नई दिल्ली: राजधानी के फतेहपुर बेरी इलाके में नाले के गंदे पानी की समस्या को लोग कई दशकों से झेल रहे हैं. इसके लिए जब स्थानीय लोगों ने दिल्ली के तमाम विभाग और नेताओं के चक्कर लगाए, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला. इसके बाद लोगों ने दिल्ली उच्च न्यायालय से समस्या को लेकर गुहार लगाई तो कोर्ट ने नाले की सफाई दिया. हालांकि इसके बावजूद जब कोई सफाई कार्य नहीं शुरू किया गया, जिसके बाद इसे कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट मानते हुए हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की तमाम सिविक एजेंसियों को फटकार लगाई और 10 दिनों के अंदर समस्या का समाधान कर रिपोर्ट देने की बात कही है.
लोगों ने बताया कि यह गंदा नाला कभी बरसाती नदी हुआ करता था. असोला भाटी माइंस के पहाड़ियों से उतरकर बारिश का पानी यहीं से आगे जाकर हरियाणा तक पहुंचता था. धीरे-धीरे इलाके में आबादी बढ़ने से नदी दूषित होती चली गई तो नाले के रूप में बदल गई. अब हालात यह है कि नाले का पानी फतेहपुर बेरी की खाली जमीन पर जमा हो रहा है. लगभग 70 से 75 एकड़ में फैले इस गंदे पानी की सुध न सरकार ले रही थी और न कोई विभाग. वहीं बरसात में यह पानी ओवरफ्लो होकर लोगों के घरों में घुस जाता है, जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है.
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अब कोर्ट की फटकार के बाद लोगों में उम्मीद जगी है कि उन्हें यहां की समस्या से राहत मिलेगी. कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि नाले के पानी की निकासी के लिए उपाय सुनिश्चित करें और नाले में जो प्लास्टिक या कूड़ा कचरा फैला है उसे साफ करें. इतना ही नहीं, नाले के शुरुआत से लेकर अंत तक जो गाद सालों से भरा है उसे निकाले. इसके लिए कोर्ट की तरफ से 10 दिन का वक्त दिया गया है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार, दिल्ली जल बोर्ड, पीडब्ल्यूडी, एमसीडी एवं अन्य विभाग को नोटिस जारी कर रिपोर्ट मांगी है.
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