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DU के इस कॉलेज में छात्रों के लिए 'बोलती गीता' की व्यवस्था, यंत्र के जरिए सुनेंगे श्लोक

दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी इवनिंग कॉलेज ने युवा पीढ़ी में जीवन के सही मायने और जीवन के महत्व को समझाने के लिए उन्हें गीता सार सुनाने की पहल की है. पीजीडीएवी इवनिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि 'बोलती गीता' की ये पहल छात्रों को जीवन की अनमोल सीख देने के लिए की जा रही है. इसे किसी धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.

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Published : Aug 13, 2020, 2:20 PM IST

equipment to hear Verses of geeta
यंत्र के जरिए सुनेंगे गीता के श्लोक

नई दिल्ली: जीवन की सीख देने वाली श्रीमद्भागवत गीता अब डीयू के इस कॉलेज में छात्रों को सुनाई जाएगी. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी इवनिंग कॉलेज ने युवा पीढ़ी में जीवन के सही मायने और जीवन के महत्व को समझाने के लिए उन्हें गीता सार सुनाने की पहल की है.

कॉलेज के प्रिंसिपल ने दी जानकारी

इस पहल को लेकर पीजीडीएवी इवनिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि 'बोलती गीता' की ये पहल छात्रों को जीवन की अनमोल सीख देने के लिए की जा रही है. इसे किसी धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.




लाइब्रेरी में छात्र सुन सकेंगे गीता के श्लोक

वहीं पीजीडीएवी इवनिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आरके गुप्ता ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी में पढ़ने की रुचि लगभग खत्म सी होती जा रही है. इसी को देखते हुए पीजीडीएवी कॉलेज प्रशासन ने एक अनोखी पहल की है. उन्होंने कहा कि तकनीक का इस्तेमाल करते हुए एक ऐसा यंत्र कॉलेज में लाया गया है. जिसे गीता के जिस भी श्लोक पर रखा जाएगा. उस श्लोक का अर्थ सहित तीन भाषाओं हिंदी, संस्कृत और अंग्रेज़ी में व्याख्यान सुनाई देगा.

PGDAV Evening College applied equipment to hear Verses of geeta for college students
'बोलती गीता' की व्यवस्था

उन्होंने बताया कि फिलहाल लाइब्रेरी में इस यंत्र को स्पीकर से जोड़कर इस्तेमाल किया जाएगा जिससे लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए आने वाले छात्र खाली समय मे गीता के श्लोक सुन सकें और उसके गूढ़ अर्थ समझ सकें.



'गीता किसी एक मत सम्प्रदाय से संबंधित नहीं'

वहीं डॉ. गुप्ता ने कहा कि इस 'बोलती गीता' की पहल पर धार्मिक विरोध यदि उठता है तो वह बेबुनियाद होगा क्योंकि व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाए तो गीता ज्ञान का भंडार है. ये किसी एक मत सम्प्रदाय से संबंधित नहीं है. इसलिए इसे किसी धर्म से जोड़कर देखना पूरी तरह गलत होगा.

उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को जीवन मूल्यों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है. युवा पीढ़ी में संयम, साहस, दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास के साथ-साथ सहजता और विनम्रता के गुण होने बहुत जरूरी है, लेकिन इस चकाचौंध जिंदगी में इन गुणों का संचार ठीक से नहीं हो पाता. नतीजतन युवा अपने सही रास्ते से भटक जाते हैं, तो कभी मानसिक तनाव में चले जाते हैं. तो कभी कलह क्लेश होता है, जो देश को अवनति की ओर ले जाता है.

PGDAV Evening College applied equipment to hear Verses of geeta for college students
यंत्र के जरिए सुनेंगे श्लोक
गीता छात्रों को आगामी भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करती हैउन्होंने कहा कि एक स्वस्थ और प्रगतिशील मानसिकता वाली युवा पीढ़ी ही किसी देश के विकास में सहायक सिद्ध हो सकती है. ये सकारात्मक और प्रगतिशील मानसिकता उन्हें गीता से बेहतर और कहीं से नहीं मिल सकती.

उन्होंने कहा कि छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए गीता की सीख बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि कॉलेज एक ऐसी जगह है. जहां शिक्षा के जरिए छात्रों के भविष्य निर्माण की नींव बनाई जाती है. इसलिए ये शैक्षिक संस्थानों की ही जिम्मेदारी बनती है कि छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जाएगा. जिसके लिए उन्हें गीता ज्ञान होना बहुत जरूरी है.

