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पक्की नौकरी की आस में एनडीएमसी के एक और कर्मचारी की हुई मौत - मोतीबाग में कार्यरत राजेश की मौत

पिछले लगभग पांच महीने से पक्की नौकरी की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे आरएमआर कर्मचारियों में से एक मोतीबाग में कार्यरत रहे राजेश की मौत हो गयी. वह भी पक्की नौकरी की आस में धरना प्रदर्शन में शामिल होने आते थे. उनकी मौत से दुःखी धरना प्रदर्शन कर रहे आरएमआर कर्मचारियों ने राजेश की मौत पर शोक जताया और उनकी आत्मा की शांति के लिये दो मिनट के लिये मौन रखा.

RMR employee dies in line of duty in Delhi
RMR employee dies in line of duty in Delhi
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Published : Jul 3, 2022, 1:58 PM IST

नई दिल्ली: पिछले लगभग पांच महीने से पक्की नौकरी की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे आरएमआर कर्मचारियों में से एक मोतीबाग में लाजवंती देवी की ड्यूटी के दौरान मौत हो गयी. वह भी पक्की नौकरी की आस में धरना प्रदर्शन में शामिल होने आते थीं. उनकी मौत से दुःखी धरना प्रदर्शन कर रहे आरएमआर कर्मचारियों ने शोक जताया और उनकी आत्मा की शांति के लिये दो मिनट के लिये मौन रखा. इसके पहले जनवरी 2022 में एक यशपाल नामक कर्मचारी ने प्रशासन की बेरुखी देख जिंदगी की दुश्वारियों से तंग आकर पालिका स्थित मुख्यालय में ही आत्महत्या कर लिया. वहीं एक और कर्मचारी की मौत हो गयी है. कई कर्मचारी तो पक्की नौकरी का इंतजार करते हुए रिटायर हो गये हैं. एनडीएमसी प्रशासन की अनदेखी से कर्मचारियों में बहुत रोष है.

2014-2022 तक 8 साल में 200 कर्मचारियों की गई जाना

एक आरएमआर कर्मचारी सोनू ने जानकारी दी कि शनिवार को NDMC के एक RMR कर्मचारी ने अपने ही OFFIC में फांसी लगा ली है. आखिर प्रशासन कब तक इन कर्मचारियों की जान का दुश्मन बना रहेगा ? इनका अधिकार कब इन्हें मिलेगा ? 2014 से कब तक 2022 तक कम से कम RMR के 200 कर्मचारी खत्म हो गए हैं, लेकिन प्रशासन पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.

पक्की नौकरी की आस में एनडीएमसी के एक और कर्मचारी की हुई मौत

जब पक्का करना ही नहीं था तो कॉउन्सिल मीटिंग में निर्णय ही क्यों लिया ?

एक कर्मचारी विजय ने इस दुखद घटना पर अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि एनडीएमसी प्रशासन के कानों पर जूं नहीं रेंग रही और इधर हताश होकर आरएमआर कर्मचारी आत्महत्या करने लगे हैं. इस घटना को आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या कहना चाहिए. क्योंकि एनडीएमसी प्रशासन ने काउंसिल मीटिंग में 2 साल पहले लगभग 45 हजार कर्मचारियों को पक्की नौकरी का निर्णय लेकर उनके उम्मीदों की लौ को प्रज्वलित किया था, लेकिन 2 साल बाद भी जब वे पक्के नहीं हुए तो उम्मीद की लौ बुझती हुई दिखाई दे रही है. इससे जो निराशा और हताशा का माहौल बन रहा है उसी से कर्मचारी आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए भी मजबूर हो रहे हैं.

नाराज कर्मचारी कह रहे हैं कि अच्छा होता पक्की नौकरी का झांसा नहीं दिया गया होता

अच्छा होता अगर काउंसिल मीटिंग में आरएमआर कर्मचारियों को प्रमोशन के साथ पक्की नौकरी का झांसा नहीं दिया गया होता. कम से कम अनावश्यक उम्मीद तो नहीं बांधती और इसके टूटने से हुए दुख के बाद आत्महत्या जैसा कदम तो नहीं उठाना पड़ता. अब तो प्रशासन को जाग जाना चाहिए वरना आत्महत्या का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है.

