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दिल्ली: अनजाने में ही डॉक्टर्स के शरीर में डेवलप हो रही है एंटीबॉडी

दिल्ली के तीसरे सीरो सर्वे में राजधानी के सभी 11 जिलों से 17 हजार से ज्यादा सैंपल लिए गए हैं. इससे पहले दूसरे सर्वे में 29.1 फीसदी लोगों में एंटीबॉडिज विकसित पाए गए थे. ज्यादा लोगों में एंटीबॉडी मिलने का अर्थ हर्ड इम्यूनिटी की तरफ बढ़ने का इशारा होगा.

antibodies are developing in the doctors' bodies in delhi
दिल्ली: अनजाने में ही डॉक्टर्स के शरीर में डेवलप हो रही है एंटीबॉडी
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Published : Sep 6, 2020, 1:39 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना मामलों की संख्या दिन-ब-दिन दिल्ली में बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में टेस्टिंग की संख्या में भी इजाफा हुआ है. कई लोग ऐसे भी हैं, जो कोरोना पॉजिटिव हो जाते हैं, लेकिन उनको पता नहीं चलता. इसके लिए दिल्ली सरकार ने सीरो सर्वे की शुरुआत की है. अभी इस सर्वे का तीसरा दौर चल रहा है. इसमें यह जानने की कोशिश की जा रही है कि कितने ऐसे लोग हैं, जिनके शरीर में कोरोना की एंटीबॉडिस बन गई है. इससे यह जानने में आसानी होगी कि हर्ड इम्यूनिटी दिल्ली में कितनी हो गई है.

अनजाने में ही डॉक्टर्स के शरीर में डेवलप हो रही है एंटीबॉडी

पॉजिटिव होने के बाद भी नहीं दिखे लक्षण

केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने भी अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर्स का सीरो सर्वे करवाया. इसी कड़ी में आरएमएल हॉस्पिटल में भी सीरो सर्वे करवाया गया, जिसमें कुछ डॉक्टर कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं. जबकि उन्हें किसी तरह का कोई लक्षण नहीं दिखाई दिया, वह ठीक भी हो गए. उनकी बॉडी में एंटीबॉडी भी बन गए, लेकिन उन्हें इस बात का अहसास तक नहीं हुआ.

रैंडमली सैंपल इकट्ठा करती है सरकार

आरएमएल हॉस्पिटल के आईसीयू एक्सपर्ट डॉ. सक्षम मित्तल बताते हैं कि सरकार दिल्ली के कुछ चुनिंदा हिस्से से रैंडमली सैंपल इकट्ठा करती है और फिर उसका एंटीबॉडीज की जांच कराती है. कोई भी महामारी होती है तो सरकार इसी तरह रैंडम सैंपल इकट्ठा करती है. हेल्थ केयर वकर्स जो ज्यादा रिस्क पर हैं या किसी कंटेनमेंट जोन से सैंपल इकट्ठे किए जाते हैं, इसका सरकार एक डाटाबेस तैयार करती है.

दिल्ली में पहले दो बार सीरो सर्वे के जरिए आंकड़े इकट्ठे किए जा चुके हैं. इनमें पाया गया कि 23 फीसदी लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए थे और उन लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई. सेकंड फेज के सीरो सर्वे में थोड़ा सा सुधार हुआ है. 29.1 फीसदी लोग दिल्ली में अब तक कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं. इनमें बहुत सारे मरीज ऐसे हैं, जिनमें किसी तरह का कोई लक्षण नहीं दिखे. उन्हें बिल्कुल पता ही नहीं चला कि वह कब कोविड पॉजिटिव हुए और कब ठीक हो गए.

कई डॉक्टर के बॉडी में मिले एंटीबाडी

राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में हाई रिस्क वाले डॉक्टर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स का एंटीबॉडी टेस्ट किया गया. इनमें कई ऐसे डॉक्टर मिले हैं, जिनकी बॉडी में एंटीबॉडिज पाई गई, लेकिन उन्हें महसूस नहीं हुआ कि वे कब कोरोना पॉजिटिव कब हुए. उनमें कोविड के कोई लक्षण भी नहीं दिखाई दिए थे.

क्यों होता है सीरो सर्वे?

डॉ. सक्षम बताते हैं कि सीरो सर्वे के जरिए सरकार जानना चाहती है कि उनकी कितनी आबादी किसी महामारी की चपेट में आई है और कितने में महामारी के प्रति एंटीबॉडी डेवलप हुई है. अगर ज्यादातर आबादी में एंटीबॉडी पाई जाती है, तो हम यह मानकर चलते हैं कि हर्ड इम्यूनिटी आ गई है.

