नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दाखिला परीक्षा को लेकर उठता बवाल थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. जेएनयू एमफिल और पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम का परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद 50 फ़ीसदी अंक से अधिक लाने वाले छात्रों को साक्षात्कार के लिए ना बुलाए जाने को लेकर एनएसयूआई ने जेएनयू के कुलपति का इस्तीफा मांगा है.
एनएसयूआई का आरोप है कि जेएनयू एंट्रेंस एग्जाम के प्रोस्पेक्टस में दिए दाखिला संबंधित सभी नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन किया जा रहा है. इसलिए कुलपति को तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे देना चाहिए. साथ ही उन्होंने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से परीक्षा कंडक्ट कराने का कॉन्ट्रैक्ट भी रद्द करने की मांग की है.
पेपर लीक का मामला आया सामने
बता दें कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पिछले दिनों दाखिला परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को सौंपने को लेकर काफी विवाद उठा था. वहीं बीए क्लस्टर वन का पेपर लीक होने की भी बात सामने आई थी, जिसके बाद यह विवाद और बढ़ गया था.
नियमों के उल्लंघन का आरोप
इस कड़ी में नया मामला सामने आया है दाखिला प्रोस्पेक्टस में दिए गए नियमों के उल्लंघन का. एनएसयूआई के कार्यकर्ता और जेएनयू छात्रसंघ के काउंसलर विष्णु प्रसाद ने जेएनयू प्रशासन पर दाखिला प्रोस्पेक्टस में दिए गए नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा कि दाखिला प्रोस्पेक्टस में दिए गए नियम के अनुसार एंट्रेंस एग्जाम में 50 फ़ीसदी से अधिक नंबर लाने वाले छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने का नियम है.
'साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया'
वहीं विष्णु प्रसाद ने बताया कि दाखिला परीक्षा 50 फ़ीसदी से अधिक अंकों से पास करने वाले छात्रों की शिकायत है कि अच्छे अंक आने के बावजूद उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया नहीं जा रहा है.
उन्होंने बताया कि दाखिला परीक्षा पास करने वाले छात्रों ने न सिर्फ कटऑफ को पार किया है बल्कि बड़ी संख्या में ऐसे छात्र भी हैं जिनके अंक 60-70 फीसदी से भी ऊपर आए हैं. ऐसे में एनएसयूआई की मांग है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी परीक्षा पास करने वाले छात्रों की सूची उनके प्राप्त अंकों के साथ जारी करें.
'पेपर लीक मामले की जांच हो'
साथ ही उन छात्रों की भी सूची जारी करें जिन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा. वहीं यह भी मांग रखी है कि जेएनयू प्रशासन यह सुनिश्चित करें कि दाखिला प्रक्रिया में पूरी तरह पारदर्शिता बनी रहे और पेपर लीक के मामले की कानूनन जांच कराई जाए.