कर्मचारियों एवं अधिकारियों से मदद की अपील

सोनू ने एनडीएमसी कर्मचारियों एवं अधिकारियों से मृतक के परिवार की आर्थिक मदद के लिये कुछ पैसे डोनेट करने की अपील की ताकि मृतक के आश्रितों की कुछ मदद मिल सके. एनडीएमसी प्रशासन से तो कोई उम्मीद ही नहीं है. इसलिये कर्मचारी आपस में मिलकर मदद का हाथ बढ़ा सकते हैं.

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नई दिल्ली: पिछले लगभग पांच महीने से पक्की नौकरी की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे आरएमआर कर्मचारियों में से एक मोतीबाग में लाजवंती देवी की ड्यूटी के दौरान मौत हो गयी. वह भी पक्की नौकरी की आस में धरना प्रदर्शन में शामिल होने आते थीं. उनकी मौत से दुःखी धरना प्रदर्शन कर रहे आरएमआर कर्मचारियों ने शोक जताया और उनकी आत्मा की शांति के लिये दो मिनट के लिये मौन रखा. इसके पहले जनवरी 2022 में एक यशपाल नामक कर्मचारी ने प्रशासन की बेरुखी देख जिंदगी की दुश्वारियों से तंग आकर पालिका स्थित मुख्यालय में ही आत्महत्या कर लिया. वहीं एक और कर्मचारी की मौत हो गयी है. कई कर्मचारी तो पक्की नौकरी का इंतजार करते हुए रिटायर हो गये हैं. एनडीएमसी प्रशासन की अनदेखी से कर्मचारियों में बहुत रोष है.

2014-2022 तक 8 साल में 200 कर्मचारियों की गई जाना

एक आरएमआर कर्मचारी सोनू ने जानकारी दी कि शनिवार को NDMC के एक RMR कर्मचारी ने अपने ही OFFIC में फांसी लगा ली है. आखिर प्रशासन कब तक इन कर्मचारियों की जान का दुश्मन बना रहेगा ? इनका अधिकार कब इन्हें मिलेगा ? 2014 से कब तक 2022 तक कम से कम RMR के 200 कर्मचारी खत्म हो गए हैं, लेकिन प्रशासन पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.

पक्की नौकरी की आस में एनडीएमसी के एक और कर्मचारी की हुई मौत

जब पक्का करना ही नहीं था तो कॉउन्सिल मीटिंग में निर्णय ही क्यों लिया ?

एक कर्मचारी विजय ने इस दुखद घटना पर अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि एनडीएमसी प्रशासन के कानों पर जूं नहीं रेंग रही और इधर हताश होकर आरएमआर कर्मचारी आत्महत्या करने लगे हैं. इस घटना को आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या कहना चाहिए. क्योंकि एनडीएमसी प्रशासन ने काउंसिल मीटिंग में 2 साल पहले लगभग 45 हजार कर्मचारियों को पक्की नौकरी का निर्णय लेकर उनके उम्मीदों की लौ को प्रज्वलित किया था, लेकिन 2 साल बाद भी जब वे पक्के नहीं हुए तो उम्मीद की लौ बुझती हुई दिखाई दे रही है. इससे जो निराशा और हताशा का माहौल बन रहा है उसी से कर्मचारी आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए भी मजबूर हो रहे हैं.

नाराज कर्मचारी कह रहे हैं कि अच्छा होता पक्की नौकरी का झांसा नहीं दिया गया होता

अच्छा होता अगर काउंसिल मीटिंग में आरएमआर कर्मचारियों को प्रमोशन के साथ पक्की नौकरी का झांसा नहीं दिया गया होता. कम से कम अनावश्यक उम्मीद तो नहीं बांधती और इसके टूटने से हुए दुख के बाद आत्महत्या जैसा कदम तो नहीं उठाना पड़ता. अब तो प्रशासन को जाग जाना चाहिए वरना आत्महत्या का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है.

कर्मचारियों एवं अधिकारियों से मदद की अपील

सोनू ने एनडीएमसी कर्मचारियों एवं अधिकारियों से मृतक के परिवार की आर्थिक मदद के लिये कुछ पैसे डोनेट करने की अपील की ताकि मृतक के आश्रितों की कुछ मदद मिल सके. एनडीएमसी प्रशासन से तो कोई उम्मीद ही नहीं है. इसलिये कर्मचारी आपस में मिलकर मदद का हाथ बढ़ा सकते हैं.

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