नई दिल्ली: बाहरी रिंग रोड पर वजीराबाद इलाके में तेज रफ्तार वाहनों की वजह से होने वाले हादसों को रोकने व रिंग रोड को जाम मुक्त करने के लिए दो बड़े अंडरपास बनाए जा रहे हैं. इन अंडरपास की लागत 31.5 करोड रुपये है और यह वजीराबाद से मुकरबा चौक तक आने जाने वाले हल्के वाहनों के लिए यू-टर्न का भी काम करेंगे. अंडरपास ने निर्माण कार्य के पूरा होने की कई बार डेडलाइन भी पूरी हो चुकी है मगर ये अबतक बनकर तैयार (Wazirabad underpass work incomplete) नहीं हुआ.
बाहरी रिंग रोड से आने जाने वाले वाहन चालकों ने बताया कि यह अंडरपास काफी लंबे समय से बनाए जा रहे हैं. इनके बनने से रिंग रोड पर होने वाले हादसों में कमी आएगी और लोगों को जाम से निजात मिलेगी, लेकिन दो साल के समय में भी यह बनकर तैयार नहीं हुए हैं. रिंग रोड पर तेज रफ्तार वाहन चलते हैं. इस दौरान पैदल सड़क करने वाले लोग हादसों का शिकार होते हैं. इन सब को रोकने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग ने अंडरपास बनाने शुरू किए, कई बार इनकी डेडलाइन भी तय की गई. अप्रैल 2022 से लेकर दिसंबर माह 2022 तक तैयार करने के लिए चार बार डेडलाइन बढ़ाई गई, लेकिन अभी तक इन्हें तैयार नहीं किया जा सका है.
कंपनी के कर्मचारी सुनील चौधरी ने बताया कि इन दोनों अंडरपास की अनुमानित लागत करीब 30 से 35 करोड़ रुपये है, जोकि अब बनकर लगभग पूरी तरह तैयार है. एक अंडरपास को जनवरी के शुरुआती दिनों में लोगो के लिए खोल दिया जाएगा. वंही दूसरे अंडरपास को भी फरवरी माह के अंत तक तैयार कर जनता को सौप दिया जाएगा. दोनो ही अंडरपास हल्के वाहनों के प्रयोग के लिए होंगे, बड़े वाहनों का प्रवेश वर्जित होगा.
अंडरपास की ऊंचाई करीब 3 मीटर और चौड़ाई 9 मीटर है. दोनों अंडरपास के दोनों सिरे पर 80 मीटर के बड़े रैंप बनाए गए हैं, ताकि वाहन आसानी से निकल सके. अब दोनो ही अंडरपास को फाइनल टच देने का काम किया जा रहा है. एक अंडरपास में पेंट करने का काम चल रहा है, लाइटिंग का काम पेंट पूरा होने के बाद शुरू होगा. रिंगरोड़ पर होने वाले सड़क हादसों को देखते हुए सरकार ने इन्हें बनाने का निर्णय लिया. दिल्ली में जहां जहां भी दुर्घटना संभावित या जाम प्रभावित क्षेत्र है, इन सब समस्याओं से निजात दिलाने के लिए सरकार अंडरपास बनने का काम कर रही है.
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बता दें कि बाहरी रिंग रोड पर अंडरपास से लोगों को काफी फायदा मिलेगा. बुराड़ी से लेकर वज़ीराबाद फ्लाईओवर तक सड़क के बीच में कोई भी कट या यूटर्न नहीं है, जिसकी वजह से वाहन चालकों को करीब 3 से 4 किलोमीटर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. वहीं वाहन चालक भी सड़क पर बने डिवाइडर के बीच छोटे-छोटे कट से वाहनों को निकालने के चक्कर में घायल होते हैं और इन दुर्घटनाओं के बीच कई वाहन चालक अपनी जान भी गंवा चुके हैं. साथ ही रोड पर लगने वाले जाम में एंबुलेंस भी फसती है, जिसमें कई बार मरीज भी परेशान होते हैं.
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