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दिल्ली में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान हुए बदहाल, लाखों रुपये का नुकसान

राजधानी दिल्ली में पहले बेमौसम ओलावृष्टि और फिर लॉकडाउन के कारण किसानों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा हैं. इसी बीच ईटीवी भारत की टीम यमुना किनारे खेतों का जायजा लेने पहुंची. टीम ने स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान सतीश चौहान से बातचीत की.

Strawberry cultivators in Delhi are facing economic crises due to lockdown
दिल्ली में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान हुए बदहाल
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Published : Apr 20, 2020, 11:10 AM IST

Updated : Apr 20, 2020, 12:45 PM IST

नई दिल्ली: पहले राजधानी में बेमौसम ओलावृष्टि और फिर लॉकडाउन दोनों से ही किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी बीच बाहरी दिल्ली के अलीपुर इलाके में यमुना किनारे बसे गांव तिगीपुर में किसान ने 32 बीघा जमीन पर स्ट्रॉबेरी की फसल उगाई हुई है. इसके अलाव भी बाकी की जमीन पर सब्जियां और रबी की खेती की गई है. जोकि बेमौसम ओलावृष्टि, दिल्ली में हुए दंगे और लॉकडाउन के कारण पूरी तरह से खराब हो गई. जिसका अब बाजार में कोई खरीददार नहीं है. किसान सरकार से मदद की गुहार लगा रहा है.

दिल्ली में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान हुए बदहाल

75 एकड़ किराए की जमीन पर खेती
ईटीवी भारत की टीम जब यमुना किनारे खेतों का जायजा लेने पहुंची तो स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान सतीश चौहान ने बताया कि उन्होंने इस इलाके में 75 एकड़ किराए की जमीन पर खेती की हुई है. जिसमें ज्यादातर हिस्से पर स्ट्रॉबेरी और सब्जियों की खेती की गई है. इसके अलावा करीब एक तिहाई हिस्से पर रबी की कई फसलें उगाई हुई है. सारी जमीन किराए की है, जिसमें केवल डेढ़ एकड़ ही जमीन अपनी है. जमीन का किराया भी लाखों रुपये साल का आता है.


स्ट्राबेरी फसल की बुवाई में है मोटा खर्च
सतीश ने बताया कि इनके पास महीने की तन्ख्वाह पर 20 मजदूर खेती करने लिए रहते हैं. साथ ही खेती की जमीन की उगाही (किराया) भी देनी होती है, फसल उगाने के लिए लाखों रुपए का खर्च होता है. अगर स्ट्रॉबेरी की फसल की बात की जाए तो एक बीघा फसल के लिए अस्सी हजार रुपये प्रति बीघा का खर्च आता है, 32 बीघा यानी कि छह एकड़ के लिए 25 लाख रुपए का खर्च आया है. मंडी बंद होने की वजह से फसल बर्बाद हो गई है, बाजार और मंडियों में कोई खरीददार नहीं है.

पिछली बार हुआ था मुनाफा
सतीश स्ट्रॉबेरी की खेती 2 साल से कर रहे हैं, पिछली बार भी उन्होंने इतनी ही जमीन पर स्ट्रॉबेरी की फसल उगाई थी, मोटा मुनाफा हुआ था. इस बार भी फसल उगाई, किस्मत और समय की मार दोनों किसान के ऊपर पड़ गई. यह अकेले ऐसे किसान नहीं हैं जिनके ऊपर समय की मार पड़ी हो. दिल्ली में बिना मौसम की बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की रबी की फसल लगभग खराब कर दी.


नागपुर से आता है पौधा
साथ ही सतीश ने बताया कि स्ट्रॉबेरी का पौधा नागपुर से मंगाया जाता है, जिसकी कीमत दिल्ली पहुंचने पर आठ रुपये प्रति पौधा होती है. यह फसल सितंबर के महीने में लगाई जाती है और नवंबर तक (करीब दो महीने में) यह फल देना स्टार्ट कर देती है. दिसंबर-जनवरी में ज्यादा सर्दी होने की वजह से फल ठीक से नहीं आता, लेकिन फरवरी के महीने से मई तक फल की भरमार रहती है और दाम भी अच्छा मिलता है.


लॉकडाउन ने बाजार किये बंद
लॉकडाउन की वजह से इस बार फैक्टरियां भी बंद है, जो फ्रूट फ्लेवर का सामान जैसे जैम आदि बनाने के लिए स्ट्रॉबेरी ले जाती थी. बिग बास्केट और बिग बाजार जैसे स्टोर भी बंद है, आधे से ज्यादा माल तो इन्हीं स्टोर पर बेच दिया करते थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से सब कुछ ही बंद हो गया है.



