नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन की भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अरुंजय, अरुण कुमार, सुभाष चंद, दीपक राघव और गोविंद कुमार के तौर पर हुई है. इनके कब्जे से मोबाइल फोन बरामद किया गया है, जिसकी मदद से पेपर लीक कर रहे थे.
स्पेशल सीपी रविंद्र यादव के मुताबिक, द्वारका के पैरामाउंट स्कूल में 4 मार्च को एनटीआरओ एविएटर-2 और टेक्निकल असिस्टेंट का एग्जाम चल रहा था. दो पारियों में होने वाली परीक्षा के लिए दिल्ली के विभिन्न स्कूलों में केंद्र बनाए गए थे. न्यू अशोक नगर स्थित क्राइम ब्रांच की टीम को सूचना मिली कि द्वारका सेक्टर- 23 स्थित पैरामाउंट इंटरनेशल स्कूल में भी परीक्षा केंद्र बना हुआ है. इसी स्कूल का एक अधिकारी साल्वर गैंग चला रहा है और इसके द्वारा विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर अभ्यर्थियों को साल्वर आंसर मुहैया कराया जाएगा. बताया जा रहा है कि इसका मास्टमाइंड अरुंजय कुमार है.
सूचना के आधार पर एसीपी रोहिताश कुमार की देखरेख में एक टीम बनाई गई. टीम ने पांच मार्च को सुबह करीब 11 बजे स्कूल में छापा मारा और अरुंजय को हिरासत में ले लिया. अरुंजय स्कूल में असिस्टेंट एक्जामिनेशन असिस्टेंट था. क्राइम ब्रांच ने अरुंजय के मोबाइल की जांच की, जिसमें उसने सी सेट के प्रश्नों को दीपक नाम के शख्स को वाट्सएप पर भेजा था. इसी दौरान करीब 11.20 बजे दीपक ने उत्तर उसे वाट्सएप कर दिए. इसमें एक से लेकर 100 तक प्रश्नों की संख्या अंकित थी. पूछताछ में अरुंजय ने बताया कि वह इस केंद्र और अन्य केंद्रों पर परीक्षा दे रहे अभ्यर्थियों को यह हल भेजने वाला था. अरुंजय परीक्षा आयोजन से जुड़ा था. इसलिए उसकी पहुंच प्रश्न पत्रों तक आसानी से हो गई थी. उसने शक्ति नगर स्थित परीक्षा केंद्र में परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को भी हल भेजने की व्यवस्था की थी. पुलिस ने अरुंजय के फोन से कुछ छात्रों के रोल नंबर और परीक्षा केंद्र की जांच की. इसमें पैरामाउंट स्कूल में परीक्षा दे रहे दो अभ्यर्थियों को पकड़ा. उन्होंने सिर्फ दस प्रश्न हल किए थे.
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दोनों अभ्यर्थियों ने पुलिस को बताया कि परीक्षा केंद्र में प्रवेश करते समय अरुंजय ने आखिरी आधे घंटे में प्रश्नों के हल देने का वादा किया था. इसलिए उन्होंने प्रश्न हल नहीं किए थे. आरोपी पेपर लीक करने और उत्तर मुहैया कराने के लिए मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करते थे. ये उन सेंटरों को चुनते थे, जहां बाहरी चेकिंग दस्ते की संभावना कम रहती थी. सेंटर के प्रमुख को रिश्वत देते थे. पेपर सेंटर में एक से डेढ़ घंटे पहले पहुंच जाते हैं, जिसे ये वॉट्सएप से मंगवा लेते थे. इसे सॉल्व करवा कर क्लाइंट को वॉट्सएप या दूसरे एप के जरिए भेज देते थे. पेपर लीक मामले में कई रैकेट शामिल हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है.
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