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84 के सिख दंगे में सज्जन कुमार के खिलाफ जनकपुरी से जुड़े मामले में गवाह ने बयान दर्ज कराया

1984 Sikh riots: सिख विरोधी दंगे के एक मामले में गुरुवार को राऊज एवेन्यू कोर्ट में गवाही हुई. इसमें गवाह ने अपना बयान दर्ज कराया. इस मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार आरोपी है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 11, 2024, 9:07 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगों के जनकपुरी से जुड़े मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ गुरुवार को गवाह हरजीत कौर के बयान दर्ज किए. इसके बाद स्पेशल जज एमके नागपाल ने मामले की अगली सुनवाई 1 फरवरी को करने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि आज जिस दूसरे गवाह जसवंत सिंह का बयान दर्ज कराना था उनकी मौत हो गई है. समन की प्रति में जसवंत सिंह का डेथ सर्टिफिकेट भी संलग्न था.

कोर्ट ने डेथ सर्टिफिकेट पर गौर किया तो पाया कि उस पर जसवंत सिंह के पिता का नाम मुकंद सिंह लिखा था. जबकि, उनके पिता का नाम मकन सिंह था. उसके बाद कोर्ट ने इस मामले के जांच अधिकारी को इस बात का वेरिफिकेशन करने का आदेश दिया कि जिनकी मौत हुई है वही जसवंत सिंह हैं या कोई और. इसके पहले 7 दिसंबर 2023 को दो गवाहों तिलक राज नरुला और इंद्रजीत सिंह ने अपने बयान दर्ज कराए थे.

9 नवंबर 2023 को गवाह मंजीत कौर ने अपने बयान में कहा कि मैंने भीड़ के लोगों से सुना था कि सज्जन कुमार भीड़ में शामिल थे, लेकिन उनको आंखों से नहीं देखा था. कोर्ट ने 12 अक्टूबर 2023 को दो गवाहों के बयान दर्ज किए थे. 21 सितंबर 2023 को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ हत्या के आरोपी से जुड़े गैरजरूरी दस्तावेजों और गवाहों के बयान को रिकॉर्ड से हटाने का आदेश दिया था.

यह भी पढ़ेंः हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा-साफ-साफ बताएं कि असोला और सेंट्रल रिज में अतिक्रमण हटा कि नहीं

23 अगस्त 2023 को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय कर दिया था. कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 153A, 295, 149, 307, 308, 323, 325, 395, 436 के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था. हालांकि, कोर्ट ने एसआईटी द्वारा सज्जन कुमार के खिलाफ लगाई गई हत्या की धारा 302 को हटाने का आदेश दिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था कि सज्जन कुमार इस केस में हिरासत में नहीं हैं, वह जमानत पर हैं.

क्या है मामलाः मामला जनकपुरी का है. दरअसल, 84 सिख दंगा के दौरान जनकपुरी में दो सिखों सोहन सिंह और उनके दामाद अवतार सिंह की 1 नवंबर, 1984 को हत्या हुई थी. जबकि, विकासपुरी पुलिस स्टेशन के इलाके में गुरुचरण सिंह को जला दिया गया. इसकी वजह से उनकी मौत हुई थी. दोनों मामलों में 2015 में एसआईटी ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की. इसके लिए मई 2018 में सज्जन कुमार का पॉलीग्राफ भी किया जा चुका है.

यह भी पढ़ेंः नोएडा: अमेरिकी नागरिकों से ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा, 25 लोग गिरफ्तार

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगों के जनकपुरी से जुड़े मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ गुरुवार को गवाह हरजीत कौर के बयान दर्ज किए. इसके बाद स्पेशल जज एमके नागपाल ने मामले की अगली सुनवाई 1 फरवरी को करने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि आज जिस दूसरे गवाह जसवंत सिंह का बयान दर्ज कराना था उनकी मौत हो गई है. समन की प्रति में जसवंत सिंह का डेथ सर्टिफिकेट भी संलग्न था.

कोर्ट ने डेथ सर्टिफिकेट पर गौर किया तो पाया कि उस पर जसवंत सिंह के पिता का नाम मुकंद सिंह लिखा था. जबकि, उनके पिता का नाम मकन सिंह था. उसके बाद कोर्ट ने इस मामले के जांच अधिकारी को इस बात का वेरिफिकेशन करने का आदेश दिया कि जिनकी मौत हुई है वही जसवंत सिंह हैं या कोई और. इसके पहले 7 दिसंबर 2023 को दो गवाहों तिलक राज नरुला और इंद्रजीत सिंह ने अपने बयान दर्ज कराए थे.

9 नवंबर 2023 को गवाह मंजीत कौर ने अपने बयान में कहा कि मैंने भीड़ के लोगों से सुना था कि सज्जन कुमार भीड़ में शामिल थे, लेकिन उनको आंखों से नहीं देखा था. कोर्ट ने 12 अक्टूबर 2023 को दो गवाहों के बयान दर्ज किए थे. 21 सितंबर 2023 को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ हत्या के आरोपी से जुड़े गैरजरूरी दस्तावेजों और गवाहों के बयान को रिकॉर्ड से हटाने का आदेश दिया था.

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23 अगस्त 2023 को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय कर दिया था. कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 153A, 295, 149, 307, 308, 323, 325, 395, 436 के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था. हालांकि, कोर्ट ने एसआईटी द्वारा सज्जन कुमार के खिलाफ लगाई गई हत्या की धारा 302 को हटाने का आदेश दिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था कि सज्जन कुमार इस केस में हिरासत में नहीं हैं, वह जमानत पर हैं.

क्या है मामलाः मामला जनकपुरी का है. दरअसल, 84 सिख दंगा के दौरान जनकपुरी में दो सिखों सोहन सिंह और उनके दामाद अवतार सिंह की 1 नवंबर, 1984 को हत्या हुई थी. जबकि, विकासपुरी पुलिस स्टेशन के इलाके में गुरुचरण सिंह को जला दिया गया. इसकी वजह से उनकी मौत हुई थी. दोनों मामलों में 2015 में एसआईटी ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की. इसके लिए मई 2018 में सज्जन कुमार का पॉलीग्राफ भी किया जा चुका है.

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