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सीसीआईएम के एक आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती - CCIM notification challenge

बीएएमएस डॉक्टर्स के लिए दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री इन सर्जरी के माध्यम से मॉडर्न मेडिसिन के तहत सर्जरी के काबिल बनाने वाली सीसीआईएम के नोटिफिकेशन के विरुद्ध इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इस नोटिफिकेशन को रद्द करने की कोर्ट से अपील की है.

ima filed a writ petition in the supreme court against ccim notification
सीसीआईएम के नोटिफिकेशन को रद्द करने की आईएमए की अपील
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Published : Dec 20, 2020, 8:18 PM IST

नई दिल्लीः इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) के एक आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सीसीआईएम नोटिफिकेशन में कहा गया है कि आयुष डॉक्टर 2 साल की सर्जरी की डिग्री लेने के बाद एलोपैथिक सर्जरी करने के लिए योग्य हो सकते हैं. आईएमए ने इसका पुरजोर विरोध किया है.

सीसीआईएम के नोटिफिकेशन को रद्द करने की आईएमए की अपील

पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेदा सर्जरी को अवैध करार देते हुए सेंट्रल काउंसिलऑफ इंडियन मेडिसिन को ऐसे आदेश जारी करने के लिए योग्य नहीं मानने की अपील की गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का स्पष्ट मानना है कि सेंट्रल काउंसिल आफ इंडियन मेडिसिन को यह अधिकार नहीं है कि वह अपने सिलेबस में मॉडर्न मेडिसिन को शामिल कर सके.

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के एंटीक्वैरी सेल के अध्यक्ष और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एंटी क्वैकरी सेल के सदस्य डॉ. अनिल बंसल इसे लेकर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि सीसीआईएम के नोटिफिकेशन के बाद मॉडर्न प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों में काफी रोष है, क्योंकि यह पूरी तरह से ना सिर्फ अनैतिक है, बल्कि गैरकानूनी भी है.

'एनएमसी आने के बाद अपना ताकत दिख रही ही सीसीआईएम'

डॉक्टर बंसल ने बताया कि 2004 में भी सीपीआईएम ने एक बार और नोटिफिकेशन जारी किया था और कहा था की आयुर्वेद में भी मॉडर्न मेडिसिन की पढ़ाई की जाती है. इसलिए आयुर्वेद के डॉक्टर भी मॉडर्न मेडिसिन की प्रैक्टिस कर सकते हैं. साथ ही सर्जरी भी कर सकते हैं. लेकिन इससे संबंधित एक याचिका 2006 में केरला हाई कोर्ट में गई थी, जिसे रद्द कर दिया गया था.

इसके बाद सीसीआईएम इस केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई. यहां भी इस केस को रद्द कर दिया गया. उसके बाद 2010 में सीसीआईएम ने अपने एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग में यह बात रखी थी कि, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जब इस मामले को रद्द कर दिया है तो अब इसे वापस ले लेना चाहिए. लेकिन जब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग किया गया और इसकी जगह पर नेशनल मेडिकल काउंसिल आई है. उसके तुरंत बाद ही सीसीआईएम ने एक बार फिर नोटिफिकेशन जारी कर सर्जरी की 2 वर्षीय पाठ्यक्रम की घोषणा कर दी, जिसे पूरा करने के बाद कोई भी बीएमएस डॉक्टर मॉडर्न सर्जरी कर सकता है.

'कोरोना महामारी की आड़ में सीसीआईएम ने केस को दोबारा खोला'

डॉ. अनिल बंसल बताते हैं कि अभी क्योंकि कोरोना का प्रकोप फैला हुआ है. इस अवसर का फायदा उठाते हुए सीसीआईएम ने दोबारा नोटिफिकेशन जारी किया है. इसके खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह अपील की है कि जिस तरह पहले इस तरह के गैरकानूनी नोटिफिकेशन को रद्द किया गया था, उसी तरह से इस बार भी इस गैरकानूनी नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए, क्योंकि यह मामला काउंसिल के नियमों के खिलाफ है.

नई दिल्लीः इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) के एक आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सीसीआईएम नोटिफिकेशन में कहा गया है कि आयुष डॉक्टर 2 साल की सर्जरी की डिग्री लेने के बाद एलोपैथिक सर्जरी करने के लिए योग्य हो सकते हैं. आईएमए ने इसका पुरजोर विरोध किया है.

सीसीआईएम के नोटिफिकेशन को रद्द करने की आईएमए की अपील

पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेदा सर्जरी को अवैध करार देते हुए सेंट्रल काउंसिलऑफ इंडियन मेडिसिन को ऐसे आदेश जारी करने के लिए योग्य नहीं मानने की अपील की गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का स्पष्ट मानना है कि सेंट्रल काउंसिल आफ इंडियन मेडिसिन को यह अधिकार नहीं है कि वह अपने सिलेबस में मॉडर्न मेडिसिन को शामिल कर सके.

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के एंटीक्वैरी सेल के अध्यक्ष और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एंटी क्वैकरी सेल के सदस्य डॉ. अनिल बंसल इसे लेकर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि सीसीआईएम के नोटिफिकेशन के बाद मॉडर्न प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों में काफी रोष है, क्योंकि यह पूरी तरह से ना सिर्फ अनैतिक है, बल्कि गैरकानूनी भी है.

'एनएमसी आने के बाद अपना ताकत दिख रही ही सीसीआईएम'

डॉक्टर बंसल ने बताया कि 2004 में भी सीपीआईएम ने एक बार और नोटिफिकेशन जारी किया था और कहा था की आयुर्वेद में भी मॉडर्न मेडिसिन की पढ़ाई की जाती है. इसलिए आयुर्वेद के डॉक्टर भी मॉडर्न मेडिसिन की प्रैक्टिस कर सकते हैं. साथ ही सर्जरी भी कर सकते हैं. लेकिन इससे संबंधित एक याचिका 2006 में केरला हाई कोर्ट में गई थी, जिसे रद्द कर दिया गया था.

इसके बाद सीसीआईएम इस केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई. यहां भी इस केस को रद्द कर दिया गया. उसके बाद 2010 में सीसीआईएम ने अपने एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग में यह बात रखी थी कि, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जब इस मामले को रद्द कर दिया है तो अब इसे वापस ले लेना चाहिए. लेकिन जब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग किया गया और इसकी जगह पर नेशनल मेडिकल काउंसिल आई है. उसके तुरंत बाद ही सीसीआईएम ने एक बार फिर नोटिफिकेशन जारी कर सर्जरी की 2 वर्षीय पाठ्यक्रम की घोषणा कर दी, जिसे पूरा करने के बाद कोई भी बीएमएस डॉक्टर मॉडर्न सर्जरी कर सकता है.

'कोरोना महामारी की आड़ में सीसीआईएम ने केस को दोबारा खोला'

डॉ. अनिल बंसल बताते हैं कि अभी क्योंकि कोरोना का प्रकोप फैला हुआ है. इस अवसर का फायदा उठाते हुए सीसीआईएम ने दोबारा नोटिफिकेशन जारी किया है. इसके खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह अपील की है कि जिस तरह पहले इस तरह के गैरकानूनी नोटिफिकेशन को रद्द किया गया था, उसी तरह से इस बार भी इस गैरकानूनी नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए, क्योंकि यह मामला काउंसिल के नियमों के खिलाफ है.

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