मदद का इंतजार
जरूरत है कि सरकार गरीब किसानों के लिए मदद का ऐलान करें. जिन किसानों की फसल ओलावृष्टि और लॉकडाउन में मजदूर ना मिलने की वजह से खेत में खराब हुई है. उनके लिए मदद के तौर पर कुछ सहायता राशि प्रदान करे, ताकि किसानों की मदद की जा सके. ग

नई दिल्ली: पहले राजधानी में बेमौसम ओलावृष्टि और फिर लॉकडाउन दोनों से ही किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी बीच बाहरी दिल्ली के अलीपुर इलाके में यमुना किनारे बसे गांव तिगीपुर में किसान ने 32 बीघा जमीन पर स्ट्रॉबेरी की फसल उगाई हुई है. इसके अलाव भी बाकी की जमीन पर सब्जियां और रबी की खेती की गई है. जोकि बेमौसम ओलावृष्टि, दिल्ली में हुए दंगे और लॉकडाउन के कारण पूरी तरह से खराब हो गई. जिसका अब बाजार में कोई खरीददार नहीं है. किसान सरकार से मदद की गुहार लगा रहा है.

दिल्ली में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान हुए बदहाल

75 एकड़ किराए की जमीन पर खेती
ईटीवी भारत की टीम जब यमुना किनारे खेतों का जायजा लेने पहुंची तो स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान सतीश चौहान ने बताया कि उन्होंने इस इलाके में 75 एकड़ किराए की जमीन पर खेती की हुई है. जिसमें ज्यादातर हिस्से पर स्ट्रॉबेरी और सब्जियों की खेती की गई है. इसके अलावा करीब एक तिहाई हिस्से पर रबी की कई फसलें उगाई हुई है. सारी जमीन किराए की है, जिसमें केवल डेढ़ एकड़ ही जमीन अपनी है. जमीन का किराया भी लाखों रुपये साल का आता है.


स्ट्राबेरी फसल की बुवाई में है मोटा खर्च
सतीश ने बताया कि इनके पास महीने की तन्ख्वाह पर 20 मजदूर खेती करने लिए रहते हैं. साथ ही खेती की जमीन की उगाही (किराया) भी देनी होती है, फसल उगाने के लिए लाखों रुपए का खर्च होता है. अगर स्ट्रॉबेरी की फसल की बात की जाए तो एक बीघा फसल के लिए अस्सी हजार रुपये प्रति बीघा का खर्च आता है, 32 बीघा यानी कि छह एकड़ के लिए 25 लाख रुपए का खर्च आया है. मंडी बंद होने की वजह से फसल बर्बाद हो गई है, बाजार और मंडियों में कोई खरीददार नहीं है.

पिछली बार हुआ था मुनाफा
सतीश स्ट्रॉबेरी की खेती 2 साल से कर रहे हैं, पिछली बार भी उन्होंने इतनी ही जमीन पर स्ट्रॉबेरी की फसल उगाई थी, मोटा मुनाफा हुआ था. इस बार भी फसल उगाई, किस्मत और समय की मार दोनों किसान के ऊपर पड़ गई. यह अकेले ऐसे किसान नहीं हैं जिनके ऊपर समय की मार पड़ी हो. दिल्ली में बिना मौसम की बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की रबी की फसल लगभग खराब कर दी.


नागपुर से आता है पौधा
साथ ही सतीश ने बताया कि स्ट्रॉबेरी का पौधा नागपुर से मंगाया जाता है, जिसकी कीमत दिल्ली पहुंचने पर आठ रुपये प्रति पौधा होती है. यह फसल सितंबर के महीने में लगाई जाती है और नवंबर तक (करीब दो महीने में) यह फल देना स्टार्ट कर देती है. दिसंबर-जनवरी में ज्यादा सर्दी होने की वजह से फल ठीक से नहीं आता, लेकिन फरवरी के महीने से मई तक फल की भरमार रहती है और दाम भी अच्छा मिलता है.


लॉकडाउन ने बाजार किये बंद
लॉकडाउन की वजह से इस बार फैक्टरियां भी बंद है, जो फ्रूट फ्लेवर का सामान जैसे जैम आदि बनाने के लिए स्ट्रॉबेरी ले जाती थी. बिग बास्केट और बिग बाजार जैसे स्टोर भी बंद है, आधे से ज्यादा माल तो इन्हीं स्टोर पर बेच दिया करते थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से सब कुछ ही बंद हो गया है.



मदद का इंतजार
जरूरत है कि सरकार गरीब किसानों के लिए मदद का ऐलान करें. जिन किसानों की फसल ओलावृष्टि और लॉकडाउन में मजदूर ना मिलने की वजह से खेत में खराब हुई है. उनके लिए मदद के तौर पर कुछ सहायता राशि प्रदान करे, ताकि किसानों की मदद की जा सके. ग

Last Updated : Apr 20, 2020, 12:45 PM IST
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