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मेडिकल प्रोफेशनल्स ने तेज की इंडियन मेडिकल सर्विस की मांग

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (Federation of All India Medical Association) ने भारतीय चिकित्सा सेवा (Indian Medical Service) के लिए एक केंद्रीय कैडर स्थापित करने की मांग की है. एसोसिएशन का कहना है कि डॉक्टरों ने केंद्रीय कैडर की आवश्यकता को खातसौर पर महसूस किया है. उनका तर्क है कि जहां हेल्थ की बात हो वहां नीतियां बनाने का अधिकार भी इंडियन मेडिकल ऑफिसर (Indian Medical Officer) का ही होना चाहिए.

Indian Medical Service demand
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Published : Feb 4, 2022, 9:22 AM IST

नई दिल्ली: मेडिकल फील्ड को नियंत्रित और नियमित करने के लिए इंडियन सिविल सर्विस (Indian Civil Service) की तर्ज पर इंडियन मेडिकल सर्विस (Indian Medical Service) की मांग मेडिकल प्रोफेशनल्स ने तेज कर दी है. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (Federation of All India Medical Association) ने यह मांग कोरोना महामारी के दौरान ब्यूरोक्रेट्स द्वारा गलत नीतियां बनाने से हो रही समस्याओं की वजह से उठायी है. इनकी मांग का समर्थन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने भी किया है.

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (Federation of All India Medical Association) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर रोहन कृष्णन ने इंडियन मेडिकल सर्विस (Indian Medical Service) की सख्त जरूरत बताते हुए केंद्र सरकार से मांग की है. उन्होंने बताया कि इंडियन मेडिकल सर्विस (Indian Medical Service) में वही अधिकारी होंगे जो इस फील्ड को अच्छी तरीके से जानते होंगे. वह अच्छे नीति निर्माता हो सकते हैं, लेकिन गैर प्रोफेशनल व्यक्ति जब एडमिनिस्ट्रेशन में आते हैं तो फिर कन्फ्यूजन पैदा होती है और मेडिकल प्रोफेशनल को उनके तहत काम करने में परेशानी होती है. इन्हीं सब परेशानियों को लेकर एम्स के डॉक्टर इंडियन मेडिकल सर्विस (Indian Medical Service) की मांग तेज कर दी है.

इंडियन मेडिकल सर्विस की मांग

ये भी पढ़ें: भारतीय चिकित्सा संघ की सिफारिश : सिविल सर्विसेज की तर्ज पर हो इंडियन मेडिकल सर्विस का गठन

डॉ. रोहन कृष्णन ने बताया कि जिस तरीके से आईएएस, आईपीएस एक निर्धारित सिस्टम के तहत काम करते हैं उस तरीके से हेल्थ सिस्टम काम नहीं कर पा रहा है. क्योंकि हेल्थ सिस्टम को चलाने के लिए एडमिनिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है. इस सिस्टम में जो लोग भी होते हैं वो नॉन मेडिकल फील्ड के होते हैं, जिन्हें हेल्थ सिस्टम में काम करने का अनुभव नहीं होता है, कन्फ्यूजन यहीं पैदा होती है. अगर एडमिनिस्ट्रेशन में कोई डॉक्टर होगा तो वह दूसरे डॉक्टर की समस्या और दुख तकलीफों को अच्छी तरीके से समझ सकता है. जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक यह सिस्टम ठीक से काम नहीं कर सकता है.

Indian Medical Service demand
इंडियन मेडिकल सर्विस की मांग

ये भी पढ़ें: सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ अभियान : कोरोना काल में बंद हो गया HPV वैक्सीनेशन

डॉ. रोहन ने बताया कि अभी जैसे कोरोना का इंफेक्शन बहुत तेजी से फैल रहा है. आखिर हम इस पर कंट्रोल क्यों नहीं पाए? इसके लिए कहीं न कहीं एडमिनिस्ट्रेशन जिम्मेदार है. जिनके पास फैसले लेने का अधिकार है. ऐसा तब हुआ जब सबसे पहले हमने लॉकडाउन किया. इसके बावजूद भारत दुनिया में सबसे तेजी से कोरोना फैलने वाला देश बन गया है. हमारे देश में नौ लाख कोरोना पॉजिटिव के मामले हो गए हैं. आखिर गलती कहां और किससे हुई जिसकी वजह से कोरोना महामारी को हम नियंत्रित नहीं कर पाए ? जाहिर सी बात है जहां पर उनकी हेल्थ सिस्टम के एडमिनिस्ट्रेशन में मेडिकल फील्ड से जुड़े हुए ऑफिसर हैं, जो हेल्थ सिस्टम के कामकाज को अच्छी तरीके से जानते हैं. इसीलिए भारतीय हेल्थ सिस्टम को पूरे बदलने की जरूरत है. इसके लिए बहुत जरूरी है इंडियन मेडिकल सर्विस को लागू करना. अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी इंडियन हेल्थ सर्विस की वकालत कर दी है.

ये भी पढ़ें: कैंसर का मतलब जीवन का अंत नहीं, कस्टमाइज थेरेपी है ना !

डॉ. रोहन के मुताबिक डॉक्टरों के खिलाफ अस्पतालों में मारपीट के काफी मामले सामने आते हैं. इलाज में कुछ गड़बड़ी हुई नहीं या किसी मरीज की मौत हुई नहीं कि उनके ऊपर हमले शुरू हो जाते हैं. अगर इंडियन मेडिकल सर्विस का डर होता तो इस तरह की नौबत आती ही नहीं. प्राइमरी हेल्थ केयर सिस्टम लगभग चौपट हो गया है.

