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राजीव मैखुरी का 'राइड फ़ॉर लाइफ कैंपेन', मिल रहा समर्थन

दिल्ली के एम्स के ओर्बो डिपार्टमेंट के मेडिकल सोशल वेलफेयर अधिकारी राजीव मैखुरी इन दिनों 'राइड फ़ॉर लाइफ कैंपेन' के तहत ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर को मोटीवेट करने का काम कर रहे हैं. इसको लेकर वे साइकल यात्रा कर रहे हैं, इस दौरान उनकी मुलाकात ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर को ट्रेनिंग देने वाले मोहन फॉउंडेशन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लवी कुमार से हुई. पल्लवी ने राजीव मैखुरी के पहल की सराहना की है और उनके काम को अपना समर्थन दिया है.

Rajeev Makhuri 'Ride for Life Campaign' endorsed by Mohan Foundation in delhi
राजीव मैखुरी का 'राइड फ़ॉर लाइफ कैंपेन'
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Published : Dec 26, 2020, 5:42 PM IST

नई दिल्ली: लॉक डाउन हटने के बाद एम्स में पहली बार हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ है. इसके लिए 1200 किलोमीटर दूर हवाई मार्ग के जरिए वड़ोदरा से हार्ट मंगवाया गया है. इस काम में ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर की बड़ी भूमिका होती है. एम्स के ओर्बो डिपार्टमेंट के मेडिकल सोशल वेलफेयर अधिकारी राजीव मैखुरी इन दिनों 'राइड फ़ॉर लाइफ कैंपेन' के तहत ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर को मोटीवेट करने का अभियान चला रहे हैं. इसी कड़ी में उन्होंने ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर को ट्रेनिंग देने वाले भारत के सबसे बड़े एनजीओ मोहन फॉउंडेशन की रीजनल ऑफिस की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लवी कुमार से मुलाकात की. जिस पर पल्लवी ने राजीव मैखुरी के काम की प्रशंसा की है और उनकी पहल को अपना समर्थन दिया है.

राजीव मैखुरी के 'राइड फ़ॉर लाइफ कैंपेन' को मोहन फॉउंडेशन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने किया समर्थन

ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर की होती है महती भूमिका

ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर इस पूरे प्रोसेस का बैकबोन होता है. उसके अद्भुत को-आर्डिनेशन स्किल की वजह से यह सब संभव हो पाता है. किसी मरीज के ब्रेन डेड होने के बाद एक ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर का काम शुरू हो जाता है. सबसे पहले एक ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर की जिम्मेदारी यह होती है कि वह ब्रेन डेड मरीज के परिजनों को अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करे, यह काफी मुश्किल भरा काम होता है, क्योंकि अक्सर लोग अंगदान के प्रति उदासीन रवैया अपनाते हैं. यह ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर की कुशलता पर निर्भर करता है कि वह परिजनों को कितना जल्दी अंगदान के लिए मना ले.

ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर की भूमिका में राजीव मैखुरी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के ओर्बो डिपार्टमेंट के मेडिकल सोशल वेलफेयर अधिकारी राजीव मैखुरी एक ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर की भूमिका भी निभाते हैं. ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर को मोटिवेट करने के अलावा आम लोगों को अंगदान के प्रति जागरूकता लाने के लिए वह "राइड फॉर लाइफ" कैंपेन चला रहे हैं. अपने इस कैंपेन के तहत इन दिनों वह ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर से मुलाकात कर उनके कामकाज करने के तौर तरीके को देखते हैं और उन्हें उनकी स्किल को और संवारने के लिए टिप्स देते हैं.

83 किलोमीटर की साइकल यात्रा

अपनी साइकल यात्रा के दौरान राजीव अंगदान के लिए काम करने वाला भारत के जाने-माने मोहन फाउंडेशन के रीजनल ऑफिस गुड़गांव पहुंचे. जहां उनकी मुलाकात एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लवी कुमार से हुई. पल्लवी ने राजीव की अंगदान के प्रति किए जा रहे काम की काफी सराहना की. पल्लवी ने बताया कि राजीव बहुत ही सीनियर ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर हैं, जो एम्स के ओर्बो के साथ मिलकर काफी समय से काम कर रहे हैं.

आसान नहीं ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेशन
पल्लवी ने बताया कि ट्रांसप्लांट को-आर्डिनेशन बहुत ही मुश्किल और विशेष काम है. ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर एक ऐसे समय में परिजनों से बात करते हैं, जब वह अपने जीवन की सबसे बड़े दुख का सामना कर रहे होते हैं. ऐसे वक्त में मृतक के अंग का दान करने के लिए परिजनों को प्रोत्साहित करना आसान काम नहीं है. मोहन फाउंडेशन पिछले 22 सालों से ऑर्गन डोनेशन को लेकर काम कर रहा है और पिछले 10 - 12 वर्षों से ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेशन की ट्रेनिंग देने का काम कर रहे हैं.

