नई दिल्ली: एम्स में शनिवार से इमरजेंसी में उपलब्ध खाली बिस्तरों और कितने मरीज वेटिंग में हैं, यह जानकारी मरीजों को इमरजेंसी के बाहर लगे डैशबोर्ड पर रियल टाइम में दिखनी शुरू हो गई है. अब दिल्ली के प्रमुख 15 अस्पतालों की इमरजेंसी में मौजूद खाली बिस्तरों की जानकारी भी उनके डेशबर्ड पर मरीजों को दिखाई देगी. इससे दिल्ली में मरीजों को एक अस्पताल की इमरजेंसी से दूसरे अस्पतालों तक बिना वजह नहीं भटकना होगा. मरीजों को रेफर करने से पहले अस्पताल का स्टाफ दूसरे अस्पताल को सूचना देगा कि मरीज आ रहा है.
इसे लेकर शनिवार को एम्स दिल्ली में राजधानी के 15 अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों ने बैठक की. इस बैठक में एम्स के निदेशक डॉक्टर एम श्रीनिवास भी मौजूद थे. इस बैठक में मरीजों को रेफर करने के लिए एक नीति बनाई गई, जिसमें सभी अस्पताल मिलकर काम करेंगे. बैठक में तय हुआ कि सभी अस्पताल अपनी इमरजेंसी में नोडल अधिकारी रखेंगे जो आपस में एक दूसरे से जुड़े रहेंगे. ये नोडल अधिकारी मरीजों को रेफर करने से पहले आपस में बात कर सकेंगे ताकि मरीज को सही जगह रेफर किया जा सके.
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अभी तक छोटे अस्पतालों से तो गंभीर मरीजों को बड़े अस्पतालों में रेफर किया जाता है लेकिन बड़े अस्पतालों में स्थिर हो चुके मरीजों को छोटे अस्पतालों में भेजने का चलन कम है. नई रेफर नीति के तहत अब एम्स और सफदरजंग जैसे अस्पताल भी स्थिर मरीजों को छोटे अस्पताल भेज सकेंगे. एम्स ने शनिवार को दूसरे अस्पतालों को अपना इमरजेंसी का ट्रेकर भी दिखाया. इसमें डॉक्टर इमरजेंसी में मौजूद मरीज की कौन सी जांच हो चुकी है और कौन सी नहीं, ये किसी भी समय दूर से ही देख सकता है. संबधित विभाग या व्यक्ति को जांच के लिए उसी समय वहीं से अलर्ट भी भेज सकता है.
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एम्स ने दूसरे अस्पतालों से कहा कि उनके डॉक्टर दूसरे अस्पतालों में मौजूद स्टाफ और डॉक्टरों को इमरजेंसी के लिए जरूरी प्रशिक्षण भी दे सकते हैं. एक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि उनके पास जगह है लेकिन संसाधन और लोग नहीं है तो एम्स के निदेशक ने कहा कि सभी मरीज हमारे हैं. हम जरूरत के हिसाब से प्रशिक्षण के अलावा अपने संसाधन भी दूसरे अस्पतालों को साझा कर सकते हैं. इस बैठक में मौजूद सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर बी. एल शेरवाल ने भी अभी प्रस्तावों पर सहमति जताई और कहा कि इससे मरीजों का फायदा होगा.
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