नई दिल्ली: राजधानी की सातों सीटें बीजेपी की झोली में आ गई हैं और मैदान में उतरे बीजेपी के सात में से पांच बीजेपी सांसद दोबारा भारी मतों के अंतर से जीतने में सफल रहे.
चुनाव के दौरान जो मतदान हुआ, आंकड़े अब सामने आ रहे हैं. इसमें कांग्रेस के लिए अच्छी बातें सामने निकल कर आई हैं. लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मुकाबले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन न करने का कांग्रेस को सकारात्मक परिणाम मिला है. इसी का नतीजा है कि कांग्रेस सात में से भले ही एक भी सीट नहीं जीत पाई. मगर वो दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी के सभी प्रत्याशियों को हराकर दूसरे नंबर पर उभर कर सामने आई है.
आम आदमी पार्टी की तुलना में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा. बृहस्पतिवार को लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने पर दिल्ली की सातों सीटों पर कांग्रेस को किसी भी सीट पर विजय नहीं मिली, लेकिन कुल 22.5% वोट प्राप्त हुए. आम आदमी पार्टी को मात्र 18% वोट मिले. कांग्रेस 4 साल बाद दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी और बीजेपी को सीधी टक्कर देने में सफल रही.
इन कांग्रेसी नेताओं का प्रदर्शन रहा अच्छा
आम आदमी पार्टी की तुलना में पूरे चुनाव में कांग्रेस का प्रचार सशक्त रहा. शीला दीक्षित, अजय माकन, जयप्रकाश अग्रवाल, अरविंदर सिंह लवली, महाबल मिश्रा सरीखे नेताओं ने बीजेपी को चुनौती दी. राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी के रोड शो से भी कांग्रेस को बल मिला.
कांग्रेस दूसरे नंबर की पार्टी बनने में सफल रही
इससे पहले 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 54% मत प्राप्त हुआ था, जो 2017 के नगर निगम चुनाव में घटकर 24% हो गया था, लेकिन मई 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मात्र 18% मत प्राप्त हुआ. यानि जनवरी 2015 में 54% मत प्राप्त करने वाली पार्टी के पक्ष में 36% वोट कम मिले. इसके विपरीत कांग्रेस 22.5 प्रतिशत मत प्राप्त कर दूसरे नंबर की पार्टी बनने में सफल रही.
दिल्ली की सातों सीट पर लोकसभा चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष था, लेकिन मुसलमान मतदाताओं का रुझान पूरी तरह कांग्रेस की ओर रहा. इसका फायदा कम से कम 3 सीटों पर पार्टी को मिला. सबसे कम मतों से जयप्रकाश अग्रवाल, शीला दीक्षित और अजय माकन चुनाव हारे. कांग्रेस के दिग्गजों ने बेहतर चुनावी जंग लड़ी जिसका नतीजा है कि फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए यह मत प्रतिशत संजीवनी बूटी की तरह काम करेगा.
बता दें कि वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत करीब 7% पहुंच गया था, लेकिन 2017 के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को 22% मत प्राप्त हुआ था. अब यह 22.5 प्रतिशत मत लोकसभा चुनाव में बरकरार रहा है.