नई दिल्ली: सफदरजंग अस्पताल में नर्सिंग ऑफिसर के पद पर काम कर रहे 300 लोगों को एक झटके में नौकरी से निकाल दिया गया. त्यौहार के समय में अचानक नौकरी जाने से परेशान परेशान इन लोगों ने मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के घर पर धरना दिया. इस धरने में गर्भवती महिला से लेकर विकलांग मेडिकल ऑफिसर तक शामिल हुए. उन्होंने मांग की है कि उनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू किया जाए.
अस्पताल की नौकरी से निकाली गई योगिता पाल ने बताया कि उन्हें अगस्त 2018 में सफदरजंग अस्पताल में नौकरी पर रखा गया था. हर 3 महीने पर उनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू किया जाता था, लेकिन कल उन्हें अचानक बताया गया कि उनका कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया है और वो अब नौकरी पर नहीं आएंगी. योगिता ने बताया कि इस समय वो गर्भवती हैं और ऐसे में उन्हें मैटरनिटी लीव की आवश्यकता थी. लेकिन इस वक्त उनसे रोजगार छीना जा रहा है. इसलिए वह स्वास्थ्य मंत्री के घर के बाहर गुहार लगाने आई हैं.
'नौकरी मिलने तक यहीं करेंगे प्रदर्शन'
प्रदर्शन में शामिल सुनील कुमार ने बताया कि वो करीब 14 महीने पहले सफदरजंग अस्पताल में नर्सिंग ऑफिसर के तौर पर लगे थे. उस समय से लगातार उनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू हो रहा था. लेकिन कल उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. उन्होंने बताया कि अगर 3 महीने काम करने के बाद ही उन्हें निकाल दिया जाता तो शायद इतना दुख नहीं होता, लेकिन अब लगभग सवा साल की नौकरी के बाद उन्हें यहां से निकाल दिया गया है. ऐसे में आगे उन्हें जल्दी से नौकरी भी नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि वो नौकरी दोबारा मिलने तक इस प्रदर्शन में यही स्वास्थ्य मंत्री के घर के बाहर बैठे रहेंगे.
'बहन की करनी थी शादी'
जबकि प्रदर्शन कर रही कंचन ने बताया कि जब परमानेंट नर्सिंग ऑफिसर की नौकरी निकली तो उन्होंने दो बार फॉर्म भरा था. तीसरी बार जब फॉर्म भरने का समय आया तो उनकी उम्र महज 24 घंटे ज्यादा थी. उन्होंने गुहार लगाई कि उन्हें परीक्षा देने का मौका मिले, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि नौकरी पर परमानेंट करने के लिए उनसे 20 लाख रुपये मांगे गए थे, लेकिन उनके पास ये रकम नहीं थी. ऐसे में अब त्यौहार के मौसम में उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. कंचन ने बताया कि उन्हें अपनी छोटी बहन की शादी करनी थी, अपने घर का सहारा बनना था, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उनके सभी सपने एक झटके में तोड़ दी हैं.
अन्य अस्पतालों में रिन्यू हो रहे हैं कॉन्ट्रैक्ट?
प्रदर्शन में शामिल मेनका ने बताया कि दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में अन्य राज्यों की तरह कई साल से नर्सिंग ऑफिसर काम कर रहे हैं. उन्हें परमानेंट नहीं किया गया है, लेकिन उनका कॉन्ट्रैक्ट लगातार रिन्यू किया जाता रहा है. ऐसे में सफदरजंग जैसे बड़े अस्पताल में क्या 300 नर्सिंग ऑफिसर्स को नहीं रखा जा सकता. यहां पर जब जरूरत थी तो उन्हें नर्सिंग ऑफिसर के तौर पर इस्तेमाल किया गया और अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है.