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कोरोना के बाद DU के कॉलेज खुले, पीजी संचालकों को काम मिलने की उम्मीद - नॉर्थ कैंपस इलाके में पीजी

डीयू के कॉलेज खुल चुके हैं और दिल्ली के बाहर से आए छात्र पीजी का रुख कर रहे हैं. ऐसे में कोरोना महामारी की वजह से बंद पड़े पीजी और उनके संचालकों को उम्मीद है कि व्यापार फिर से चलेगा.

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Published : Nov 4, 2022, 5:28 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दो साल के लंबे इंतजार के बाद डीयू के कॉलेज सुचारू रूप से खुल चुके हैं. नए सत्र में छात्रों का एडमिशन होने के बाद क्लासेस भी शुरू हो गई है. दिल्ली के बाहरी राज्यों से पढ़ने आने वाले छात्र डीयू के हॉस्टल में रुकते हैं या फिर उन्हें बाहर पीजी किराए पर लेना पड़ता है. दिल्ली में पीजी का भारी-भरकम किराया भी उनकी जेब पर असर डाल रहा है.

पीजी संचालकों ने बताया कि छात्रों के परिजन कम पैसों में बेहतर सुविधाओं वाला पीजी तलाशते हैं. संचालकों का कहना है कि दिल्ली में अच्छे से अच्छे पीजी हैं, जो छात्रों को बेहतर सुविधा दे रहे हैं लेकिन उनका किराया महंगा है. नॉर्थ कैंपस इलाके में पीजी संचालकों का कहना है कि वे पिछले कई सालों से पीजी चला रहे हैं. इस तरह के हालात की उम्मीद नहीं थी कि बना बनाया काम उजड़ जाएगा और किराया जेब से देना पड़ेगा. बीते दो सालों में कोरोना के दौरान सभी पीजी खाली हो गए, कॉलेजों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई.

छात्र पीजी छोड़कर अपने घर चले गए, मुश्किल हालातों में मालिकों को किराया देना पड़ा. दिल्ली में ज्यादातर लोग बिल्डिंग किराए पर लेकर पीजी चला रहे हैं, तो वहीं कुछ मकान मालिक अपने स्तर पर पीजी चलते हैं. सभी का प्रति बेड किराया होता है. कमरे में सिंगल या डबल लोग रह सकते हैं. मुश्किल हालातों के बाद अब दोबारा से काम लौटने लगा है, लेकिन नहीं लगता कि गाड़ी जल्द पटरी पर लौट आएगी.

पीजी संचालक संकुल शर्मा ने बताया कि वह पहले 300 से ज्यादा पीजी चला रहे थे, कई बिल्डिंगों में उनके पीजी थे. लेकिन कोरोना महामारी के दौरान एकदम से हालात बदल गए. अब काम सिकुड़ गया है, जेब से किराया देना मुनासिब नहीं था तो मुश्किल हालातों में ज्यादातर पीजी को छोड़ने पड़े. अब 100 के करीब पीजी चला रहे हैं, लेकिन उसमें भी छात्र बेहतर सुविधाओं के साथ कम किराए की मांग करते हैं. जिस तरह के हालात अभी चल रहे हैं उससे नहीं लगता कि काम जल्दी उठेगा.

PG

ज्यादातर पीजी संचालक किराए की बिल्डिंग में काम कर रहे हैं, तो कई मकान मालिक अपने ही मकानों में पीजी चला रहे हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय में बाहरी राज्यों से बड़ी संख्या में छात्र पढ़ने के लिए आते हैं. सभी को हॉस्टल नहीं मिल पाता और ज्यादातर छात्र निजी पीजी में ही रुकते हैं.

ये भी पढ़ें: डीयू के कॉलेजों में छात्रों का पहला दिन, सीनियर्स ने किया फ्रेशर्स का स्वागत

महिला पीजी संचालक ने बताया कि वह भी काफी लंबे समय से पीजी चला रही हैं. फिलहाल सभी की हालत पतली है, काम को लेकर सभी दुखी हैं, धीरे-धीरे काम सुधारने लगा है. डीयू में शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ है और छात्र दो साल बाद छात्र डीयू का रुख कर रहे हैं. अब धीरे-धीरे पीजी संचालकों को भी काम खुलने की उम्मीद है और इसी उम्मीद में बीते 2 सालों में उन्होंने अपनी जेब से मकान मालिक को किराया दिया है.