भारत में हेल्थ के ऊपर खर्च करने के लिए जीडीपी का एक फीसदी हिस्सा ही खर्च किया जाता है. कम से कम छह फीसदी जीडीपी का हेल्थ सिसस्टम पर खर्च होना चाहिए. जब तक यह सारी चीजें पूरी नहीं होगी, हमारा हेल्थ सिस्टम पूरा ठीक नहीं हो पाएगा. हम प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से अपील की है कि जैसे ही कोरोना का महामारी खत्म हो वैसे ही इंडियन मेडिकल सर्विस को लागू दिया जाना चाहिए.

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नई दिल्ली: मेडिकल फील्ड को नियंत्रित और नियमित करने के लिए इंडियन सिविल सर्विस (Indian Civil Service) की तर्ज पर इंडियन मेडिकल सर्विस (Indian Medical Service) की मांग मेडिकल प्रोफेशनल्स ने तेज कर दी है. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (Federation of All India Medical Association) ने यह मांग कोरोना महामारी के दौरान ब्यूरोक्रेट्स द्वारा गलत नीतियां बनाने से हो रही समस्याओं की वजह से उठायी है. इनकी मांग का समर्थन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने भी किया है.

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (Federation of All India Medical Association) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर रोहन कृष्णन ने इंडियन मेडिकल सर्विस (Indian Medical Service) की सख्त जरूरत बताते हुए केंद्र सरकार से मांग की है. उन्होंने बताया कि इंडियन मेडिकल सर्विस (Indian Medical Service) में वही अधिकारी होंगे जो इस फील्ड को अच्छी तरीके से जानते होंगे. वह अच्छे नीति निर्माता हो सकते हैं, लेकिन गैर प्रोफेशनल व्यक्ति जब एडमिनिस्ट्रेशन में आते हैं तो फिर कन्फ्यूजन पैदा होती है और मेडिकल प्रोफेशनल को उनके तहत काम करने में परेशानी होती है. इन्हीं सब परेशानियों को लेकर एम्स के डॉक्टर इंडियन मेडिकल सर्विस (Indian Medical Service) की मांग तेज कर दी है.

इंडियन मेडिकल सर्विस की मांग

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डॉ. रोहन कृष्णन ने बताया कि जिस तरीके से आईएएस, आईपीएस एक निर्धारित सिस्टम के तहत काम करते हैं उस तरीके से हेल्थ सिस्टम काम नहीं कर पा रहा है. क्योंकि हेल्थ सिस्टम को चलाने के लिए एडमिनिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है. इस सिस्टम में जो लोग भी होते हैं वो नॉन मेडिकल फील्ड के होते हैं, जिन्हें हेल्थ सिस्टम में काम करने का अनुभव नहीं होता है, कन्फ्यूजन यहीं पैदा होती है. अगर एडमिनिस्ट्रेशन में कोई डॉक्टर होगा तो वह दूसरे डॉक्टर की समस्या और दुख तकलीफों को अच्छी तरीके से समझ सकता है. जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक यह सिस्टम ठीक से काम नहीं कर सकता है.

Indian Medical Service demand
इंडियन मेडिकल सर्विस की मांग

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डॉ. रोहन ने बताया कि अभी जैसे कोरोना का इंफेक्शन बहुत तेजी से फैल रहा है. आखिर हम इस पर कंट्रोल क्यों नहीं पाए? इसके लिए कहीं न कहीं एडमिनिस्ट्रेशन जिम्मेदार है. जिनके पास फैसले लेने का अधिकार है. ऐसा तब हुआ जब सबसे पहले हमने लॉकडाउन किया. इसके बावजूद भारत दुनिया में सबसे तेजी से कोरोना फैलने वाला देश बन गया है. हमारे देश में नौ लाख कोरोना पॉजिटिव के मामले हो गए हैं. आखिर गलती कहां और किससे हुई जिसकी वजह से कोरोना महामारी को हम नियंत्रित नहीं कर पाए ? जाहिर सी बात है जहां पर उनकी हेल्थ सिस्टम के एडमिनिस्ट्रेशन में मेडिकल फील्ड से जुड़े हुए ऑफिसर हैं, जो हेल्थ सिस्टम के कामकाज को अच्छी तरीके से जानते हैं. इसीलिए भारतीय हेल्थ सिस्टम को पूरे बदलने की जरूरत है. इसके लिए बहुत जरूरी है इंडियन मेडिकल सर्विस को लागू करना. अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी इंडियन हेल्थ सर्विस की वकालत कर दी है.

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डॉ. रोहन के मुताबिक डॉक्टरों के खिलाफ अस्पतालों में मारपीट के काफी मामले सामने आते हैं. इलाज में कुछ गड़बड़ी हुई नहीं या किसी मरीज की मौत हुई नहीं कि उनके ऊपर हमले शुरू हो जाते हैं. अगर इंडियन मेडिकल सर्विस का डर होता तो इस तरह की नौबत आती ही नहीं. प्राइमरी हेल्थ केयर सिस्टम लगभग चौपट हो गया है.

भारत में हेल्थ के ऊपर खर्च करने के लिए जीडीपी का एक फीसदी हिस्सा ही खर्च किया जाता है. कम से कम छह फीसदी जीडीपी का हेल्थ सिसस्टम पर खर्च होना चाहिए. जब तक यह सारी चीजें पूरी नहीं होगी, हमारा हेल्थ सिस्टम पूरा ठीक नहीं हो पाएगा. हम प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से अपील की है कि जैसे ही कोरोना का महामारी खत्म हो वैसे ही इंडियन मेडिकल सर्विस को लागू दिया जाना चाहिए.

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