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VIDEO: आग लगने पर ये मशीन हो जाएगी एक्टिवेट और ऐसे बुझाएगी आग - ईटीवी भारत

कई बार छोटी सी चूक आग लगने की बड़ी दुर्घटना हो जाती है. आग लगने से काफी जान और माल का नुकसान होता है, अब ऐसा नहीं होगा...

आग से बचाएगी ये मशीन etv bharat
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Published : Aug 5, 2019, 5:39 PM IST

नई दिल्ली: आईआईटी गांधीनगर के प्रोफेसर और छात्रों ने मिलकर आग पर तत्काल काबू पाने के लिए एक ऐसी तकनीक ईजाद की है जो आग लगने पर खुद-ब-खुद आग पर काबू पाने के लिए काम करना शुरू कर देगी.

प्रोफेसर चिन्मय घोरोई ने बताया कि यह अग्निशमन यंत्र एरोसॉल से बनाया गया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में आग की घटना काफी बढ़ी है और आग लगने की वजह से कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. इसलिए यह तकनीक भारत में विकसित की गई है.

क्लिक कर देखें वीडियो

ट्रायल 55-60 डिग्री तापमान पर
प्रोफेसर चिन्मय ने बताया कि यह अग्निशमन यंत्र मौजूदा अग्निशमन यंत्र से काफी कारगर साबित होगा. उन्होंने बताया कि यह अग्निशमन यंत्र एक सेंसर के जरिए जुड़ा होगा. जोकि एक निश्चित तापमान पर आ जाने के बाद खुद-ब-खुद आग लगने की स्थिति में आग पर काबू पाने के लिए काम करना शुरू कर देगा. उन्होंने बताया कि फिलहाल इसका ट्रायल 55-60 डिग्री तापमान में रखकर किया है.

वहीं प्रोफेसर गौरव श्रीवास्तव ने बताया कि इस अग्निशमन यंत्र का उपयोग घर, सर्वर रूम, डाटा सेंटर, इलेक्ट्रिकल रूम, आदि जगहों पर किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इन जगहों पर आग लगने की संभावना काफी अधिक होती है. साथ ही बताया कि आने वाले दिनों में इस उपकरण का बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए भी विकसित किया जा सकता है.

प्रोफेसर गौरव ने बताया कि भारत में सबसे ज़्यादा आग लगने का कारण शार्ट सर्किट या एयर कंडीशनर होता है. उन्होंने बताया कि अगर इन सभी जगहों पर आग लगने की स्थिति में अगर शुरुआती दौर में ही काबू पा लिया जाता है तो ज़्यादा नुकसान नहीं होगा

नई दिल्ली: आईआईटी गांधीनगर के प्रोफेसर और छात्रों ने मिलकर आग पर तत्काल काबू पाने के लिए एक ऐसी तकनीक ईजाद की है जो आग लगने पर खुद-ब-खुद आग पर काबू पाने के लिए काम करना शुरू कर देगी.

प्रोफेसर चिन्मय घोरोई ने बताया कि यह अग्निशमन यंत्र एरोसॉल से बनाया गया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में आग की घटना काफी बढ़ी है और आग लगने की वजह से कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. इसलिए यह तकनीक भारत में विकसित की गई है.

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ट्रायल 55-60 डिग्री तापमान पर
प्रोफेसर चिन्मय ने बताया कि यह अग्निशमन यंत्र मौजूदा अग्निशमन यंत्र से काफी कारगर साबित होगा. उन्होंने बताया कि यह अग्निशमन यंत्र एक सेंसर के जरिए जुड़ा होगा. जोकि एक निश्चित तापमान पर आ जाने के बाद खुद-ब-खुद आग लगने की स्थिति में आग पर काबू पाने के लिए काम करना शुरू कर देगा. उन्होंने बताया कि फिलहाल इसका ट्रायल 55-60 डिग्री तापमान में रखकर किया है.

वहीं प्रोफेसर गौरव श्रीवास्तव ने बताया कि इस अग्निशमन यंत्र का उपयोग घर, सर्वर रूम, डाटा सेंटर, इलेक्ट्रिकल रूम, आदि जगहों पर किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इन जगहों पर आग लगने की संभावना काफी अधिक होती है. साथ ही बताया कि आने वाले दिनों में इस उपकरण का बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए भी विकसित किया जा सकता है.

प्रोफेसर गौरव ने बताया कि भारत में सबसे ज़्यादा आग लगने का कारण शार्ट सर्किट या एयर कंडीशनर होता है. उन्होंने बताया कि अगर इन सभी जगहों पर आग लगने की स्थिति में अगर शुरुआती दौर में ही काबू पा लिया जाता है तो ज़्यादा नुकसान नहीं होगा

Intro:नई दिल्ली ।

आईआईटी गांधीनगर ने के प्रोफेसर और छात्रों ने मिलकर आग पर तत्काल काबू पाने के लिए एक ऐसी तकनीकी इजाद की है जोकि आग लगने की स्थिति में खुद-ब-खुद आग पर काबू पाने के लिए काम करना शुरू कर देगी. इस तकनीक को ईजाद करने वाले प्रोफेसर चिन्मय घोरोई ने बताया कि यह अग्निशमन यंत्र एरोसॉल से बनाया गया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में आग की घटना काफी बढ़ी है और आग लगने की वजह कोई लोगों की अपनी जान गंवानी पड़ती है. उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए अब यह तकनीक भारत में विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही कहा कि जितने भी विकसित देश हैं वहां पर यह तकनीक मौजूद है लेकिन भारत में इसे इम्पोर्ट करना पड़ता है.


Body:वहीं प्रोफेसर चिन्मय ने बताया कि यह अग्निशमन यंत्र मौजूदा अग्निशमन यंत्र से काफी कारगर साबित होगा. उन्होंने बताया कि यह अग्निशमन यंत्र एक सेंसर के जरिए जुड़ा होगा. जोकि एक निश्चित तापमान पर आ जाने के बाद खुद ब खुद आग लगने की स्थिति में आग पर काबू पाने के लिए काम करना शुरू कर देगा है. वहीं प्रोफेसर ने बताया कि फिलहाल इसका ट्रायल 55-60 डिग्री तापमान में रखकर किया है.

वहीं प्रोफेसर गौरव श्रीवास्तव ने बताया कि इस अग्निशमन यत्रं का उपयोग घर, सर्वर रूम, डाटा सेंटर, इलेक्ट्रिकल रूम, आदि जगहों पर किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इन जगहों पर आग लगने की संभावना काफी अधिक होती है. साथ ही बताया कि आने वाले दिनों में इस उपकरण का बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए भी विकसित किया जा सकता है.




Conclusion:वहीं प्रोफेसर गौरव ने बताया कि भारत में जितनी भी आग लगती है उसमें सबसे ज़्यादा आग लगने का कारण शार्ट सर्किट या एयर कंडीशनर होता है. उन्होंने बताया कि अगर इन सभी जगहों पर आग लगने की स्थिति में अगर शुरुआती दौर में ही काबू पा लिया जाता है तो ज़्यादा नुकसान नहीं होगा.
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