नई दिल्ली: कादी विहार की रहने वाली एक दिव्यांग महिला ने सरकार से दिव्यांगों को गुजारे के लिए दी जाने वाली मदद के लिए आवेदन किया था, लेकिन उस आवेदन पर उन्हें अपने नजदीकी अस्पताल जाकर दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने का निर्देश मिला. जिसके बाद से दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए उसको अस्पताल के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.
यूं तो हर सरकार सत्ता में आने से पहले समाज के जिस अंतिम व्यक्ति की दुहाई देती है, सत्ता में आने के बाद उस अंतिम व्यक्ति का क्या होता है. अगर आप इसका जीता जागता उदाहरण देखना चाहते हैं तो आपको कादी विहार के मीना की बात जरूर सुननी चाहिए.
अस्पतालों के चक्कर काट रही है दिव्यांग महिला
कादी विहार की रहने वाली मीना बढ़ी उम्र और दिव्यांग होने के कारण बहुत परेशानियां झेल रही हैं. मीना निराश्रित भी हैं और इसके साथ-साथ इनके पास अपना कोई व्यवस्थित रोजगार भी नहीं है. इसकी वजह से मीना रोज कोई काम करती है, तो रात को खाना खा पाती है, नहीं तो बिना कमाई के खाली पेट सो जाती हैं. मीना को एक रोज पता चला है कि सरकार दिव्यांग लोगों को मासिक तौर पर पैसे देती है, तो उन्होंने उसके लिए आवेदन किया.
उस आवेदन पर उन्हें अपने नजदीकी अस्पताल जाकर दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने का निर्देश मिला. महिला किसी तरह अस्पताल पहुंची, तो वहां अस्पताल कर्मियों ने पर्ची देखते ही 15 दिन बाद आने बोल दिया.
अस्पताल बना रहा है इंटरनेट का बहाना
अस्पताल से मीना ने पहले दिन जाने की बात को लेकर वजह पूछी गई, तो उनका जवाब था कि उस दिन अस्पताल का इंटरनेट खराब था. अब वो उसका आवेदन ही नहीं मिलने का बहाना कर रहे हैं. दिव्यांग महिला सर्टिफिकेट के लिए अस्पताल के दो चक्कर लगा चुकी है, लेकिन अब उसका सर्टिफिकेट कब कहां और कैसे बनेगा इसका कोई सरकारी जवाब नहीं है.