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रोहिणी में छबील वितरण के दौरान पहुंची साध्वी ने बताया निर्जला एकादशी का महत्व

दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 8 में भी विश्वगुरु भारत न्यास और सांझा परिवार के आपसी सहयोग से छबील का वितरण किया गया. इस मौके पर विश्वगुरु भारत न्यास से जुड़ी साध्वी यहां मुख्य रूप मौजूद रही और उन्होंने निर्जला एकादशी का महत्व बताया.

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Published : May 31, 2023, 8:27 PM IST

रोहिणी में छबील वितरण

नई दिल्ली: देशभर में बुधवार को निर्जला एकादशी का पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. हिन्दू धर्म से जुड़े लोगों में इस पर्व को लेकर एक अलग ही जोश और उत्साह का माहौल देखने को मिला. इस संबंध में विश्वगुरु भारत न्यास आध्यात्मिक संगठन से जुड़ी साध्वी ने बताया कि 1 साल में 24 बार एकादशी का पर्व मनाया जाता है, लेकिन निर्जला एकादशी का एक अलग ही महत्व है.

उन्होंने बताया कि यह पर्व हिन्दू धर्म की परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों को दर्शाता है. साध्वी ने बताया कि इस पर्व के माध्यम से हम उपवास पर रहते हैं, और अपने हिस्से का जल हम जरूरतमंद को पिलाने का प्रयास करते हैं. यही इस पर्व की विशेष परंपरा हैं.

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गौरतलब हैं कि 31 मई को हिन्दू परंपरा के अनुसार निर्जला एकादशी का पर्व पूरे भारतवर्ष में मनाया जा रहा हैं. सनातन परंपरा में रखे जाने वाले तमाम व्रतों में निर्जला एकादशी की विशेष मान्यता हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि व्रत सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है. ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी निर्जला एकादशी पर किया गया व्रत बेहद फलदायी होता है. ऐसा कहा जाता है कि अगर आप साल की 24 एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं तो इस एक व्रत को करने मात्र से ही सारा पुण्य कमाया जा सकता हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने वाली सभी एकादशी व्रत में निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन होती है.

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रोहिणी में छबील वितरण

नई दिल्ली: देशभर में बुधवार को निर्जला एकादशी का पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. हिन्दू धर्म से जुड़े लोगों में इस पर्व को लेकर एक अलग ही जोश और उत्साह का माहौल देखने को मिला. इस संबंध में विश्वगुरु भारत न्यास आध्यात्मिक संगठन से जुड़ी साध्वी ने बताया कि 1 साल में 24 बार एकादशी का पर्व मनाया जाता है, लेकिन निर्जला एकादशी का एक अलग ही महत्व है.

उन्होंने बताया कि यह पर्व हिन्दू धर्म की परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों को दर्शाता है. साध्वी ने बताया कि इस पर्व के माध्यम से हम उपवास पर रहते हैं, और अपने हिस्से का जल हम जरूरतमंद को पिलाने का प्रयास करते हैं. यही इस पर्व की विशेष परंपरा हैं.

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गौरतलब हैं कि 31 मई को हिन्दू परंपरा के अनुसार निर्जला एकादशी का पर्व पूरे भारतवर्ष में मनाया जा रहा हैं. सनातन परंपरा में रखे जाने वाले तमाम व्रतों में निर्जला एकादशी की विशेष मान्यता हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि व्रत सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है. ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी निर्जला एकादशी पर किया गया व्रत बेहद फलदायी होता है. ऐसा कहा जाता है कि अगर आप साल की 24 एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं तो इस एक व्रत को करने मात्र से ही सारा पुण्य कमाया जा सकता हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने वाली सभी एकादशी व्रत में निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन होती है.

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