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NEET Result 2020: एम्स के डॉक्टर का सवाल- सौ फीसदी अंक लाने वाले 2, तो टॉपर 1 क्यों!

NEET परीक्षा परिणाम घोषित होते ही दो छात्रों द्वारा सौ फीसदी अंक लाने के बाद किसी एक को टॉपर घोषित किए जाने को लेकर विवाद पैदा हो गया है. उम्र के आधार पर ओडिशा के शोएब आफताब को पहला रैंक और दिल्ली की आकांक्षा सिंह को सेकंड टॉपर घोषित किया गया. विशेषज्ञ का कहना है कि एक समान अंक लाने पर दोनों को जॉइंट टॉपर घोषित किया जाना चाहिए था.

aiims doctor questioned over declaration of NEET 2020 topper name
एम्स के डॉक्टर ने NEET 2020 के टॉपर पर खड़े किए सवाल
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Published : Oct 18, 2020, 7:51 PM IST

नई दिल्ली: देशभर के मेडिकल कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई के लिये एंट्रेंस टेस्ट नीट कोरोना काल में विवादों में शुरू से ही घिरा रहा. पहले तो महामारी के खतरे को देखते हुए इस परीक्षा को रद्द करने की मांग बड़े जोर-शोर से उठी. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहंचा, लेकिन आखिरकार सारी बाधाओं के बावजूद जब परीक्षा हो गई तो इसके परिणाम से एक नया विवाद पैदा हो गया है. दरअसल, सारी बहस का मुद्दा इस बार के टॉपर को लेकर है.

एम्स के डॉक्टर ने NEET 2020 के टॉपर पर खड़े किए सवाल

उड़ीसा के शोएब आफताब को 720 में से 720 अंक मिले और उन्हे सौ फीसदी अंक हासिल करने वाला अब तक का पहला टॉपर के रूप में सोशल मीडिया पर कुछ विशेष वर्ग के लोगों द्वारा प्रचारित किया गया. मामले में ट्विस्ट तब आया जब एक और समूह द्वारा सोशल मीडिया पर एक और सच को वायरल किया गया. दिल्ली की आकांक्षा सिंह ने भी इस परीक्षा में 720 में से 720 सौ फीसदी अंक प्राप्त किए, लेकिन उन्हे मेरिट लिस्ट में दूसरा स्थान दिया गया.

बहस का असल मुद्दा क्या है?

दरअसल, नीट परीक्षा के रिजल्ट को मीडिया के एक धड़ा में भी शोएब को टॉपर बताते हुए एक विशेष धर्म का खूब महिमाण्डन किया गया. जबकि इतने ही अंक प्राप्त करने वाली एक महिला अभ्यर्थी आकांक्षा सिंह के नाम को उतनी तवज्जो नहीं मिली, जिसकी वो हकदार थी. जब एक समान अंक प्राप्त दोनों ने ही किए, तो किसी एक को टॉपर कैसे घोषित किया जा सकता है. दोनों को जॉइंट रूप से टॉपर क्यों नहीं घोषित किया गया. इसको लेकर सोशल मीडिया पर जोरदार बहस चलती रही है.

एम्स के डॉक्टर ने उठाया सवाल

नीट परीक्षा में टॉप करने वाले छात्रों की पहली पसंद देश के सबसे बड़े अस्पताल और मेडिकल कॉलेज एम्स में पढ़ने का सपना होता है. आकांक्षा भी एम्स से ही न्यूरो सर्जन बनना चाहती है और शोएब की इच्छा भी देश के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज से ही अपने खानदान का पहला डॉक्टर बनने का सपना है. इसी अस्पताल के कार्डियो-रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह ने भी नीट के परीक्षा परिणाम में टॉपर को लेकर सवाल खड़ा किया है. डॉ. अमरिंदर का कहना है कि जब एक समान नंबर दो कैंडिडेट्स ने हासिल किए, तो इनमें से किसी एक को टॉपर घोषित करना दूसरे के साथ अन्याय है. दोनों ही कैंडिडेट्स को जॉइंट टॉपर घोषित किया जाना चाहिए था.

इस नियम के तहत शोएब बना टॉपर

मौजूदा नियम के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अगर ऐसी परिस्थिति आ जाए जब दो या दो से अधिक कैंडिडेट्स जो एक समान अंक प्राप्त करते हैं, तो उनकी उम्र की वरीयता के क्रम में उन्हें टॉपर घोषित किया जाएगा. उम्र के बढ़ते क्रम में ही रैंकिंग तय की जाएगी. मान लीजिए अगर ए, बी और सी तीनों ने 100 में से 100 अंक हासिल किए. ए की उम्र 18 साल है, बी की उम्र 19 साल है और सी की उम्र 20 साल है, तो मेरिट लिस्ट में सी को टॉपर घोषित किया जाएगा और बी और ए को क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रखा जाएगा. शोएब की उम्र आकांक्षा से थोड़ी अधिक थी इसलिए शोएब को मौजूदा नियम का फायदा मिला. डॉ. अमरिंदर ने टॉपर को लेकर उपजे विवाद के बाद इस नियम में बदलाव करने की मांग की है.

