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यह नहीं है आसान ! बायो वेस्ट का निपटान

कोविड जांच पॉइंट्स से बायो वेस्ट इकठ्ठे कर विशेष वाहन से उठाये जाते हैं. हर दिन 200 किलो तक बायो वेस्ट इकट्ठा किया जाता है.

http://10.10.50.70//delhi/12-December-2021/dl-sd-01-knowhowtodisposeofbiomedicalwasteofcovidtestingcenters-vis-dlc10030_12122021203832_1212f_1639321712_60.jpg
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Published : Dec 12, 2021, 9:18 PM IST

नई दिल्ली: इन दिनों कोरोना के नए वैरिएंट को देखते हुए रेंडम टेस्टिंग बढ़ा दी गई है. इसके साथ हैं टेस्टिंग सेंटर्स और पॉइंट से बड़ी मात्रा में बायो मेडिकल वेस्ट निकल रहे हैं. ये काफी खतरनाक होते हैं. इसे ऐसे ही डिस्पोज नहीं किया जा सकता है. इसे डिस्पोज करने का बाकायदा नियम तय है. टेक्निकल अधिकारी मोहम्मद इब्राहिम बताते हैं कि टेस्टिंग पॉइंट पर जहां कोरोना जांच के सैंपल के लिए स्वयं स्वैब लिया जाता है, वहां बड़ी मात्रा में स्वैब स्टिक्स निकलते हैं, जिन्हें पीले रंग के पॉलीथिन में जमा किया जाता है.

इब्राहिम ने बताया कि सैंपल कलेक्ट करने के बाद स्वैब स्टिक को पीले रंग की पॉलिथीन में डाल देते हैं. सैंपल का काम पूरा होने के बाद पीले रंग के पलिथीन को सील पैक कर देते हैं. उसके बाद उसे साकेत जे ब्लॉक में भेज देते हैं. वहां बायोमेडिकल वेस्ट की बड़ी गाड़ी खड़ी होती है, जिसमें इसे डाल दिया जाता है और फिर यह उसे बायोटिक सोलुशन को देते हैं. एक दिन में आमतौर पर एक सेंटर से एक किलो बायोवेस्ट निकलता है. इस तरह से देखा जाए तो दिल्ली में करीब ऐसे 200 से ज्यादा टेस्टिंग सेंटर से हर रोज औसतन 200-250 किलो बायो वेस्ट निकलता है.

बायो वेस्ट का निपटान !
ये भी पढ़ें - AAP की तिरंगा यात्रा : पार्टी की टोपी पहने ड्राइवर एंबुलेंस में ढोता दिखा पीने का पानी



बायो वेस्ट को कलेक्ट करने के लिये एक वाहन और उसका चालक और दो अन्य कर्मचारियों को तैनात किया हुआ है. वे ही क्षेत्र में विभिन्न स्थानों से ऐसे खतरनाक कचरे का संग्रह करते है. इस दौरान कोरोना वायरस के संक्रमण से पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने के लिए इन कर्मचारियों को रोजाना नई व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट उपलब्ध कराई जा रही है, जिसे पहनकर ये अपने कार्य को सुरक्षापूर्वक करने के लिये निकलते है.

सेंटर्स से एकत्र संक्रमित अपशिष्ट सामग्री को पीले बैग में भरा जाता है, जो पहले से ही सोडियम हाइपोक्लोराइट द्रव के तरलघोल में संक्रमण मुक्त किया गया होता है. बैग कचरे से भरने के बाद, इसे कसकर टैग द्वारा सील किया जाता है और इस प्रकार के कचरे की ढुलाई के लिये लगाए गए विशेष वाहन में भरा जाता है.


इस प्रकार इकठ्ठा किये गए कचरा बैग्स को सुबह 10 बजे तक तौलने के लिये एक स्थान पर लाया जाता है. यहां इन सबका रोजाना वजन लगभग 200 किलोग्राम से 250 किलोग्राम तक होता है. इसके बाद इन संक्रमित कचरे के सभी बैग्स को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के दिशा-निर्देशों के अनुसार वैज्ञानिक विधि से अंतिम निपटान के लिए एक एजेंसी बायो टेक् सॉल्यूशन (BioTec Solutions )को सौंप दिया जाता है.

नई दिल्ली: इन दिनों कोरोना के नए वैरिएंट को देखते हुए रेंडम टेस्टिंग बढ़ा दी गई है. इसके साथ हैं टेस्टिंग सेंटर्स और पॉइंट से बड़ी मात्रा में बायो मेडिकल वेस्ट निकल रहे हैं. ये काफी खतरनाक होते हैं. इसे ऐसे ही डिस्पोज नहीं किया जा सकता है. इसे डिस्पोज करने का बाकायदा नियम तय है. टेक्निकल अधिकारी मोहम्मद इब्राहिम बताते हैं कि टेस्टिंग पॉइंट पर जहां कोरोना जांच के सैंपल के लिए स्वयं स्वैब लिया जाता है, वहां बड़ी मात्रा में स्वैब स्टिक्स निकलते हैं, जिन्हें पीले रंग के पॉलीथिन में जमा किया जाता है.

इब्राहिम ने बताया कि सैंपल कलेक्ट करने के बाद स्वैब स्टिक को पीले रंग की पॉलिथीन में डाल देते हैं. सैंपल का काम पूरा होने के बाद पीले रंग के पलिथीन को सील पैक कर देते हैं. उसके बाद उसे साकेत जे ब्लॉक में भेज देते हैं. वहां बायोमेडिकल वेस्ट की बड़ी गाड़ी खड़ी होती है, जिसमें इसे डाल दिया जाता है और फिर यह उसे बायोटिक सोलुशन को देते हैं. एक दिन में आमतौर पर एक सेंटर से एक किलो बायोवेस्ट निकलता है. इस तरह से देखा जाए तो दिल्ली में करीब ऐसे 200 से ज्यादा टेस्टिंग सेंटर से हर रोज औसतन 200-250 किलो बायो वेस्ट निकलता है.

बायो वेस्ट का निपटान !
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बायो वेस्ट को कलेक्ट करने के लिये एक वाहन और उसका चालक और दो अन्य कर्मचारियों को तैनात किया हुआ है. वे ही क्षेत्र में विभिन्न स्थानों से ऐसे खतरनाक कचरे का संग्रह करते है. इस दौरान कोरोना वायरस के संक्रमण से पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने के लिए इन कर्मचारियों को रोजाना नई व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट उपलब्ध कराई जा रही है, जिसे पहनकर ये अपने कार्य को सुरक्षापूर्वक करने के लिये निकलते है.

सेंटर्स से एकत्र संक्रमित अपशिष्ट सामग्री को पीले बैग में भरा जाता है, जो पहले से ही सोडियम हाइपोक्लोराइट द्रव के तरलघोल में संक्रमण मुक्त किया गया होता है. बैग कचरे से भरने के बाद, इसे कसकर टैग द्वारा सील किया जाता है और इस प्रकार के कचरे की ढुलाई के लिये लगाए गए विशेष वाहन में भरा जाता है.


इस प्रकार इकठ्ठा किये गए कचरा बैग्स को सुबह 10 बजे तक तौलने के लिये एक स्थान पर लाया जाता है. यहां इन सबका रोजाना वजन लगभग 200 किलोग्राम से 250 किलोग्राम तक होता है. इसके बाद इन संक्रमित कचरे के सभी बैग्स को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के दिशा-निर्देशों के अनुसार वैज्ञानिक विधि से अंतिम निपटान के लिए एक एजेंसी बायो टेक् सॉल्यूशन (BioTec Solutions )को सौंप दिया जाता है.

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