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1 लाख लोगों पर सिर्फ 20 ATM, उसमें भी कैश नहीं!

इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में एक लाख लोगों पर सिर्फ 20 एटीएम हैं, जबकि राजधानी दिल्ली में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. राजधानी दिल्ली में एक लाख लोगों पर 40 एटीएम थे. वहीं, अब यह दायरा लगातार कम होता जा रहा है

1 लाख लोगों पर सिर्फ 20 ATM, उसमें भी कैश नहीं!
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Published : May 17, 2019, 9:19 PM IST

Updated : May 17, 2019, 10:16 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी में एटीएम का दायरा लगातार सिकुड़ रहा है. आने वाले समय में ना केवल एटीएम की संख्या में कमी आ सकती है बल्कि बैंक नए एटीएम खोलने से परहेज भी कर सकते हैं. इसकी वजह एटीएम के परिचालन की कीमत लगातार बढ़ना है. लुटियन जोन को छोड़ कर राजधानी दिल्ली में हजारों लोगों पर एक एटीएम है.


'लगातार कम हो रहे ATM'
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में एक लाख लोगों पर 40 एटीएम थे. वहीं, अब यह दायरा लगातार कम होता जा रहा है. लुटियन जोन को छोड़ दें तो राजधानी दिल्ली में भी एक लाख लोगों पर सिर्फ 20 एटीएम हैं, जिसमें से ज्यादातर एटीएम में कैश की कमी हमेशा रहती है. जिसकी वजह से लोगों को खासी परेशानी होती है.

'परिचालन की कीमत में बढ़ोतरी बड़ी वजह'
वहीं, दूसरी तरफ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रिव्यू रिपोर्ट में कहा है कि एटीएम के जरिए बेशक ट्रांजैक्शन बढ़ा है, लेकिन दिल्ली में एटीएम की संख्या पिछले 2 सालों में लगातार कम हो रही है. बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट का कहना है कि एटीएम की संख्या कम होने के पीछे कई कारण हैं, इसमें परिचालन की लागत में बढ़ोतरी शामिल है.

'निजी बैंकों को हो रहा घाटा'
इन सब बातों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मशहूर अर्थशास्त्री वेद जैन से बात करके जानने की कोशिश की कि आखिर निजी बैंकों को ऐसा क्यों करना पड़ रहा है और कैसे इन सब चीजों को रोका जा सकता है. वेद जैन ने बताया कि एटीएम के परिचालन में गाइडलाइंस का पालन करना पड़ता है, जिसके चलते निजी बैंकों को फिलहाल काफी घाटा हो रहा है. जिसकी वजह से डिजिबैंक लगातार नए एटीएम खोलने से ना सिर्फ बच रहे हैं, बल्कि अपने बैंक के एटीएम की संख्या को भी लिमिटेड कर रहे हैं. साथ ही ऐसे पुराने एटीएम भी बंद कर रहे हैं जिनके परिचालन की कीमत बैंक नहीं निकाल पा रहे हैं.

मशहूर अर्थशास्त्री वेद जैन से ईटीवी भारत की खास बातचीत

मशहूर अर्थशास्त्री वेद जैन ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि आगे अपनी गाइडलाइंस में परिवर्तन करके बैंकों को थोड़ी सी राहत दी जाए जिससे कि वो एटीएम का परिचालन आसानी से कर सकें.

नई दिल्ली: राजधानी में एटीएम का दायरा लगातार सिकुड़ रहा है. आने वाले समय में ना केवल एटीएम की संख्या में कमी आ सकती है बल्कि बैंक नए एटीएम खोलने से परहेज भी कर सकते हैं. इसकी वजह एटीएम के परिचालन की कीमत लगातार बढ़ना है. लुटियन जोन को छोड़ कर राजधानी दिल्ली में हजारों लोगों पर एक एटीएम है.


'लगातार कम हो रहे ATM'
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में एक लाख लोगों पर 40 एटीएम थे. वहीं, अब यह दायरा लगातार कम होता जा रहा है. लुटियन जोन को छोड़ दें तो राजधानी दिल्ली में भी एक लाख लोगों पर सिर्फ 20 एटीएम हैं, जिसमें से ज्यादातर एटीएम में कैश की कमी हमेशा रहती है. जिसकी वजह से लोगों को खासी परेशानी होती है.

'परिचालन की कीमत में बढ़ोतरी बड़ी वजह'
वहीं, दूसरी तरफ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रिव्यू रिपोर्ट में कहा है कि एटीएम के जरिए बेशक ट्रांजैक्शन बढ़ा है, लेकिन दिल्ली में एटीएम की संख्या पिछले 2 सालों में लगातार कम हो रही है. बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट का कहना है कि एटीएम की संख्या कम होने के पीछे कई कारण हैं, इसमें परिचालन की लागत में बढ़ोतरी शामिल है.

'निजी बैंकों को हो रहा घाटा'
इन सब बातों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मशहूर अर्थशास्त्री वेद जैन से बात करके जानने की कोशिश की कि आखिर निजी बैंकों को ऐसा क्यों करना पड़ रहा है और कैसे इन सब चीजों को रोका जा सकता है. वेद जैन ने बताया कि एटीएम के परिचालन में गाइडलाइंस का पालन करना पड़ता है, जिसके चलते निजी बैंकों को फिलहाल काफी घाटा हो रहा है. जिसकी वजह से डिजिबैंक लगातार नए एटीएम खोलने से ना सिर्फ बच रहे हैं, बल्कि अपने बैंक के एटीएम की संख्या को भी लिमिटेड कर रहे हैं. साथ ही ऐसे पुराने एटीएम भी बंद कर रहे हैं जिनके परिचालन की कीमत बैंक नहीं निकाल पा रहे हैं.

