नई दिल्ली: आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा करीब दो दशक के लंबे समय से हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं. दिल्ली की अपनी कोई भाषा नहीं है. इसीलिए दिल्ली में भी हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए. इसकी मांग वो न्यायालय से लेकर राजनेताओं तक कर चुके हैं.
हिंदी को राजभाषा बनाने की मांग
सालों से हरपाल कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे है और कोर्ट की ओर से भी कई बार हिंदी को राजभाषा बनाने की बात कही गई, लेकिन अभी तक मामला अधर में लटका हुआ है. अपनी कानूनी लड़ाई को लेकर हिंदी दिवस के मौके पर आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा ने ईटीवी भारत से बातचीत की.
उन्होंने बताया कि दो दशक से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं कि हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिले. इसके लिए दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से भी कई बार पत्र व्यवहार किया. उनके आवास के बाहर शांतिपूर्ण धरना भी दिया. शीला दीक्षित ने भी कई बार कड़े शब्दों का प्रयोग करते हुए विभागों को पत्र भी लिखे. लेकिन खास फर्क नहीं पड़ा.
राज्य भाषा बनाने के लिए सीएम को लिखा पत्र
उनका कहना है कि वो अब हिंदी को राज्य भाषा का दर्जा दिलवाने के लिए सीएम केजरीवाल से भी कई बार पत्राचार कर चुके है. दिल्ली में अमीर और गरीब, शिक्षित और अशिक्षित सभी तरह के लोग रहते है, लेकिन ज्यादा आबादी गरीब और कम पढ़े लिखे लोगों की है.
यूपी-हरियाणा में कामकाज के लिए हिंदी भाषा
जिसके लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता है, लेकिन उन लोगों को ये भाषा बिल्कुल समझ नहीं आती. वैसे तो भारत देश में राज्यों के हिसाब से भाषा का प्रयोग किया जाता है, लेकिन उत्तरी भारत जो हिंदी भाषी क्षेत्र है वहां भी लोगों को कार्यवाही करने के लिए मजबूरन हिंदी भाषा के लिए तरसना पड़ता है. उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है. इसीलिए दिल्ली में भी हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाए. जिससे लोगों को आसानी होगी.
नहीं मिल रहा राज्यभाषा का दर्जा
हरपाल राणा बताते हैं कि वो कई बार धरने प्रदर्शन भी कर चुके हैं. अधिकारियों को भी लिख कर दिया जा चुका है. कोर्ट भी इस मामले पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने की बात करता है, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में पहले व्यक्ति वहीं हैं. जिन्होंने हिंदी भाषा में पत्राचार किया था. न्यायालय ने भी काफी जद्दोजहद के बाद उनकी सराहना की, लेकिन अब तक आम तौर पर हिंदी भाषा का चलन कार्यालयों में नहीं हुआ है.
हरपाल राणा कहते है कि जरूरत है सरकार और न्यायालय गरीब लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली को राज्य भाषा की दर्जा दिलाने में मदद करें. ताकि दिल्ली में रहने वाले गरीब लोग अपनी लड़ाई खुद लड़ सके.
उनका कहना है कि पत्राचार करने के लिए गरीब लोगों को अलग से मोटी फीस वकीलों और अधिकारियों को देनी पड़ती है. उसके बावजूद भी उन्हें समझ में नहीं आता कि अब करें तो क्या करें. अगर हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा मिलेगा, तो ये लोग अपने लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. कार्यालयों में हिंदी भाषा में पत्राचार भी कर सकेंगे. जिससे दिल्ली में रहने वाले गरीब लोगों को बहुत मदद होगी. सरकार भी इन लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा दे.