से दूसरे व्यक्ति को नई जिंदगी मिलती है. वहीं अंगदान करने वाला व्यक्ति उसके अंदर जीवित हो जाता है. हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद भी एक सामान्य जीवन जिया जा सकता है. इन्हीं मरीजों के साथ फिजिकल फिटनेस प्रदर्शित करने के लिए स्पोर्ट्स इवेंट का आयोजन किया गया. उनका उत्साह देखकर ऐसा नहीं लगा कि उनके शरीर में किसी दूसरे व्यक्ति का दिल धड़क रहा है. इस अवसर पर हौसला अफजाई के लिए पहुंचे हार्ट ट्रांसप्लांट कराने वाले एक दिव्यांग व्यक्ति ने लोगों से अंगदान करने की अपील करते हुए कहा कि अंग दान महादान है. इससे कई लोगों की जान बचाई जा सकती है.

यह भी पढ़ें-Van Mahotsav: असोला में वन महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन, मंत्री बोले- हरियाली के क्षेत्र में दिल्ली नंबर वन

गौरतलब है कि भारत में लगभग एक करोड़ मरीज हृदय विफलता से पीड़ित हैं, जिनमें से 50 हजार लोगों को हृदय प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है. हालांकि देश में हर साल होने वाले हृदय प्रत्यारोपण की संख्या 90-100 रहती है. इसका मतलब यह है कि प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले लगभग 0.2% मरीज ही जीवन-रक्षक प्रक्रिया से गुजर पाते हैं. इसका कारण जागरूकता की कमी है.

यह भी पढ़ें-Art Exhibition: चित्रकला प्रेमियों को 'प्रभाविता' के वृक्षों ने किया प्रभावित

एम्स में स्पोर्ट्स इवेंट का आयोजन

नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में रविवार को एक अनोखी खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसमें अंग प्रत्यारोपण के बाद दूसरा जीवन प्राप्त करने वाले लोग और उनका ट्रांसप्लांट करने वाली एम्स को टीम आमने सामने थी. इस कार्यक्रम ने हृदय विफलता के इलाज में अंग दान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाई. इन खेलों का आयोजन तीन अगस्त को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस के मद्देनजर किया गया. इस दौरान पैरा एथलीट नीरज यादव अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. बैडमिंटन, टेबल टेनिस और शतरंज और रस्साकशी सहित प्रतिस्पर्धी खेलों की एक श्रृंखला वाले इस आयोजन में प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं, अंग दाताओं के परिवारों और चिकित्सा कर्मचारियों की उत्साही भागीदारी देखी गई.

कार्यक्रम में पैरा एथलीट नीरज यादव ने कहा, हृदय विफलता के रोगियों के लिए प्रत्यारोपण जीवन में दूसरा मौका प्रदान कर सकता है. ये गेम्स हमें अंगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को बताते हैं. खेलों में भाग लेने वाला प्रत्येक प्रतिभागी, प्रत्यारोपण सर्जरी की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रमाण है, जो हम सभी को एक स्वस्थ समाज की दिशा में मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करता है.

वहीं, प्रोफेसर एन श्रीनिवास ने कहा कि अंगदान के बाद प्रत्यारोपण से दूसरे व्यक्ति को नई जिंदगी मिलती है. वहीं अंगदान करने वाला व्यक्ति उसके अंदर जीवित हो जाता है. हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद भी एक सामान्य जीवन जिया जा सकता है. इन्हीं मरीजों के साथ फिजिकल फिटनेस प्रदर्शित करने के लिए स्पोर्ट्स इवेंट का आयोजन किया गया. उनका उत्साह देखकर ऐसा नहीं लगा कि उनके शरीर में किसी दूसरे व्यक्ति का दिल धड़क रहा है. इस अवसर पर हौसला अफजाई के लिए पहुंचे हार्ट ट्रांसप्लांट कराने वाले एक दिव्यांग व्यक्ति ने लोगों से अंगदान करने की अपील करते हुए कहा कि अंग दान महादान है. इससे कई लोगों की जान बचाई जा सकती है.

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गौरतलब है कि भारत में लगभग एक करोड़ मरीज हृदय विफलता से पीड़ित हैं, जिनमें से 50 हजार लोगों को हृदय प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है. हालांकि देश में हर साल होने वाले हृदय प्रत्यारोपण की संख्या 90-100 रहती है. इसका मतलब यह है कि प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले लगभग 0.2% मरीज ही जीवन-रक्षक प्रक्रिया से गुजर पाते हैं. इसका कारण जागरूकता की कमी है.

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