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दक्षिणी दिल्ली: 1998 के बाद नहीं रही किसी महिला की दावेदारी - 1998

दिल्ली में 12 मई को चुनाव होने हैं. दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी ने राघव चड्डा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. बीजेपी और कांग्रेस ने फिलहाल किसी का नाम फाइनल नहीं किया. इंतजार इस बात का है कि बाकि दोनों पार्टियों में से क्या कोई किसी महिला प्रत्याशी को मौका देगी. आपको बता दें कि साल 1998 में आखिरी बार वर्तमान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस सीट से चुनाव लड़ा था.

दक्षिणी दिल्ली का रण
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Published : Apr 14, 2019, 6:11 PM IST

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव चल रहे हैं. 12 मई को दिल्ली में चुनाव होने हैं. अभी तक केवल आम आदमी पार्टी ने राघव चड्ढा को दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. बीजेपी और कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशियों के नाम घोषित नहीं किए हैं.

दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट एक ऐसी सीट रही है जहां पर सिर्फ एक बार ही महिला प्रत्याशी को मौका दिया गया.

सिर्फ सुषमा स्वराज ने लड़ा है चुनाव
1998 में दक्षिणी दिल्ली से सुषमा स्वराज को चुनावी मैदान में उतारा गया था. 1998 से लेकर 2014 तक एक बार भी किसी अन्य पार्टी ने महिला प्रत्याशी पर दावेदारी नहीं खेली. ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है. सबसे महत्वपूर्ण कही जाने वाले दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से महिलाओं की प्रबल दावेदारी क्यों नहीं हो पाती.

दक्षिणी दिल्ली से नहीं कोई महिला प्रत्याशी

वोट बैंक भी रहा है एक बड़ी वजह
आपको बता दें कि दक्षिणी दिल्ली गुर्जर और पूर्वांचल बहुल इलाका है. यहां पर सबसे ज्यादा वोट बैंक भी गुर्जर का है. दक्षिणी जिला में करीब 20 लाख वोटर हैं जिसमें करीब 6.5 लाख वोटर गुर्जर और पांच लाख पूर्वांचली हैं. ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिणी दिल्ली में गांव का भी काफी एरिया है. ऐसे में वोट परिवार के मुखिया के हिसाब से ही दिया जाता है.

बीजेपी-कांग्रेस का कौन होगा चेहरा
फिलहाल 1998 के बाद जहां एक बार भी दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट के लिए महिलाओं की दावेदारी देखने को नहीं मिली है. देखना होगा कि बीजेपी और कांग्रेस इस बार किन चेहरों पर चुनाव लड़ती है.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव चल रहे हैं. 12 मई को दिल्ली में चुनाव होने हैं. अभी तक केवल आम आदमी पार्टी ने राघव चड्ढा को दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. बीजेपी और कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशियों के नाम घोषित नहीं किए हैं.

दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट एक ऐसी सीट रही है जहां पर सिर्फ एक बार ही महिला प्रत्याशी को मौका दिया गया.

सिर्फ सुषमा स्वराज ने लड़ा है चुनाव
1998 में दक्षिणी दिल्ली से सुषमा स्वराज को चुनावी मैदान में उतारा गया था. 1998 से लेकर 2014 तक एक बार भी किसी अन्य पार्टी ने महिला प्रत्याशी पर दावेदारी नहीं खेली. ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है. सबसे महत्वपूर्ण कही जाने वाले दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से महिलाओं की प्रबल दावेदारी क्यों नहीं हो पाती.

दक्षिणी दिल्ली से नहीं कोई महिला प्रत्याशी

वोट बैंक भी रहा है एक बड़ी वजह
आपको बता दें कि दक्षिणी दिल्ली गुर्जर और पूर्वांचल बहुल इलाका है. यहां पर सबसे ज्यादा वोट बैंक भी गुर्जर का है. दक्षिणी जिला में करीब 20 लाख वोटर हैं जिसमें करीब 6.5 लाख वोटर गुर्जर और पांच लाख पूर्वांचली हैं. ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिणी दिल्ली में गांव का भी काफी एरिया है. ऐसे में वोट परिवार के मुखिया के हिसाब से ही दिया जाता है.

बीजेपी-कांग्रेस का कौन होगा चेहरा
फिलहाल 1998 के बाद जहां एक बार भी दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट के लिए महिलाओं की दावेदारी देखने को नहीं मिली है. देखना होगा कि बीजेपी और कांग्रेस इस बार किन चेहरों पर चुनाव लड़ती है.

Intro:1998 के बाद दक्षिणी दिल्ली में आखिर क्यों नहीं रही एक भी महिला प्रत्याशी

दक्षिणी दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव 2019 करीब आ चुके हैं और 12 मई को दिल्ली में चुनाव होने हैं.ऐसे में अभी तक केवल आम आदमी पार्टी की तरफ से राघव चड्ढा को लोकसभा प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं बीजेपी और कांग्रेस की बात की जाए तो अभी तक प्रत्याशियों के नाम घोषित नहीं किए गए हैं. लेकिन आपको बता दें कि दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट एक ऐसी सीट रही है. जहां पर सिर्फ एक बार ही महिला प्रत्याशी को सांसद के लिए मैदान में उतारा गया है.


Body:सिर्फ सुषमा स्वराज ने लड़ा है चुनाव
1998 में दक्षिणी दिल्ली से सुषमा स्वराज को चुनावी मैदान में उतारा गया था. 1998 से लेकर 2014 तक एक बार भी किसी अन्य पार्टी ने महिला प्रत्याशी पर दावेदारी नहीं खेली. ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है.सबसे पॉश कही जाने वाले दक्षिणी दिल्ली में महिलाओं की प्रबल दावेदारी न हो पाना बेहद ही चिंताजनक स्तिथि बताता है.


वोट बैंक है एक बड़ी वजह
आपको बता दें कि दक्षिणी दिल्ली गुर्जर और पूर्वांचल बहुल इलाका है.यहां पर सबसे ज्यादा वोट बैंक भी गुर्जर का है. दक्षिणी जिला में वोटर की संख्या की बात की जाए तो करीब 20 लाख वोटर हैं. जिसमें करीब 6.5 लाख वोटर गुर्जर और पांच लाख पूर्वांचली हैं. ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञ का कहना है कि दक्षिणी दिल्ली में गांव का भी काफी एरिया है.ऐसे में वोट परिवार के मुखिया के हिसाब से ही दिया जाता है.


Conclusion:फिलहाल 1998 के बाद जहां एक बार भी दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट के लिए महिलाओ की दावेदारी देखने को नहीं मिली है.ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी और कांग्रेस इस बार किन चेहरों पर चुनाव लड़ती है.
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