नई दिल्ली: डीयू के आउटर दिल्ली स्थित स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज के राजनीतिक विज्ञान विभाग ने एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया. सेमिनार का उद्देश्य जम्मू कश्मीर और लद्दाख से अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के संदर्भ में था. अनुच्छेद-370 का निराकरण करने के बाद कश्मीर और लद्दाख में आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास के मुद्दे पर चर्चा की गई.
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'लड़ें नहीं, बल्कि बातचीत कर समझाएं'
सेमिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रो. संजय पासवान शामिल हुए. संजय पासवान ने कहा कि अनुच्छेद-370 हटाने के बाद अब वहां विकास के अवसर पैदा होंगे. यदि किसी को 370 हटने का दुःख है. तो उससे लड़ें नहीं, बल्कि बातचीत करें और समझाएं.
उनका कहना है कि अनुच्छेद-370 के हटने के बाद केंद्र सरकार की सभी योजनाएं कश्मीर और लद्दाख में लागू हो जाएंगी. इससे सभी को लाभ मिलेगा. उन्होंने ये भी कहा कि अनुच्छेद-370 हटने से कश्मीर में बहुसंस्कृतिवाद को बल मिलेगा.
कश्मीर और लद्दाख में सर्वांगीण विकास पर ध्यान
इस अवसर पर यूनिवर्सिटी की सांस्कृतिक समिति के छात्रों की ओर से एक संगीतमय प्रस्तुति दी गई. सेमिनार के सह-संयोजक प्रोफेसर मनीष कुमार ने कार्यक्रम का निष्कर्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार को भविष्य में कश्मीर और लद्दाख में सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना चाहिए.
'सरकार ने असंभव को संभव करके दिखाया'
कॉलेज के प्राचार्य ने अपने वक्तव्य में कश्मीर मुद्दे के ऐतिहासिक पक्ष को रखा और वहां विकास की संभावनाओं पर प्रकाश डाला. सेमिनार के संयोजक पंकज लखेरा ने कहा कि ऐसा समझ जाता है कि अनुच्छेद-370 को हटाना असंभव था. परंतु वर्तमान सरकार ने असंभव को संभव करके दिखाया.