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एनडीएमसी चैयरमेन हम आपके ही कर्मचारी हैं, कोई आतंकवादी नहीं !

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Published : Feb 25, 2022, 8:33 AM IST

कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधाकर बता रहे हैं कि RMR कर्मचारी लगातार शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने पालिका परिषद की कार्रवाई के ऊपर सवाल उठाते हुए कहा कि कर्मचारी कोई आतंकवादी नहीं है, जिन्हें नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स बुलाना पड़े.

ndmc RMR staff
ndmc RMR staff

नई दिल्ली: NDMC के RMR कर्मचारी अपने हक अधिकार लेने के लिये अपने ही पालिका केन्द्र कार्यालय के प्रांगण में अपने नेताओं अशोक और सुधाकर कुमार के साथ मिलकर पक्का होने के लिये गत एक फरवरी से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन इनकी आवाज सुनने की बजाय उसे बंद करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है. नई दिल्ली नगरपालिका कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधाकर कुमार ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि पालिका परिषद आरएमआर कर्मचारियों को भड़काने का खूब प्रयास किया, लेकिन वह अपनी चाल में सफल नहीं हो पाई. RMR कर्मचारी लगातार शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करते रहे. उन्होंने पालिका परिषद की कार्रवाई के ऊपर सवाल उठाते हुए कहा कि कर्मचारी कोई आतंकवादी नहीं है, जिन्हें नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स बुलाना पड़े.

एनडीएमसी के विभिन्न विभागों में काम कर रहे लगभग 4500 RMR कर्मचारी पक्का करने के लिए विगत एक महीने से लंच आवर में पालिका केंद्र प्रांगण में ही धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन इस तरफ एनडीएमसी प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा है. इनकी आवाज सुनने के बजाय उन्हें दबाया जा रहा है. हद तो तब हो गई जब शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों के ऊपर कार्रवाई के लिए पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने से पुलिस बल और पैरामिलिट्री फोर्स को बुला लिया गया. ऐसा लग रहा था कि हम लोग एनडीएमसी के कर्मचारी नहीं, बल्कि कोई असामाजिक तत्व हों.

आरएमआर कचारियों का प्रदर्शन

ये भी पढ़ें: RMR कर्मचारियों ने NDMC चेयरमैन के खिलाफ किया प्रदर्शन, काम बंद करने की दी धमकी

सुधाकर कुमार ने बताया कि कई आरएमआर कर्मचारी पक्की नौकरी का इंतजार करते हुए रिटायर हो गए हैं. सैंकड़ों ऐसे कर्मचारी हैं जो 50 से 55 वर्ष की उम्र तक पहुंच गए हैं. अगर उन्हें पक्का किया भी जाता है तो इसका कोई विशेष फायदा उन्हें नहीं होने वाला है. बहुत कम ही युवा कर्मचारी हैं. उन्हें ही प्रमोशन के साथ पक्की नौकरी होने का लाभ प्राप्त हो सकता है. इसके बावजूद पालिका परिषद काउंसिल मीटिंग में निर्णय लेने के बाद भी इसे लागू नहीं कर पा रही है.

यह 2014 में कांग्रेस के समय में ये लोग RMR हुये थे. 2019 में इन्हें पक्का होना था लेकिन सरकार बदल गई. सत्ता में आयी बीजेपी सरकार ने और उस समय के चैयरमैन नरेश कुमार ने पक्का करने के बजाये उस समय के डायरेक्टर पी के पद पर कार्यरत वीरेन्द्र सिंह के साथ मिलकर RMR कर्मचारियों की फ़ाइल को बेवजह MHA में भेज दी.

जब से NDMC का गठन हुआ है तब से पहली बार पक्के होने वाली फ़ाइल MHA में भेजी, क्योंकि केन्द्र से आये वीरेन्द्र सिंह को NDMC के नियमों के बारे में जानकारी थी. लेकिन उन्होंने जान बूझकर अपने आकाओं के कहने पर RMR कर्मचारियों के पक्का करने वाली फ़ाइल को कानूनी दांवपेंच में उलझा दिया. भूतपूर्व चैयरमेन इम्तियाज खान ने NDMC में एक पॉलिसी बनाई थी कि आरएमआर कर्मचारियों को पांच साल में पक्का कर दिया जाए, जो पॉलिसी इतने समय से चली आ रही थी उसे पालिका केन्द्र में बीजेपी के द्वारा बिठाए गये चेयरमैन और मेम्बर क्यों नहीं मान रहे हैं?.

ये भी पढ़ें: नौकरी पक्की न होने से नाराज आरएमआर कर्मचारियों ने शुरू किया धरना प्रदर्शन

अब तो चेयरमैन और वाईस चैयरमेन ने शांति पूर्वक अपना हक अधिकार लेने के लिये पालिका केंद्र कार्यालय के प्रांगण में धरना-प्रदर्शन कर रहे आरएमआर कर्मचारियों के हक अधिकार की मांग को दबाने के लिए बाहर से दिल्ली पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स को बुलाया गया, जबकि एक राजा के लिये प्रजा उसके बच्चों के समान होती है. ऐसे ही एक बडे अधिकारी के लिये उसके महकमे के सभी कर्मचारी परिवार और औलाद कि तरह होती है. क्या आरएमआर कर्मचारी अशांति पूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे? कार्यालय की संपति को नुकसान पहुंचा रहे थे या NDMC के किसी अधिकारी के साथ कोई मारपीट या अभद्र व्यवहार कर रहे थे? पुलिस बुलाने की कार्रवाई करने से यह पता चलता है कि मुग़लों का राज है या अंग्रेजों का शासन दुबारा आ गया है.