राजीव की पहल को दिया अपना समर्थन
पल्लवी ने बताया कि अंगदान के प्रति जागरूकता के लिए राजीव की पहल सराहनीय है. हजारों किलोमीटर तक साइकिल से यात्रा कर लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करना और ऐसे लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट करना, जिनकी वजह से कुछ लोगों को नई जिंदगी मिली है. दूसरे को-ऑर्डिनेटर को भी वह मिलकर उनकी हौसला अफजाई कर रहे हैं. ट्रांसप्लांट सर्जन को भी वह आभार प्रकट कर रहे हैं, जिनकी वजह से किसी को नई जिंदगी मिली है. राजीव की इस पहल के साथ हमारा पूरा समर्थन है.

नई दिल्ली: लॉक डाउन हटने के बाद एम्स में पहली बार हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ है. इसके लिए 1200 किलोमीटर दूर हवाई मार्ग के जरिए वड़ोदरा से हार्ट मंगवाया गया है. इस काम में ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर की बड़ी भूमिका होती है. एम्स के ओर्बो डिपार्टमेंट के मेडिकल सोशल वेलफेयर अधिकारी राजीव मैखुरी इन दिनों 'राइड फ़ॉर लाइफ कैंपेन' के तहत ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर को मोटीवेट करने का अभियान चला रहे हैं. इसी कड़ी में उन्होंने ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर को ट्रेनिंग देने वाले भारत के सबसे बड़े एनजीओ मोहन फॉउंडेशन की रीजनल ऑफिस की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लवी कुमार से मुलाकात की. जिस पर पल्लवी ने राजीव मैखुरी के काम की प्रशंसा की है और उनकी पहल को अपना समर्थन दिया है.

राजीव मैखुरी के 'राइड फ़ॉर लाइफ कैंपेन' को मोहन फॉउंडेशन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने किया समर्थन

ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर की होती है महती भूमिका

ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर इस पूरे प्रोसेस का बैकबोन होता है. उसके अद्भुत को-आर्डिनेशन स्किल की वजह से यह सब संभव हो पाता है. किसी मरीज के ब्रेन डेड होने के बाद एक ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर का काम शुरू हो जाता है. सबसे पहले एक ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर की जिम्मेदारी यह होती है कि वह ब्रेन डेड मरीज के परिजनों को अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करे, यह काफी मुश्किल भरा काम होता है, क्योंकि अक्सर लोग अंगदान के प्रति उदासीन रवैया अपनाते हैं. यह ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर की कुशलता पर निर्भर करता है कि वह परिजनों को कितना जल्दी अंगदान के लिए मना ले.

ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर की भूमिका में राजीव मैखुरी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के ओर्बो डिपार्टमेंट के मेडिकल सोशल वेलफेयर अधिकारी राजीव मैखुरी एक ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर की भूमिका भी निभाते हैं. ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर को मोटिवेट करने के अलावा आम लोगों को अंगदान के प्रति जागरूकता लाने के लिए वह "राइड फॉर लाइफ" कैंपेन चला रहे हैं. अपने इस कैंपेन के तहत इन दिनों वह ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर से मुलाकात कर उनके कामकाज करने के तौर तरीके को देखते हैं और उन्हें उनकी स्किल को और संवारने के लिए टिप्स देते हैं.

83 किलोमीटर की साइकल यात्रा

अपनी साइकल यात्रा के दौरान राजीव अंगदान के लिए काम करने वाला भारत के जाने-माने मोहन फाउंडेशन के रीजनल ऑफिस गुड़गांव पहुंचे. जहां उनकी मुलाकात एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लवी कुमार से हुई. पल्लवी ने राजीव की अंगदान के प्रति किए जा रहे काम की काफी सराहना की. पल्लवी ने बताया कि राजीव बहुत ही सीनियर ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर हैं, जो एम्स के ओर्बो के साथ मिलकर काफी समय से काम कर रहे हैं.

आसान नहीं ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेशन
पल्लवी ने बताया कि ट्रांसप्लांट को-आर्डिनेशन बहुत ही मुश्किल और विशेष काम है. ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर एक ऐसे समय में परिजनों से बात करते हैं, जब वह अपने जीवन की सबसे बड़े दुख का सामना कर रहे होते हैं. ऐसे वक्त में मृतक के अंग का दान करने के लिए परिजनों को प्रोत्साहित करना आसान काम नहीं है. मोहन फाउंडेशन पिछले 22 सालों से ऑर्गन डोनेशन को लेकर काम कर रहा है और पिछले 10 - 12 वर्षों से ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेशन की ट्रेनिंग देने का काम कर रहे हैं.

राजीव की पहल को दिया अपना समर्थन
पल्लवी ने बताया कि अंगदान के प्रति जागरूकता के लिए राजीव की पहल सराहनीय है. हजारों किलोमीटर तक साइकिल से यात्रा कर लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करना और ऐसे लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट करना, जिनकी वजह से कुछ लोगों को नई जिंदगी मिली है. दूसरे को-ऑर्डिनेटर को भी वह मिलकर उनकी हौसला अफजाई कर रहे हैं. ट्रांसप्लांट सर्जन को भी वह आभार प्रकट कर रहे हैं, जिनकी वजह से किसी को नई जिंदगी मिली है. राजीव की इस पहल के साथ हमारा पूरा समर्थन है.

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