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जानिए, PPE किट का इस्तेमाल करने का क्या है सही तरीका - पीपीई किट से कोरोना खतरा

पीपीई किट एक तरफ डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स को कोरोना से सुरक्षित रख रही हैं. वहीं इसके गलत इस्तेमाल से कोरोना का संक्रमण फैल सकता है. इस खबर में आरएमएल अस्पताल के आईसीयू एक्सपर्ट डॉ. गणेश से जानिए आखिरकार कैसे पीपीई किट का सही इस्तेमाल हो सकता है.

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पीपीई किट के इस्तेमाल को लेकर जानिए डॉक्टर की राय
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Published : May 31, 2020, 2:36 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर आधी अधूरी जानकारी लोगों को भारी पड़ सकती है. पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट पीपीई किट कोरोना का नया संवाहक बन सकती है.

पीपीई किट के इस्तेमाल को लेकर जानिए डॉक्टर की राय

चिकित्सक खुद मानते हैं कि किट को लेकर लापरवाही लोगों को भारी पड़ सकती है. आखिर सुरक्षा के इतने उपायों के बाद और पीपीई किट पहनने के बावजूद भी हेल्थ वर्कर्स कैसे इन्फेक्टेड हो जाते हैं. पीपीई किट को उतारने में लापरवाही तो कही इसके लिए जिम्मेवार नहीं है. इसके बारे में आरएमएल अस्पताल के आईसीयू एक्सपर्ट डॉ. गणेश से जानते हैं.


ऐसे पहने पीपीई किट

आरएमएल अस्पताल के आईसीयू एक्सपर्ट डॉ. गणेश बताते हैं कि पीपीई किट कोरोना मरीजों की ड्यूटी पर लगे हेल्थ वर्कर्स का सुरक्षा कवच होता है. इसे एक उबाऊ प्रक्रिया से गुजरते हुए पहनना पड़ता है. लेकिन कोरोना से बचना है तो इसे पहनना ही पड़ेगा.

पीपीई किट को पहनने की प्रक्रिया को डबिंग कहते हैं. इसको पहनने के पहले सबसे पहले हाथ को सैनिटाइज करते हैं. उसके बाद हाथों में ग्लव्स का पहला जोड़ा पहनते है. उसके बाद पैरों को ढकने के लिए शूज कवर पहनते है. और फिर हाथों में एक और ग्लव्स पहनते हैं. अब बारी आती सर्जिकल गाउन की आती है.


चेहरे को माइक्रोपोर से कवर करे

इसे पहनने के बाद इसके ऊपर पीपीई किट पहनते है. साथ ही आंखों को ढकने के लिए आईज कवर और चेहरे पर पहले से ही एन-95 मास्क होता है. लेकिन इसके बावजूद चेहरे का कुछ हिस्सा खुला रह जाता है.

इस खुले हिस्से को माइक्रोपोर से कवर करते है. ताकि किसी भी तरह से वायरस हमारे शरीर के अंदर ना प्रवेश कर सके. ये सब करने के बाद हाथों में एक और तीसरा ग्लव्स पहनते हैं. ये प्रक्रिया पूरी होने के बाद डॉक्टर्स या दूसरे हेल्थ वर्कर्स कोविड मरीजों वाले एरिया में जाने को तैयार हो जाते हैं.




ऐसे उतारते है पीपीई किट

डॉ. गणेश बताते हैं कि पीपीई किट को उतारने के लिए सबसे पहले कोविड आईसीयू एरिया से बाहर आना होता है. हाथ के ऊपर वाले ग्लव्स को उतारते है. एक बात का खास ध्यान रखना होता है कि जितनी बार पीपीई किट को हाथ लगाएंगे उतनी ही बार हाथ को सैनिटाइज करना जरूरी होता है.

ग्लव्स उतारने के बाद पीपीई किट को उतारते है. हाथ सैनीटाईज करते है. उसके बाद दूसरे ग्लव्स को उतारते हैं और फिर हाथों को सैनिटाइज करते है. उसके बाद आईज कवर को उतारते है. और फिर एक बार फिर हाथों को सैनिटाइज किया जाता है.




सावधानी से करें डफिंग प्रोसेस

आईसीयू एक्सपर्ट डॉ. गणेश बताते हैं कि इस प्रोसेस को पूरा करने में सावधानी बेहद जरूरी है. हाथ में पहने आखिरी ग्लव्स को उतारने के बाद चेहरे पर लगे एन-95 मास्क को भी उतार देना होता है.

इसके अंदर एक सर्जिकल मास्क भी होता है. इसे पहने हुए ही "डफिंग एरिया" से बाहर आ जाते है. बाहर आते ही एक फ्रेश एन-95 मास्क चेहरे पर लगाना पड़ता है. उसके बाद वॉशरूम में जाकर पूरे शरीर को अच्छे से साफ कर फिर सैनिटाइज करना होता है.