मशहूर अर्थशास्त्री वेद जैन से ईटीवी भारत की खास बातचीत

मशहूर अर्थशास्त्री वेद जैन ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि आगे अपनी गाइडलाइंस में परिवर्तन करके बैंकों को थोड़ी सी राहत दी जाए जिससे कि वो एटीएम का परिचालन आसानी से कर सकें.

Intro:दिल्ली में लगातार सिकुड़ रही है एटीएम की संख्या, नए एटीएम खोलने से बच रहे हैं बैंक लगातार बढ़ रही एटीएम के परिचालन की कीमत से परेशान है बैंक आने वाले समय में और कम हो सकती है एटीएम की संख्या लुटियन जोन को छोड़ राजधानी दिल्ली में हजारों लोगों पर बस एक एटीएम सरकारी बैंकों के एटीएम की संख्या कम होने की वजह से लगातार बढ़ रही है परेशानी


Body:दिल्ली: राजधानी में एटीएम का दायरा लगातार सिकुड़ रहा है आने वाले समय में ना केवल एटीएम की संख्या में कमी आ सकती है बल्कि बैंक नए एटीएम खोलने से परहेज भी कर सकते हैं इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक लाख लोगों का एक एटीएम है जबकि राजधानी दिल्ली में भी स्थिति इससे ज्यादा छुट्टी नहीं है जहां पहले राजधानी दिल्ली में एक लाख लोगों पर 40 एटीएम थे वहीं अब यह दायरा लगातार कम होता जा रहा है लुटियन जोन को छोड़ दें तो राजधानी दिल्ली में भी एक लाख लोगों पर सिर्फ 20 एटीएम है जिसमें से ज्यादातर एटीएम में कैश की कमी हमेशा रहती है जिसकी वजह से लोगों को खासी परेशानी होती है इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ज्यादा लोग एटीएम का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं लेकिन बैंक ना केवल एटीएम लगाने से बच रहे हैं बल्कि मौजूदा समय में जो एटीएम चालू है उनकी परिचालन की लागत की भी समीक्षा कर रहे हैं अगर कोई एटीएम घाटे में हैं तो उसे बंद किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रिव्यू रिपोर्ट में कहा है की एटीएम के जरिए बेशक ट्रांजैक्शन बड़ा है राजधानी दिल्ली में मगर एटीएम की संख्या पिछले 2 सालों में लगातार कम हो रही है बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट का कहना है कि एटीएम की संख्या कम होने के पीछे कई कारण है इसमें बड़ी परिचालन की लागत में बढ़ोतरी,ब राजधानी दिल्ली में एटीएम की संख्या लगातार कम हो रही है की प्रमुख वजह उसमें लगने वाली लागत को बताया जा रहा है जिसके चलते निजी बैंक लगातार अपने एटीएम की संख्या में कम ही कर रहे हैं
आखिर क्यों कम हो रही है एटीएम की संख्या??
ना सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली में बल्कि पूरे देश में एटीएम की संख्या लगातार कम हो रही है जिसके पीछे प्रमुख कारण आरबीआई और इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की तरफ से लागू की गई गाइडलाइंस, जिसके चलते सभी निजी बैंकों को एटीएम के परिचालन करने में काफी दिक्कतें आ रही है जैसे एटीएम के परिचालन खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है जिसकी वजह से बैंक जो है नई एटीएम खोलने से बच रही हैं आसान शब्दों में बात की जाए तो आम आदमी किसी भी बैंक के एटीएम से पैसे निकाल सकता है और इसके लिए सिर्फ उसे ₹15 चार्ज देना पड़ता है जबकि बैंक को इससे कहीं ज्यादा परिचालन कहीं ज्यादा चार्ज देना पड़ता है जिसकी वजह से निजी बैक परेशान होकर अपने एटीएम की संख्या लगातार कम कर रहे हैं
इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए ईटीवी भारत की टीम ने मशहूर अर्थशास्त्री वेद जैन से बात की और जाना आखिर निजी बैंकों को ऐसा क्यों करना पड़ रहा है और कैसे इन सब चीजों को रोका जा सकता है वेद जैन ने हमसे बातचीत में बताया कि एटीएम के परिचालन में गाइडलाइंस का पालन करना पड़ता है जिसके चलते निजी बैंकों को फिलहाल काफी घाटा हो रहा है जिसकी वजह से डिजिबैंक लगातार नई टीम खोलने से ना सिर्फ बच्चे हैं बल्कि अपने बैंक की जो पुरानी एटीएम से उनकी संख्या को भी लिमिटेड कर रहे हैं साथी ऐसे पुराने एटीएम भी बंद कर रहे हैं जिनकी परिचालन की कीमत वह लोग नहीं निकाल पा रहे हैं मशहूर अर्थशास्त्री वेद जैन ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि आगे अपनी गाइडलाइंस में परिवर्तन करके बैंकों को थोड़ी सी राहत दे जिससे कि वह एटीएम का परिचालन आसानी से कर सकें


Conclusion:कुल मिलाकर देखा जाए तो राजधानी दिल्ली में लगातार निजी बैंकों के एटीएम जिस रफ्तार से कम हो रहे हैं उससे तो ऐसा लग रहा है कि आने वाले समय में दिल्ली को आर्थिक संकट से जूझना पड़ सकता है लेकिन फिलहाल दिल्ली में एक लाख लोगों को 40 एटीएम में लेकिन इन एटीएम की संख्या लगातार कम हो रही है ऐसे में देखना और कि सरकार आने वाले समय में क्या कदम उठाती है
Last Updated : May 17, 2019, 10:16 PM IST
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