नई दिल्ली: दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में बने सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को डीडीए विभाग की ओर से राहत नहीं मिल रही है. आपार्टमेट में रहने वाले परिवार और डीडीए विभाग के बीच हुई मीटिंग एक बार फिर बेनतीजा खत्म हुई. जिसपर डीडीए का कहना है की अपार्टमेंट के सभी 12 टॉवर को पूरी तरह से खाली होने के बाद ही मकान मालिकों को विभाग की ओर से किराया मिलना शुरू होगा. अपार्टमेंट के लोग जबतक सभी मकानों को खाली कर विभाग को हैंडओवर नहीं करते तबतक विभाग अपना काम शुरू नहीं करेगा. जिससे अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों के सामने आगे कुआं और पीछे खाई जैसी स्तिथि बन गई है. अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है की डीडीए के इस अड़ियल रुख के बाद करे तो क्या करें.
ये है पूरा मामला: सिगनेचर व्यू अपार्टमेंट के पदाधिकारी गौरव पांडे ने बताया की सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट में डीडीए के द्वारा 12 टावर के 336 एचआईजी और एमआईजी फ्लैट बनाए गए थे. जिन्हें डीडीए ने ही लोगों को अलॉट किया था. सभी फ्लैट साल 2013 तक दो बार में लोगो को अलॉट किए गए थे. उसके कुछ साल बाद ही मकानों की छत से प्लास्टर गिरने लगा, कई मकानों की तो छत का बड़ा हिस्सा भी गिर गया. जिसकी शिकायत डीडीए विभाग में आरडब्लूए ने की, आरडब्लूए को शिकायत पर अधिकारी और इंजीनियरो की एक टीम जांच करने के लिए पहुंची.
सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को तोड़ने की बात: जांच परख के बाद अंदर और बाहर की दीवारों पर लीपापोती करवा दी गई. एक बार फिर से दोबारा लोगो को उसी परेशानी का सामना करना पड़ा, जिसकी शिकायत डीडीए विभाग से लगातार कई बार की गई. साथ ही इस संबंध में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सेक्सेना से भी पत्राचार किया गया, क्योंकि उपराज्यपाल डीडीए के चेयरमैन भी हैं. लोगो की शिकायत पर उन्होंने संज्ञान भी लिया और इंजीनियरों से जवाब मांगा गया. उम्मीद बंधी कि इस बार कुछ होगा ओर प्रक्रिया में तेजी आई, लेकिन डीडीए ने अपनी शर्तो को लोगों के सामने रखा. जिसके बाद डीडीए और उपराज्यपाल के साथ कई मीटिंग हुई. अपार्टमेंट के पदाधिकारियों ने डीडीए से बिल्डिंग के जर्जर हालातो पर अपनी बातो को रखा, दोनो पक्षों के बीच पूरे अपार्टमेंट को तोड़कर नए अपार्टमेंट बनाने की बात पर सहमति बनी.
जान जोखिम के डालकर अपार्टमेंट में रह रहे लोग: विभाग की ओर से लोगो को अपार्टमेंट में रह रहे सभी 336 परिवारों को जल्द खाली करने का निर्देश दिया गया, ताकि विभाग अपना काम जल्द शुरू कर सके. उसके लिए एचआईजी फ्लैट मालिकों को 50,000 व एमआईजी फ्लैट मालिकों को 38,000 रुपए किराए के रूप के देने की बात तय की गई. वहीं आरडबलूए को पदाधिकारी कुणाल कश्यप ने बताया की बिल्डिंग के जर्जर हालातो दो देखकर 100 परिवार पहले ही खाली कर दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके है और मोटा किराया मकान मालिकों को दे रहे है साथ ही फ्लैट की किस्त भी लोन के रूप के चुका रहे है. जबकि अभी भी 236 परिवार इन जर्जर टावर के अपनी जान जोखिम के डालकर रह रहे है, जिनके साथ कभी भी हादसा हो सकता है.
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घर खाली कर हैंडओवर करने का निर्देश: हादसे की जिम्मेदारी डीडीए विभाग की होगी क्योंकि अभी डीडीए की ओर से निर्धारित किया गया किराया लोगो को मिलना शुरू नहीं हुआ है. जबकि डीडीए अभी भी इस बात पर अड़ा हुआ है की सभी लोग सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को पूरी तरह से खाली कर अपार्टमेंट को विभाग को हैंडओवर करें. पदाधिकारियों का कहना है की अपार्टमेंट में रह रहे कई परिवारों की आर्थिक स्तिथ ऐसी नहीं है की वो किराए के साथ फ्लैट के लोन की मोटी किस्त को चुका सकें. इसलिए कुछ परिवार फ्लैट खाली करने के लिए तैयार नहीं हैं. जबकि डीडीए इस बात पर भी अड़ा है की विभाग अपना खर्चा निकालने के लिए यहां पर 336 के अलावा 168 और नए फ्लैट बनाएगा. और जबतक अपार्टमेंट पूरी तरह से खाली नहीं होगा तब तक काम भी चालू नहीं किया जाएगा.
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अब लोगो की मांग है की डीडीए के इस अड़ियल रुख की वजह से यदि कोई हादसा होता है, तो उसकी जिम्मेदारी विभाग और उसके अधिकारियों की होगी. डीडीए अपनी शर्तो को जबरन फ्लैट मालिको पर थोप रहे है. विभाग उन परिवारों को किराया देना शुरू करे जो यहां से जा चुके हैं और जाना चाहते हैं. ज्यादातर परिवारों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि मकान का किराया और लोन की किस्त एक साथ चुका सके.