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नई दिल्ली: NDMC के RMR कर्मचारी अपने हक अधिकार लेने के लिये अपने ही पालिका केन्द्र कार्यालय के प्रांगण में अपने नेताओं अशोक और सुधाकर कुमार के साथ मिलकर पक्का होने के लिये गत एक फरवरी से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन इनकी आवाज सुनने की बजाय उसे बंद करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है. नई दिल्ली नगरपालिका कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधाकर कुमार ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि पालिका परिषद आरएमआर कर्मचारियों को भड़काने का खूब प्रयास किया, लेकिन वह अपनी चाल में सफल नहीं हो पाई. RMR कर्मचारी लगातार शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करते रहे. उन्होंने पालिका परिषद की कार्रवाई के ऊपर सवाल उठाते हुए कहा कि कर्मचारी कोई आतंकवादी नहीं है, जिन्हें नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स बुलाना पड़े.

एनडीएमसी के विभिन्न विभागों में काम कर रहे लगभग 4500 RMR कर्मचारी पक्का करने के लिए विगत एक महीने से लंच आवर में पालिका केंद्र प्रांगण में ही धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन इस तरफ एनडीएमसी प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा है. इनकी आवाज सुनने के बजाय उन्हें दबाया जा रहा है. हद तो तब हो गई जब शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों के ऊपर कार्रवाई के लिए पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने से पुलिस बल और पैरामिलिट्री फोर्स को बुला लिया गया. ऐसा लग रहा था कि हम लोग एनडीएमसी के कर्मचारी नहीं, बल्कि कोई असामाजिक तत्व हों.

आरएमआर कचारियों का प्रदर्शन

ये भी पढ़ें: RMR कर्मचारियों ने NDMC चेयरमैन के खिलाफ किया प्रदर्शन, काम बंद करने की दी धमकी

सुधाकर कुमार ने बताया कि कई आरएमआर कर्मचारी पक्की नौकरी का इंतजार करते हुए रिटायर हो गए हैं. सैंकड़ों ऐसे कर्मचारी हैं जो 50 से 55 वर्ष की उम्र तक पहुंच गए हैं. अगर उन्हें पक्का किया भी जाता है तो इसका कोई विशेष फायदा उन्हें नहीं होने वाला है. बहुत कम ही युवा कर्मचारी हैं. उन्हें ही प्रमोशन के साथ पक्की नौकरी होने का लाभ प्राप्त हो सकता है. इसके बावजूद पालिका परिषद काउंसिल मीटिंग में निर्णय लेने के बाद भी इसे लागू नहीं कर पा रही है.

यह 2014 में कांग्रेस के समय में ये लोग RMR हुये थे. 2019 में इन्हें पक्का होना था लेकिन सरकार बदल गई. सत्ता में आयी बीजेपी सरकार ने और उस समय के चैयरमैन नरेश कुमार ने पक्का करने के बजाये उस समय के डायरेक्टर पी के पद पर कार्यरत वीरेन्द्र सिंह के साथ मिलकर RMR कर्मचारियों की फ़ाइल को बेवजह MHA में भेज दी.

जब से NDMC का गठन हुआ है तब से पहली बार पक्के होने वाली फ़ाइल MHA में भेजी, क्योंकि केन्द्र से आये वीरेन्द्र सिंह को NDMC के नियमों के बारे में जानकारी थी. लेकिन उन्होंने जान बूझकर अपने आकाओं के कहने पर RMR कर्मचारियों के पक्का करने वाली फ़ाइल को कानूनी दांवपेंच में उलझा दिया. भूतपूर्व चैयरमेन इम्तियाज खान ने NDMC में एक पॉलिसी बनाई थी कि आरएमआर कर्मचारियों को पांच साल में पक्का कर दिया जाए, जो पॉलिसी इतने समय से चली आ रही थी उसे पालिका केन्द्र में बीजेपी के द्वारा बिठाए गये चेयरमैन और मेम्बर क्यों नहीं मान रहे हैं?.

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अब तो चेयरमैन और वाईस चैयरमेन ने शांति पूर्वक अपना हक अधिकार लेने के लिये पालिका केंद्र कार्यालय के प्रांगण में धरना-प्रदर्शन कर रहे आरएमआर कर्मचारियों के हक अधिकार की मांग को दबाने के लिए बाहर से दिल्ली पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स को बुलाया गया, जबकि एक राजा के लिये प्रजा उसके बच्चों के समान होती है. ऐसे ही एक बडे अधिकारी के लिये उसके महकमे के सभी कर्मचारी परिवार और औलाद कि तरह होती है. क्या आरएमआर कर्मचारी अशांति पूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे? कार्यालय की संपति को नुकसान पहुंचा रहे थे या NDMC के किसी अधिकारी के साथ कोई मारपीट या अभद्र व्यवहार कर रहे थे? पुलिस बुलाने की कार्रवाई करने से यह पता चलता है कि मुग़लों का राज है या अंग्रेजों का शासन दुबारा आ गया है.

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