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Insulinoma tumor: अजीब बीमारी से ग्रसित दुबई की महिला को गंगाराम हॉस्पिटल में मिली नई जिंदगी

इंसुलिनोमा ट्यूमर से ग्रसित दुबई की महिला को गंगाराम अस्पताल में नई जिंदगी मिली है. न्यूनतम इनवेसिव (बिना चीर फाड़) के लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का उपयोग करके ट्यूमर को हटा दिया. ट्यूमर को हटाने के बाद मरीज अब पूरी तरह से लक्षण मुक्त है.

सर गंगाराम अस्पताल
सर गंगाराम अस्पताल
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Published : Jun 21, 2023, 4:08 PM IST

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से सफलतापूर्वक इलाज

नई दिल्ली: दुबई की रहने वाली एक मध्यम वर्गीय भारतीय महिला के इंसुलिनोमा ट्यूमर का सर गंगा राम अस्पताल के डाक्टरों ने लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से सफलतापूर्वक इलाज किया है. महिला ट्यूमर की वजह से बार-बार बेहोशी, कंपकंपी और धड़कन की समस्या से पीड़ित थी.

सर गंगाराम अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पेनक्रिएटिक-बिलियरी साइंसेज के चेयरमैन डॉ. अनिल अरोड़ा ने बताया कि अस्पताल में आने से पहले डॉक्टरों ने दुबई में महिला का सीटी, एमआरआई और पेट की कई जांच के साथ उसका मूल्यांकन किया. लेकिन वे बीमारी के कारण का पता नहीं लगा पाए. यहां आने पर हमने एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड नामक एक उन्नत एंडोस्कोपिक प्रक्रिया से परीक्षण किया, जिसमें डुओडेनम (छोटी आंत का पहला भाग) के पास एक छोटा 1.4 x1.6 सेमी का ट्यूमर मिला. फिर माइक्रोस्कोप के तहत परीक्षण के लिए सुई के माध्यम से एक नमूना निकाला, जिसमें एक इंसुलिनोमा ट्यूमर की पुष्टि हुई.

इंसुलिनोमा ट्यूमर से ग्रसित दुबई की महिला
इंसुलिनोमा ट्यूमर से ग्रसित दुबई की महिला

दुर्लभ ट्यूमर है इंसुलिनोमा: डॉ. अनिल अरोड़ा ने बताया कि इंसुलिनोमा दुर्लभ ट्यूमर है जो बड़ी मात्रा में इंसुलिन स्रावित करता है. यह प्रति 10 लाख मामले में 4 देखा जाता है. इसके करीब 98 प्रतिशत मामले अग्न्याशय में या उसके पास पाए जाते हैं. वहीं दो प्रतिशत मामले शरीर में कहीं और पाए जाते हैं. महिला मरीज को जो ट्यूमर था उसे एक्टोपिक या अतिरिक्त-अग्नाशयी इंसुलिनोमा कहते हैं. सीटी स्कैन और एमआरआई द्वारा इन ट्यूमर को आसानी से डायग्नोस किया जा सकता है. ऐसे मामलों में एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड ट्यूमर का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हालांकि, एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (ईयूएस) पर भी ऑपरेटर अनुभव और कौशल एक जटिल कारक हैं.

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से सफलतापूर्वक इलाज
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से सफलतापूर्वक इलाज

ये भी पढ़ें: गंगाराम हॉस्पिटल में ठंडी गैसों से ट्यूमर को जलाकर कैंसर पीड़ित मरीज को दी नई जिंदगी

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से हटाया गया ट्यूमर: सर गंगा राम अस्पताल के जीआई सर्जन डॉ. नैमिष मेहता ने न्यूनतम इनवेसिव (बिना चीर फाड़) के लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का उपयोग करके ट्यूमर को हटा दिया. ट्यूमर को हटाने के बाद मरीज अब पूरी तरह से लक्षण मुक्त है. उन्होंने यह कहकर निष्कर्ष निकाला कि ऐसे मामलों में इन छोटे ट्यूमर के इलाज के लिए उन्नत प्रक्रियाओं के अतिरिक्त कौशल की आवश्यकता होती है.

ये भी पढ़ें: 83 साल की महिला के चेहरे की हड्डी में था ट्यूमर, डाॅक्टरों ने ऑपरेशन कर दिया नया जीवनदान

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से सफलतापूर्वक इलाज

नई दिल्ली: दुबई की रहने वाली एक मध्यम वर्गीय भारतीय महिला के इंसुलिनोमा ट्यूमर का सर गंगा राम अस्पताल के डाक्टरों ने लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से सफलतापूर्वक इलाज किया है. महिला ट्यूमर की वजह से बार-बार बेहोशी, कंपकंपी और धड़कन की समस्या से पीड़ित थी.

सर गंगाराम अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पेनक्रिएटिक-बिलियरी साइंसेज के चेयरमैन डॉ. अनिल अरोड़ा ने बताया कि अस्पताल में आने से पहले डॉक्टरों ने दुबई में महिला का सीटी, एमआरआई और पेट की कई जांच के साथ उसका मूल्यांकन किया. लेकिन वे बीमारी के कारण का पता नहीं लगा पाए. यहां आने पर हमने एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड नामक एक उन्नत एंडोस्कोपिक प्रक्रिया से परीक्षण किया, जिसमें डुओडेनम (छोटी आंत का पहला भाग) के पास एक छोटा 1.4 x1.6 सेमी का ट्यूमर मिला. फिर माइक्रोस्कोप के तहत परीक्षण के लिए सुई के माध्यम से एक नमूना निकाला, जिसमें एक इंसुलिनोमा ट्यूमर की पुष्टि हुई.

इंसुलिनोमा ट्यूमर से ग्रसित दुबई की महिला
इंसुलिनोमा ट्यूमर से ग्रसित दुबई की महिला

दुर्लभ ट्यूमर है इंसुलिनोमा: डॉ. अनिल अरोड़ा ने बताया कि इंसुलिनोमा दुर्लभ ट्यूमर है जो बड़ी मात्रा में इंसुलिन स्रावित करता है. यह प्रति 10 लाख मामले में 4 देखा जाता है. इसके करीब 98 प्रतिशत मामले अग्न्याशय में या उसके पास पाए जाते हैं. वहीं दो प्रतिशत मामले शरीर में कहीं और पाए जाते हैं. महिला मरीज को जो ट्यूमर था उसे एक्टोपिक या अतिरिक्त-अग्नाशयी इंसुलिनोमा कहते हैं. सीटी स्कैन और एमआरआई द्वारा इन ट्यूमर को आसानी से डायग्नोस किया जा सकता है. ऐसे मामलों में एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड ट्यूमर का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हालांकि, एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (ईयूएस) पर भी ऑपरेटर अनुभव और कौशल एक जटिल कारक हैं.

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से सफलतापूर्वक इलाज
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से सफलतापूर्वक इलाज

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लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से हटाया गया ट्यूमर: सर गंगा राम अस्पताल के जीआई सर्जन डॉ. नैमिष मेहता ने न्यूनतम इनवेसिव (बिना चीर फाड़) के लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का उपयोग करके ट्यूमर को हटा दिया. ट्यूमर को हटाने के बाद मरीज अब पूरी तरह से लक्षण मुक्त है. उन्होंने यह कहकर निष्कर्ष निकाला कि ऐसे मामलों में इन छोटे ट्यूमर के इलाज के लिए उन्नत प्रक्रियाओं के अतिरिक्त कौशल की आवश्यकता होती है.

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