नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स की फैकल्टी ने अपने पुराने कपड़े इकट्ठा कर एम्स परिसर के बाहर इलाज का इंतजार कर रहे जरूरतमंदों को दिए. रेजिडेंट डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ ने जरूरतमंद लोगों के लिए मिलकर खाने का इतंजाम किया. कोरोना काल में एम्स परिवार से मिली इस मदद से मरीज और तीमारदार काफी खुश नजर आए.
एम्स के बाहर बैठे मरीज-तीमरादार
एम्स के कार्डियो-रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमरिंदर सिंह ने बताया कि एम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के लिए खाना और कपड़े एम्स के डॉ ने बांटकर उनके चेहरे पर खुशी लाने का काम किया है. भगवान उनकी मदद करता है जो दूसरों की मदद करते हैं.
इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए एम्स फैमिली के फैकल्टी, रेजिडेंट डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और तमाम पैरामेडिकल स्टाफ ने अपने पुराने कपड़े इकट्ठा कर उन गरीब मरीजों को बांटे, जो एम्स परिसर के बाहर अपने इलाज का इंतजार कर रहे थे. उन्हें इन लोगों ने खाना भी उपलब्ध करवाया.
'मानवता ही सबसे बड़ा धर्म'
डॉक्टर अमरिंदर ने बताया कि जब मरीजों को खाना और कपड़े दिए जा रहे थे. मरीजों ने दानदाताओं को दिल से दुआएं दी. 'हेल्पिंग हैंड' मुहिम के तहत एम्स परिवार ने एम्स में इलाज कराने आने वाले गरीब मरीजों और उनके तीमारदारों को खाना और कपड़े बांटे.
डॉक्टर अमरिंदर का कहना है कि मानवता का सबसे बड़ा धर्म है कि किसी दूसरे जरूरतमंद के काम आना. उन्हें उनकी जरूरत की वस्तु दान करना. चाहे खाने -पीने की चीजों का दान हो या पहनने के लिए कपड़ों का दान हो या किसी जरूरतमंद मरीज को खून की जरूरत को पूरा करने के लिए रक्तदान हो या अंगदान हो. सभी को जो सक्षम है उन्हें अपनी क्षमता के मुताबिक जरूर दान करना चाहिए.