नई दिल्ली: भारत और सिंगापुर सरकार के प्रोजेक्ट वर्ल्ड क्लास स्किल डवलपमेंट एजुकेशन सेंटर का काम फिलहाल रोक दिया गया है. भारत और खास तौर से दिल्ली सरकार की मंशा थी कि इस यूनिवर्सिटी के बन जाने के बाद हिंदुस्तान के बच्चे विदेशों में पढ़ने नहीं जाएंगे बल्कि वह हिंदुस्तान में ही पड़ेंगे.
सरकार ने पास किये थे 254 करोड़ रुपये
बता दें कि साल 2012 में कांग्रेस की सरकार के समय इसकी शुरुआत हुई थी. जिसके लिए उस समय भारत के प्रधानमंत्री और सिंगापूर के प्रधानमंत्री ने MOU पर हस्ताक्षर किये थे. इस प्रोजेक्ट के लिए दोनों सरकारों ने 254 करोड़ रूपये पास किये थे. लेकिन 2018 में इस प्रोजेक्ट को यह बता कर रोक दिया गया कि यह जमीन वन विभाग की है. आखिर लोगों को अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि जब यह टेंडर पास हुआ था और जब यह स्किल डेवलप के लिए प्रोजेक्ट बनने की शुरुआत हुई थी, तब क्या डिपार्टमेंट को नहीं पता था कि यह 37 एकड़ जमीन वन विभाग की है.
सभी से लगाई गुहार
जौनापुर और आस पास के लोगों ने इस यूनिवर्सिटी को बनवाने के लिए जगह-जगह सरकारी दफ्तरों के साथ साथ मुख्यमंत्री, लेफ्टिनेंट गवर्नर और क्षेत्र के नेताओं तक इस मुद्दे को पहुंचाया. जो यूनिवर्सिटी बन रही थी उस पर रोक लग गई है. लेकिन इस पर अभी तक ना सरकार ना नेताओं के द्वारा कोई पहल की गई है. क्योंकि 2012 में ये प्रोजेक्ट बनना शुरू हो गया था तो 2018 तक बहुत काम इस प्रोजेक्ट के हो चुके थे. अब इस बाउंड्री वॉल को बनवाने में ही लाखों रुपए सरकार के द्वारा खर्च कर दिए गए हैं. जो कि अब बर्बाद हो रहे हैं. बाहर बोर्ड तो लगा है कि सिंगापुर के साथ मिलकर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है. लेकिन हिंदुस्तान की एक छवि जो है इस प्रोजेक्ट के ना बनने की वजह से सिंगापुर में भी खराब होती नजर आ रही है.
अब देखना होगा की क्या दिल्ली सरकार जो कि शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है क्या वह इस रुके हुए प्रोजेक्ट में अब हस्तक्षेप करेगी. क्या इस प्रोजेक्ट की शुरुआत फिर से होगी क्योंकि इसके बनने से दक्षिणी दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरी दिल्ली के साथ साथ देश का नाम भी रोशन होगा.