ऐसी परिस्थिति में हम अनुमान लगाते हैं कि महामारी अभी हमारी कंट्रोल में आ गई है, लेकिन दिल्ली में अभी भी सिर्फ 29.1 फीसदी मरीजों में एंटीबॉडी पाई गई हैं. हर्ड इम्यूनिटी के लिए कम से कम 46 फीसदी आबादी को पॉजिटिव होना पड़ेगा.

नई दिल्ली: कोरोना मामलों की संख्या दिन-ब-दिन दिल्ली में बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में टेस्टिंग की संख्या में भी इजाफा हुआ है. कई लोग ऐसे भी हैं, जो कोरोना पॉजिटिव हो जाते हैं, लेकिन उनको पता नहीं चलता. इसके लिए दिल्ली सरकार ने सीरो सर्वे की शुरुआत की है. अभी इस सर्वे का तीसरा दौर चल रहा है. इसमें यह जानने की कोशिश की जा रही है कि कितने ऐसे लोग हैं, जिनके शरीर में कोरोना की एंटीबॉडिस बन गई है. इससे यह जानने में आसानी होगी कि हर्ड इम्यूनिटी दिल्ली में कितनी हो गई है.

अनजाने में ही डॉक्टर्स के शरीर में डेवलप हो रही है एंटीबॉडी

पॉजिटिव होने के बाद भी नहीं दिखे लक्षण

केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने भी अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर्स का सीरो सर्वे करवाया. इसी कड़ी में आरएमएल हॉस्पिटल में भी सीरो सर्वे करवाया गया, जिसमें कुछ डॉक्टर कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं. जबकि उन्हें किसी तरह का कोई लक्षण नहीं दिखाई दिया, वह ठीक भी हो गए. उनकी बॉडी में एंटीबॉडी भी बन गए, लेकिन उन्हें इस बात का अहसास तक नहीं हुआ.

रैंडमली सैंपल इकट्ठा करती है सरकार

आरएमएल हॉस्पिटल के आईसीयू एक्सपर्ट डॉ. सक्षम मित्तल बताते हैं कि सरकार दिल्ली के कुछ चुनिंदा हिस्से से रैंडमली सैंपल इकट्ठा करती है और फिर उसका एंटीबॉडीज की जांच कराती है. कोई भी महामारी होती है तो सरकार इसी तरह रैंडम सैंपल इकट्ठा करती है. हेल्थ केयर वकर्स जो ज्यादा रिस्क पर हैं या किसी कंटेनमेंट जोन से सैंपल इकट्ठे किए जाते हैं, इसका सरकार एक डाटाबेस तैयार करती है.

दिल्ली में पहले दो बार सीरो सर्वे के जरिए आंकड़े इकट्ठे किए जा चुके हैं. इनमें पाया गया कि 23 फीसदी लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए थे और उन लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई. सेकंड फेज के सीरो सर्वे में थोड़ा सा सुधार हुआ है. 29.1 फीसदी लोग दिल्ली में अब तक कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं. इनमें बहुत सारे मरीज ऐसे हैं, जिनमें किसी तरह का कोई लक्षण नहीं दिखे. उन्हें बिल्कुल पता ही नहीं चला कि वह कब कोविड पॉजिटिव हुए और कब ठीक हो गए.

कई डॉक्टर के बॉडी में मिले एंटीबाडी

राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में हाई रिस्क वाले डॉक्टर्स और हेल्थ केयर वर्कर्स का एंटीबॉडी टेस्ट किया गया. इनमें कई ऐसे डॉक्टर मिले हैं, जिनकी बॉडी में एंटीबॉडिज पाई गई, लेकिन उन्हें महसूस नहीं हुआ कि वे कब कोरोना पॉजिटिव कब हुए. उनमें कोविड के कोई लक्षण भी नहीं दिखाई दिए थे.

क्यों होता है सीरो सर्वे?

डॉ. सक्षम बताते हैं कि सीरो सर्वे के जरिए सरकार जानना चाहती है कि उनकी कितनी आबादी किसी महामारी की चपेट में आई है और कितने में महामारी के प्रति एंटीबॉडी डेवलप हुई है. अगर ज्यादातर आबादी में एंटीबॉडी पाई जाती है, तो हम यह मानकर चलते हैं कि हर्ड इम्यूनिटी आ गई है.

ऐसी परिस्थिति में हम अनुमान लगाते हैं कि महामारी अभी हमारी कंट्रोल में आ गई है, लेकिन दिल्ली में अभी भी सिर्फ 29.1 फीसदी मरीजों में एंटीबॉडी पाई गई हैं. हर्ड इम्यूनिटी के लिए कम से कम 46 फीसदी आबादी को पॉजिटिव होना पड़ेगा.

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