नई दिल्ली: देशभर के मेडिकल कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई के लिये एंट्रेंस टेस्ट नीट कोरोना काल में विवादों में शुरू से ही घिरा रहा. पहले तो महामारी के खतरे को देखते हुए इस परीक्षा को रद्द करने की मांग बड़े जोर-शोर से उठी. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहंचा, लेकिन आखिरकार सारी बाधाओं के बावजूद जब परीक्षा हो गई तो इसके परिणाम से एक नया विवाद पैदा हो गया है. दरअसल, सारी बहस का मुद्दा इस बार के टॉपर को लेकर है.

एम्स के डॉक्टर ने NEET 2020 के टॉपर पर खड़े किए सवाल

उड़ीसा के शोएब आफताब को 720 में से 720 अंक मिले और उन्हे सौ फीसदी अंक हासिल करने वाला अब तक का पहला टॉपर के रूप में सोशल मीडिया पर कुछ विशेष वर्ग के लोगों द्वारा प्रचारित किया गया. मामले में ट्विस्ट तब आया जब एक और समूह द्वारा सोशल मीडिया पर एक और सच को वायरल किया गया. दिल्ली की आकांक्षा सिंह ने भी इस परीक्षा में 720 में से 720 सौ फीसदी अंक प्राप्त किए, लेकिन उन्हे मेरिट लिस्ट में दूसरा स्थान दिया गया.

बहस का असल मुद्दा क्या है?

दरअसल, नीट परीक्षा के रिजल्ट को मीडिया के एक धड़ा में भी शोएब को टॉपर बताते हुए एक विशेष धर्म का खूब महिमाण्डन किया गया. जबकि इतने ही अंक प्राप्त करने वाली एक महिला अभ्यर्थी आकांक्षा सिंह के नाम को उतनी तवज्जो नहीं मिली, जिसकी वो हकदार थी. जब एक समान अंक प्राप्त दोनों ने ही किए, तो किसी एक को टॉपर कैसे घोषित किया जा सकता है. दोनों को जॉइंट रूप से टॉपर क्यों नहीं घोषित किया गया. इसको लेकर सोशल मीडिया पर जोरदार बहस चलती रही है.

एम्स के डॉक्टर ने उठाया सवाल

नीट परीक्षा में टॉप करने वाले छात्रों की पहली पसंद देश के सबसे बड़े अस्पताल और मेडिकल कॉलेज एम्स में पढ़ने का सपना होता है. आकांक्षा भी एम्स से ही न्यूरो सर्जन बनना चाहती है और शोएब की इच्छा भी देश के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज से ही अपने खानदान का पहला डॉक्टर बनने का सपना है. इसी अस्पताल के कार्डियो-रेडियो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह ने भी नीट के परीक्षा परिणाम में टॉपर को लेकर सवाल खड़ा किया है. डॉ. अमरिंदर का कहना है कि जब एक समान नंबर दो कैंडिडेट्स ने हासिल किए, तो इनमें से किसी एक को टॉपर घोषित करना दूसरे के साथ अन्याय है. दोनों ही कैंडिडेट्स को जॉइंट टॉपर घोषित किया जाना चाहिए था.

इस नियम के तहत शोएब बना टॉपर

मौजूदा नियम के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अगर ऐसी परिस्थिति आ जाए जब दो या दो से अधिक कैंडिडेट्स जो एक समान अंक प्राप्त करते हैं, तो उनकी उम्र की वरीयता के क्रम में उन्हें टॉपर घोषित किया जाएगा. उम्र के बढ़ते क्रम में ही रैंकिंग तय की जाएगी. मान लीजिए अगर ए, बी और सी तीनों ने 100 में से 100 अंक हासिल किए. ए की उम्र 18 साल है, बी की उम्र 19 साल है और सी की उम्र 20 साल है, तो मेरिट लिस्ट में सी को टॉपर घोषित किया जाएगा और बी और ए को क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रखा जाएगा. शोएब की उम्र आकांक्षा से थोड़ी अधिक थी इसलिए शोएब को मौजूदा नियम का फायदा मिला. डॉ. अमरिंदर ने टॉपर को लेकर उपजे विवाद के बाद इस नियम में बदलाव करने की मांग की है.

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