नई दिल्लीः कोरोना के एलोपैथी इलाज को लेकर योग गुरु बाबा रामदेव और एलोपैथी डॉक्टरों के संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. दोनों ही अपने पक्ष में जनमत जुटाने में लगे हुए हैं. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (Delhi Medical Association) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल बंसल बताते हैं कि आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाइयों को लेकर, जो फिलहाल विवाद चल रहा है, वह दवाइयों के बाजार पर कब्जा जमाने को लेकर है.
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बाबा पर आरोप, देश की स्वास्थ्य व्यवस्था का दुनिया में मखौल उड़ाया
डॉ. अनिल बंसल ने बताया कि लाला रामदेव ने भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था को नीचा दिखाने का काम किया है. कोरोना योद्धाओं की शहादत का, उन्होंने मखौल उड़ाया है, जिन्होंने जान की परवाह किए बगैर कोरोना के मरीजों का इलाज किया. उन्होंने वैक्सीन को भी बेकार बताया. कोरोना महामारी के दौरान पूरा देश इससे परेशान है. ऐसे हालात में कोरोना योद्धाओं के बारे में गलत बयान देना, उनके मनोबल को गिराने जैसा है. बाबा रामदेव के, इस व्यवहार को राष्ट्रविरोधी माना जाना चाहिए और उनके खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई कर, उचित सजा दी जानी चाहिए.
स्वास्थ्य मंत्री पर लगाया बाबा रामदेव को बचाने का आरोप
डॉ. अनिल बंसल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री (Union Health Minister) डॉ. हर्षवर्धन (Doctor Harsh Vardhan) के बाबा रामदेव को खुला समर्थन देने की भी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि डॉ. हर्षवर्धन खुद एक एलोपैथी डॉक्टर हैं और बाबा रामदेव के एलोपैथी के बारे में गलत बोलने पर, उन्हें सिर्फ माफी मांगने को कह रहे हैं. जबकि, उन्हें उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी. डॉ. अनिल बंसल ने कहा कि बाबा रामदेव को सरकारी संरक्षण प्राप्त है, इसीलिए वह खुलेआम चुनौती दे रहे हैं कि किसी के बाप की भी हिम्मत, उन्हें गिरफ्तार करने की नहीं है. इसका मतलब यह हुआ कि बाबा रामदेव देश के कानून से भी खुद को ऊंचा मानने लगे हैं. वह ऐसा तभी बोल सकते हैं, जब उन्हें सरकारी संरक्षण प्राप्त हो.