गीता में निहित जीवन मूल्यों को छात्र अपने आचरण में ला सके. इसके लिए ये पहल की गई है. ऐसे में धार्मिक तौर पर इसे कोई ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों का ज्ञान श्रोत समझना चाहिए. गीता में इंसान की जिंदगी की तमाम समस्याओं का ऐसा समाधान बताया गया है. जो व्यावहारिक तौर पर आसानी से अपनाया जा सकता है.

नई दिल्ली: जीवन की सीख देने वाली श्रीमद्भागवत गीता अब डीयू के इस कॉलेज में छात्रों को सुनाई जाएगी. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी इवनिंग कॉलेज ने युवा पीढ़ी में जीवन के सही मायने और जीवन के महत्व को समझाने के लिए उन्हें गीता सार सुनाने की पहल की है.

कॉलेज के प्रिंसिपल ने दी जानकारी

इस पहल को लेकर पीजीडीएवी इवनिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि 'बोलती गीता' की ये पहल छात्रों को जीवन की अनमोल सीख देने के लिए की जा रही है. इसे किसी धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.




लाइब्रेरी में छात्र सुन सकेंगे गीता के श्लोक

वहीं पीजीडीएवी इवनिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आरके गुप्ता ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी में पढ़ने की रुचि लगभग खत्म सी होती जा रही है. इसी को देखते हुए पीजीडीएवी कॉलेज प्रशासन ने एक अनोखी पहल की है. उन्होंने कहा कि तकनीक का इस्तेमाल करते हुए एक ऐसा यंत्र कॉलेज में लाया गया है. जिसे गीता के जिस भी श्लोक पर रखा जाएगा. उस श्लोक का अर्थ सहित तीन भाषाओं हिंदी, संस्कृत और अंग्रेज़ी में व्याख्यान सुनाई देगा.

PGDAV Evening College applied equipment to hear Verses of geeta for college students
'बोलती गीता' की व्यवस्था

उन्होंने बताया कि फिलहाल लाइब्रेरी में इस यंत्र को स्पीकर से जोड़कर इस्तेमाल किया जाएगा जिससे लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए आने वाले छात्र खाली समय मे गीता के श्लोक सुन सकें और उसके गूढ़ अर्थ समझ सकें.



'गीता किसी एक मत सम्प्रदाय से संबंधित नहीं'

वहीं डॉ. गुप्ता ने कहा कि इस 'बोलती गीता' की पहल पर धार्मिक विरोध यदि उठता है तो वह बेबुनियाद होगा क्योंकि व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाए तो गीता ज्ञान का भंडार है. ये किसी एक मत सम्प्रदाय से संबंधित नहीं है. इसलिए इसे किसी धर्म से जोड़कर देखना पूरी तरह गलत होगा.

उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को जीवन मूल्यों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है. युवा पीढ़ी में संयम, साहस, दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास के साथ-साथ सहजता और विनम्रता के गुण होने बहुत जरूरी है, लेकिन इस चकाचौंध जिंदगी में इन गुणों का संचार ठीक से नहीं हो पाता. नतीजतन युवा अपने सही रास्ते से भटक जाते हैं, तो कभी मानसिक तनाव में चले जाते हैं. तो कभी कलह क्लेश होता है, जो देश को अवनति की ओर ले जाता है.

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यंत्र के जरिए सुनेंगे श्लोक
गीता छात्रों को आगामी भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करती हैउन्होंने कहा कि एक स्वस्थ और प्रगतिशील मानसिकता वाली युवा पीढ़ी ही किसी देश के विकास में सहायक सिद्ध हो सकती है. ये सकारात्मक और प्रगतिशील मानसिकता उन्हें गीता से बेहतर और कहीं से नहीं मिल सकती.

उन्होंने कहा कि छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए गीता की सीख बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि कॉलेज एक ऐसी जगह है. जहां शिक्षा के जरिए छात्रों के भविष्य निर्माण की नींव बनाई जाती है. इसलिए ये शैक्षिक संस्थानों की ही जिम्मेदारी बनती है कि छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जाएगा. जिसके लिए उन्हें गीता ज्ञान होना बहुत जरूरी है.

गीता में निहित जीवन मूल्यों को छात्र अपने आचरण में ला सके. इसके लिए ये पहल की गई है. ऐसे में धार्मिक तौर पर इसे कोई ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों का ज्ञान श्रोत समझना चाहिए. गीता में इंसान की जिंदगी की तमाम समस्याओं का ऐसा समाधान बताया गया है. जो व्यावहारिक तौर पर आसानी से अपनाया जा सकता है.

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