इसकी प्रोसेस के दौरान हेल्थ केयर वर्कर्स अगर थोड़ी सी भी लापरवाही करते हैं तो फिर वो कोविड से इन्फेक्टेड हो जाते हैं. इसलिए डफिंग प्रोसेस को काफी ध्यान से पूरा करना होता है.

नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर आधी अधूरी जानकारी लोगों को भारी पड़ सकती है. पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट पीपीई किट कोरोना का नया संवाहक बन सकती है.

पीपीई किट के इस्तेमाल को लेकर जानिए डॉक्टर की राय

चिकित्सक खुद मानते हैं कि किट को लेकर लापरवाही लोगों को भारी पड़ सकती है. आखिर सुरक्षा के इतने उपायों के बाद और पीपीई किट पहनने के बावजूद भी हेल्थ वर्कर्स कैसे इन्फेक्टेड हो जाते हैं. पीपीई किट को उतारने में लापरवाही तो कही इसके लिए जिम्मेवार नहीं है. इसके बारे में आरएमएल अस्पताल के आईसीयू एक्सपर्ट डॉ. गणेश से जानते हैं.


ऐसे पहने पीपीई किट

आरएमएल अस्पताल के आईसीयू एक्सपर्ट डॉ. गणेश बताते हैं कि पीपीई किट कोरोना मरीजों की ड्यूटी पर लगे हेल्थ वर्कर्स का सुरक्षा कवच होता है. इसे एक उबाऊ प्रक्रिया से गुजरते हुए पहनना पड़ता है. लेकिन कोरोना से बचना है तो इसे पहनना ही पड़ेगा.

पीपीई किट को पहनने की प्रक्रिया को डबिंग कहते हैं. इसको पहनने के पहले सबसे पहले हाथ को सैनिटाइज करते हैं. उसके बाद हाथों में ग्लव्स का पहला जोड़ा पहनते है. उसके बाद पैरों को ढकने के लिए शूज कवर पहनते है. और फिर हाथों में एक और ग्लव्स पहनते हैं. अब बारी आती सर्जिकल गाउन की आती है.


चेहरे को माइक्रोपोर से कवर करे

इसे पहनने के बाद इसके ऊपर पीपीई किट पहनते है. साथ ही आंखों को ढकने के लिए आईज कवर और चेहरे पर पहले से ही एन-95 मास्क होता है. लेकिन इसके बावजूद चेहरे का कुछ हिस्सा खुला रह जाता है.

इस खुले हिस्से को माइक्रोपोर से कवर करते है. ताकि किसी भी तरह से वायरस हमारे शरीर के अंदर ना प्रवेश कर सके. ये सब करने के बाद हाथों में एक और तीसरा ग्लव्स पहनते हैं. ये प्रक्रिया पूरी होने के बाद डॉक्टर्स या दूसरे हेल्थ वर्कर्स कोविड मरीजों वाले एरिया में जाने को तैयार हो जाते हैं.




ऐसे उतारते है पीपीई किट

डॉ. गणेश बताते हैं कि पीपीई किट को उतारने के लिए सबसे पहले कोविड आईसीयू एरिया से बाहर आना होता है. हाथ के ऊपर वाले ग्लव्स को उतारते है. एक बात का खास ध्यान रखना होता है कि जितनी बार पीपीई किट को हाथ लगाएंगे उतनी ही बार हाथ को सैनिटाइज करना जरूरी होता है.

ग्लव्स उतारने के बाद पीपीई किट को उतारते है. हाथ सैनीटाईज करते है. उसके बाद दूसरे ग्लव्स को उतारते हैं और फिर हाथों को सैनिटाइज करते है. उसके बाद आईज कवर को उतारते है. और फिर एक बार फिर हाथों को सैनिटाइज किया जाता है.




सावधानी से करें डफिंग प्रोसेस

आईसीयू एक्सपर्ट डॉ. गणेश बताते हैं कि इस प्रोसेस को पूरा करने में सावधानी बेहद जरूरी है. हाथ में पहने आखिरी ग्लव्स को उतारने के बाद चेहरे पर लगे एन-95 मास्क को भी उतार देना होता है.

इसके अंदर एक सर्जिकल मास्क भी होता है. इसे पहने हुए ही "डफिंग एरिया" से बाहर आ जाते है. बाहर आते ही एक फ्रेश एन-95 मास्क चेहरे पर लगाना पड़ता है. उसके बाद वॉशरूम में जाकर पूरे शरीर को अच्छे से साफ कर फिर सैनिटाइज करना होता है.

इसकी प्रोसेस के दौरान हेल्थ केयर वर्कर्स अगर थोड़ी सी भी लापरवाही करते हैं तो फिर वो कोविड से इन्फेक्टेड हो जाते हैं. इसलिए डफिंग प्रोसेस को काफी ध्यान से पूरा करना होता है.

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