ऐसा नहीं करते तो सभी बेरोजगार हो जाते, दिल्ली में एक पीजी का किराया 10000 से 40000 रुपए तक है, जिसमें छात्रों को बेहतर सुविधाओं के साथ अच्छा खाना और कॉलेज आने जाने की सुविधाएं भी दी जाती हैं.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दो साल के लंबे इंतजार के बाद डीयू के कॉलेज सुचारू रूप से खुल चुके हैं. नए सत्र में छात्रों का एडमिशन होने के बाद क्लासेस भी शुरू हो गई है. दिल्ली के बाहरी राज्यों से पढ़ने आने वाले छात्र डीयू के हॉस्टल में रुकते हैं या फिर उन्हें बाहर पीजी किराए पर लेना पड़ता है. दिल्ली में पीजी का भारी-भरकम किराया भी उनकी जेब पर असर डाल रहा है.

पीजी संचालकों ने बताया कि छात्रों के परिजन कम पैसों में बेहतर सुविधाओं वाला पीजी तलाशते हैं. संचालकों का कहना है कि दिल्ली में अच्छे से अच्छे पीजी हैं, जो छात्रों को बेहतर सुविधा दे रहे हैं लेकिन उनका किराया महंगा है. नॉर्थ कैंपस इलाके में पीजी संचालकों का कहना है कि वे पिछले कई सालों से पीजी चला रहे हैं. इस तरह के हालात की उम्मीद नहीं थी कि बना बनाया काम उजड़ जाएगा और किराया जेब से देना पड़ेगा. बीते दो सालों में कोरोना के दौरान सभी पीजी खाली हो गए, कॉलेजों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई.

छात्र पीजी छोड़कर अपने घर चले गए, मुश्किल हालातों में मालिकों को किराया देना पड़ा. दिल्ली में ज्यादातर लोग बिल्डिंग किराए पर लेकर पीजी चला रहे हैं, तो वहीं कुछ मकान मालिक अपने स्तर पर पीजी चलते हैं. सभी का प्रति बेड किराया होता है. कमरे में सिंगल या डबल लोग रह सकते हैं. मुश्किल हालातों के बाद अब दोबारा से काम लौटने लगा है, लेकिन नहीं लगता कि गाड़ी जल्द पटरी पर लौट आएगी.

पीजी संचालक संकुल शर्मा ने बताया कि वह पहले 300 से ज्यादा पीजी चला रहे थे, कई बिल्डिंगों में उनके पीजी थे. लेकिन कोरोना महामारी के दौरान एकदम से हालात बदल गए. अब काम सिकुड़ गया है, जेब से किराया देना मुनासिब नहीं था तो मुश्किल हालातों में ज्यादातर पीजी को छोड़ने पड़े. अब 100 के करीब पीजी चला रहे हैं, लेकिन उसमें भी छात्र बेहतर सुविधाओं के साथ कम किराए की मांग करते हैं. जिस तरह के हालात अभी चल रहे हैं उससे नहीं लगता कि काम जल्दी उठेगा.

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ज्यादातर पीजी संचालक किराए की बिल्डिंग में काम कर रहे हैं, तो कई मकान मालिक अपने ही मकानों में पीजी चला रहे हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय में बाहरी राज्यों से बड़ी संख्या में छात्र पढ़ने के लिए आते हैं. सभी को हॉस्टल नहीं मिल पाता और ज्यादातर छात्र निजी पीजी में ही रुकते हैं.

ये भी पढ़ें: डीयू के कॉलेजों में छात्रों का पहला दिन, सीनियर्स ने किया फ्रेशर्स का स्वागत

महिला पीजी संचालक ने बताया कि वह भी काफी लंबे समय से पीजी चला रही हैं. फिलहाल सभी की हालत पतली है, काम को लेकर सभी दुखी हैं, धीरे-धीरे काम सुधारने लगा है. डीयू में शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ है और छात्र दो साल बाद छात्र डीयू का रुख कर रहे हैं. अब धीरे-धीरे पीजी संचालकों को भी काम खुलने की उम्मीद है और इसी उम्मीद में बीते 2 सालों में उन्होंने अपनी जेब से मकान मालिक को किराया दिया है.

ऐसा नहीं करते तो सभी बेरोजगार हो जाते, दिल्ली में एक पीजी का किराया 10000 से 40000 रुपए तक है, जिसमें छात्रों को बेहतर सुविधाओं के साथ अच्छा खाना और कॉलेज आने जाने की सुविधाएं भी दी जाती हैं.

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